भगवान बदरीनाथ धाम के 15 मई व भगवान केदारनाथ धाम के 29 अप्रेल को खुलेंगे कपाट
कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते टिहरी महाराजा ने निकाला नया मुहूर्त
देहरादून(प्याउ)। वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप को देखते हुए अब इस साल भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट 15 मई को तड़के 4.30 बजे खुलेंगे।आज 20 अप्रैल को इसका ऐलान करते उतराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने किया। अपने फेसबुक पेज में इसकी जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लिखा कि कोरोना वायरसकी परिस्थितियों को देखते हुए आज श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ धामों के कपाट खुलने के संबंध में टिहरी सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह जी, पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज जी एवं प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के दौरान टिहरी के महाराजा श्री मनुजेंद्र शाह जी से फोन पर बात की व महाराजा जी ने कपाट खुलने की नई तिथि की घोषणा की। अब भगवान बदरीनाथ के कपाट 15 मई 2020 को प्रातः 4.30 बजे खुलेंगे। गाडु घड़ा परंपरा के लिए तिल का तेल निकालने के लिए 5 मई 2020 की तिथि तय की गई है।
वहीं भगवान केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को ही पूरे विधि विधान के साथ खोले जायेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रायः यह यात्रा अप्रेल माह में प्रारम्भ होती थी । प्रसिद्ध वैदिक मर्मज्ञ पुुरूषोतम शास्त्री के अनुसार इस साल भी 30 अप्रैल को बदरीनाथ धाम व 29 अप्रैल को भगवान केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का पहले मुहूर्त निकाला था। जो कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते अब15 मई को कर दिया गया। इस साल कोरोना महामारी का प्रभाव बदरी केदार सहित उतराखण्ड की चार धाम यात्रा पर भी पड़ा। उल्लेखनीय है कि बदरी नाथ व केदारनाथ धाम को विश्व के सवा सो करोड़ सनातन धर्मावलम्बी भगवान विष्णु व भगवान शिव के सर्वोच्च धाम के रूप में पूजा अर्चना व दर्शन करते है। 2013 में आये विनाशकारी आपदा के बाद इस साल कोरोना महामारी का ग्रहण इस यात्रा पर लग गया है।
वहीं श्रीकृष्ण विश्व कल्याण भारती के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने कोरोना महामारी की आड़ में कपाट खोलने की तय तिथि 30 अप्रैल 2029 को बदल कर 15 मई को करने का अपशकुन बताया। श्री रावत ने कहा कि सरकार व टिहरी नरेश की श्रद्धा भगवान बदरीनाथ पर रहती तो वह सुक्ष्म रूप से भीड़ रहित पूरे विधि विधान से कपाट खोलते। भगवान बदरीनाथ के दर्शन के लिए केवल नेता व इंसानों के साथ देवता भी करते है।पथभ्रष्ट नेताओं व पूंजीपतियों से इस धाम की पावनता नहीं बढ़ती अपितु यहां की पावनता श्रीहरि से ही बढ़ती है। इसलिए इसे केवल नेताओं व इंसानों की सुविधा के अनुसार खोलना उचित नहीं है। इस पावन धाम के दर्शन स्थूल देह के इंसानों से अधिक सुक्ष्म देहों में तपस्वी, मुनि व देवी देवता सहित तमाम चराचर करता है। इसलिए बेहतर होता पूर्व घोषित मुहूर्त में ही भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट सूक्ष्म व भीड़ रहित आयोजन में किया जाना चाहिए था।