जब कभी साथी भी, तुमसे नजरें चुराने लगे।
जब गली के आवारा कुत्ते भी मिमियाने लगे।
तुम समझ लेना कोई न कोई आफत आ ही गयी।
जब गली के लफंगे भी संविधान की दुहाई देने लगे ।
आस्तीन के सांप भी देश का झंडा लहराने लगे।
तुम समझ लेना वतन पर कोई आफत आ ही गयी।
जब कसाई भी दया धर्म के प्रवचन देने लगे।
जब आतंकी भी देश भक्ति के तराने गाने लगे ।
फिर समझ लेना वतन पर कोई आफत आ ही गयी।
जब देश की संस्कृति पर प्यादे आंखें दिखाने लगे।
देश बचाने के नाम पर अमन-चैन को ही जलाने लगे ।
तुम समझ लेना वतन पर कोई आफत आ ही गयी।
जब देश नाम, भाषा मिटाकर इंडिया-अंग्रेजी गाने लगे
जब भारतीय संस्कृति इतिहास पर ग्रहण भी लगाने लगे
तब तुम समझ लेना वतन पर कोई आफत आ ही गयी।
जब भारत माता को डायन और पाक की जय कहने लगे
गौ गंगा गौबर व भारतीय संस्कृति का उपहास उडाने लगे
तब तुम समझ लेना वतन पर कोई आफत आ ही गयी।
जब आंदोलन के नाम पर सडक बिजली पानी रोकने लगे
गली शहरों में धूर्त आजादी आजादी के नारे लगाने लगे
तब तुम समझ लेना वतन पर कोई आफत आ ही गयी।
ऐसे संकट की घडी में भी सरकार तमाशबीन ना बने
इन देशद्रोही जयचंदों के इन षडयंत्र अब चूर-चूर करो
भारत माता की जय कहकर आतंकी पाक को रौंदो।
-देवसिंह रावत