राज्य आंदोलनकारियों ने ग्रीष्म कालीन राजधानी को झूनझूना बताते हुए विश्वासघात बताया,
हर हाल में गैरसैंण स्थाई राजधानी बनाने का लिया संकल्प
देेहरादून (प्याउ)। राजधानी गैरसैंण का नाम सुनना भी पसंद नहीं करने वाले उतराखण्ड के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गैरसैंण राजधानी घोषित करने का साहस नहीं जुटा पाये हो परन्तु उन्होने 4मार्च को गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का ऐलान कर प्रदेश की राजनीति में एक बडी दस्तक दी। गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दूसरे दिन जहां त्रिवेन्द्र रावत ने गैरसैंण को ग्रीष्म राजधानी बनाने का ऐलान करते हुए कहा कि उतराखण्ड उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है, पहाड़ में राजधानी यहां के लोगों का सपना रहा है, इसके लिए संघर्ष भी किया है। इन्हीं जनभावनाओं का सम्मान करते हुए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है। इस घोषणा को मैं राज्य निर्माण के लिए कुर्बान हुए तमाम शहीदों और आंदोलनकारियों को समर्पित करता हूं।
प्रदेश सरकार की इस घोषणा का राज्य आंदोलनकारियों ने पुरजोर विरोध करते हुए इसे उतराखण्ड के साथ विश्वासघात बताया। उतराखण्ड राज्य आंदोलन के वरिष्ठ आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने जो कल 3 मार्च को ही त्रिवेन्द्र सरकार की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के षडयंत्र की भनक मिलते ही प्रधानमंत्री के दर पर इसकी दस्तक दे कर प्रधानमंत्री मोदी से तुरंत उतराखण्ड की स्थाई राजधानी घोषित की जाय। इस अवसर पर प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने गये देवसिंह रावत, धीरेन्द्र प्रताप, मनमोहन शाह व इफत्यार अहमद ने प्रधानमंत्री से पुरजोर अनुरोध किया था कि गैरसैंण राजधानी बनाने के बजाय ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने को तुले त्रिवेन्द्र सरकार पर अंकुश लगाये सरकार
सत्तामद में चूर हुक्मरान, देहरादून की पंचतारा सुविधाओं की मोह व निहित स्वार्थों के लिए देहरादून में राजधानी बनाये रखने के लिए प्रदेश की जनभावनाओं व प्रदेश के हितों को रौंदते हुए गैरसैंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने का उतराखण्ड व भारत विरोधी षडयंत्र कर सकते है। इसका उतराखण्ड की जनता पुरजोर विरोध करती है। जनता हैरान है कि जब प्रदेश में एकमात्र विधानसभा गैरसैंण में है। प्रदेश के बजट, शीतकालीन सहित सभी सत्र गैरसैंण में संचालित हो गये तो फिर क्या कारण है प्रदेश सरकार राजधानी गैरसैंण को घोषित करने के बजाय ग्रीष्मकालीन का जनविरोधी राग छेड़ रहे हैं। प्रदेश की जनता केवल राजधानी गैरसैंण ही बनाना चाहती है। किसी भी सूरत में ग्रीष्मकालीन राजधानी स्वीकार नहीं करती है। गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के बजाय ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाना उतराखण्ड राज्य गठन शहीदों,बाबा मोहन उतराखण्डी व देवसिंह नेगी की शहादत का घोर अपमान है।
वहीं ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित किये जाने का उतराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत, उतराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति के प्रवक्ता व वरिष्ठ पत्रकार अवतार नेगी, राजधानी गैरसैंण के लिए देहरादून में 17 सितम्बर 2017 से सतत धरना दे रहे गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के रघुवीर बिष्ट, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, मनोज ध्यानी व मदन भण्डारी ने दो टूक शब्दों में कहा ग्रीष्म कालीन राजधानी मंजूर नहीं, गैरसैंण पूर्ण राजधानी से कम हमें मंजूर नहीं। उतराखण्ड क्रांतिदल के प्रवक्ता प्रकाश थपलियाल, उत्तराखंड महिला मंच की प्रमुख कमला पंत,उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी, माले नेता इंद्रेश मैखुरी, गैरसैंण में पत्रकार पुरूषोतम असनोडा, सहित सभी दलों व संगठनों ने सरकार के इस निर्णय की आलोचना करते हुए गैरसैंण को राजधानी घोषित करने की मांग की।
सबसे हैरानी की बात है कि भाजपा व कांग्रेस जब विपक्ष में रहते हैं तो वे पूर्ण राजधानी गैरसैंण की बात करते हैं परन्तु जैसे ही सत्ता में आते है तो ग्रीष्मकालीन राजधानी का राग छेड देते है। इसके बाबजूद आंदोलनकारी ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करना भी गैरसैंण में पूर्ण राजधानी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे है। राज्य गठन आंदोलन व गैरसैंण आंदोलन के शीर्ष आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने कहा कि जो त्रिवेन्द्र रावत जैसे नेता गैरसैंण राजधानी का नाम सुनना पसंद नहीं करते थे और इसे अवैध निर्माण बता कर यहां पर पानी व धार की हवादार स्थान बता रहे थे, आज कम से कम ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में स्वीकार तो कर रहे है। श्री रावत ने कहा कि उतराखण्ड की जनता ने अपने हक हकूकों व सम्मान के लिए राव व मुलायम सिंह यादव जैसे उतराखण्ड विरोधियों का दमन सह कर भी उतराखण्ड राज्य गठन कराया वे आने वाले समय में यहां की सरकारों से हर हाल में गैरसैंण को पूर्ण राजधानी घोषित करा कर ही दम लेंगे। राज्य गठन आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने गैरसैंण को पूर्ण राजधानी घोषित न करना एक प्रकार शहीदों , आंदोलनकारियों व उतराखण्ड के हक हकूकों पर ग्रहण लगाने के साथ देश की सुरक्षा से खिलवाड करने वाला अलौकतांत्रिक कदम बताया।
श्री रावत ने बताया कि आज शाम जब मैं प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में बैठा था तभी यकायक राज्य आंदोलन के वरिष्ठ साथी हरिपाल रावत का फोन आया।उन्होंने मुझे बधाई दी की राजधानी गैरसैण बन चुकी है और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने इसका ऐलान विधानसभा में जनमत कर दिया है और सदन के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया है।उन्होंने कहा राजधानी गैरसैण रहेगी ।केवल शीतकालीन राजधानी देहरादून में रहेगी। परंतु मुझे माालूम है कि त्रिवेंद्र रावत ने जन भावनाओं का सम्मान व उत्तराखंड के हितों की रक्षा करें करते हुए राजधानी गैरसैण बनाने के बजाय गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना कर एक प्रकार से देहरादून में राजस्थानी बलात थोप दी है ।इस षड्यंत्र को प्रदेश की भोली-भाली जनता आंदोलनकारी समझ नहीं पा रहा है कि उत्तराखंड के साथ एक बहुत बड़ा विश्वासघात है।