देश

किस पर रिझेगी दिल्ली की जनता, केजरीवाल की तिकड़म या मोदी के जादू ?

दिल्ली विधानसभा 2020 चुनाव का शंखनाद, 8 फरवरी को मतदान व 11 फरवरी को मतगणना

 

केजरीवाल उतरेगा दर्जन नये चेहरे,

भाजपा व आप की टिकटों के लिए मारामारी पर गांधीवादी सब पर भारी,

 

दिल्ली की सत्ता के लिए आप व भाजपा में होगा मुकाबला पर कांग्रेस को खाता खुलने की आश

आप, भाजपा व कांग्रेस तीनों करेंगे उतराखण्डियों को निराश

नई दिल्ली से देवसिंह रावत

भले ही निर्वाचन आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया है। 8 फरवरी को दिल्ली की जनता इस बात के लिए मतदान करेगी कि अगले पांच साल के लिए दिल्ली प्रदेश का सरताज कौन रहेगा। दिल्ली की जनता के इस निर्णय को 11 फरवरी को मतगणना से उजागर हो जायेगा कि दिल्ली की जनता किस पर रिझेगी, केजरीवाल की तिकडम पर या मोदी के जादू पर।

अभी तक मिल रहे रूझानों से साफ हो गया कि दिल्ली विधानसभा के चुनाव की जंग पर मुख्य मुकाबला आप व भाजपा के बीच में होगा और ं कांग्रेस यह चुनाव खाता खोलने के लिए लडेगी।

  भले ही कांग्रेस को आश है कि दिल्ली का अल्पसंख्यक समाज दिल्ली में नागरिकता कानून बनने के बाद केवल कांग्रेस का साथ देगी। परन्तु ऐसा लगता नहीं। क्योंकि शीला की मौत के बाद दिल्ली में कांग्रेसी सत्ता पर काबिज होने की दौड़ से पहले ही बाहर हो गयी। बाकी रही बची कसर कांग्रेस ने नागरिकता कानून का अंध विरोध करके पूरी कर दी। जनता का कांग्रेस से पूरी तरह से मोह भंग हो गया। अल्पसंख्यक समाज को भी इस बात का भान है कि इस चुनाव में दिल्ली में भाजपा को रोेकने के लिए कांग्रेस नहीं आप की सक्षम है। इसलिए अल्पसंख्यक समाज आप को मजबूती दे सकता है। परन्तु भाजपा को आशा है कि लोकसभा चुनाव की तरह ही दिल्ली की जनता भाजपा के पक्ष में भारी मतदान करेगी। खासकर जिस प्रकार से केजरीवाल व कांग्रेस ने अंध तुष्टिकरण करते हुए नागरिक संशोधन कानून का अंध विरोध किया और हिंसा करने वालों के खिलाफ खुल कर सामने नहीं आये, उससे दिल्ली की जनता आप व कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए भाजपा के पक्ष में भारी मतदान करेगी।
परन्तु जिस प्रकार से दिल्ली में केजरीवाल अपने पक्ष में विगत छह महिने से ऐसा माहौल बना रहे हैं कि मानों केजरीवाल ने दिल्ली में ऐतिहासिक कार्य किया। हकीकत यह है कि अरविंद केजरीवाल ने खुद भी एक भी काम नहीं किया। उनके पास कोई काम था ही नहीं दिल्ली सरकार में। सारे कार्य मनीष व अन्य मंत्रियों के द्वारा किये गये। भाजपा व कांग्रेस केजरीवाल के इस बिना काम के प्रदेश की सत्तासुख लेने का मामला प्रमुखता से उठा भी नहीं पाये। वहीं चुनाव जीतने के लिए अरविंद केजरीवाल ने जिस तिकडम से महिलाओं को दिल्ली में मुफ्त बस यात्रा कराने का काम किया। वह हकीकत में अपने आप में एक बड़ा धोखा दिल्ली की जनता के साथ है। केजरीवाल ने इस योजना के द्वारा क्लस्टर बसों को लाभ पंहुचाने का काम किया और दिल्ली परिवहन निगम के बसों के बेडे को मजबूत करने के बजाय बलस्टर बसों को संचालित करने वाले अपने लोगों को ही लाभ पंहुचाया। हां शिक्षा  व स्वास्थ्य में भाजपा व कांग्रेस से बेहतर काम किया परन्तु यह काम केवल आंख में धूल झौंकने के समान है। इन दोनों समस्या का यह समाधान नहीं है। इसके लिए शिक्षा व चिकित्सा की ऐसा ढांचा बनना चाहिए जो निजीकरण व लूटखसोट दोनों से मुक्त हो। पानी व बिजली में भी केजरीवाल सरकार के ऐसे कार्य है जिस पर जनता का उसे समर्थन मिल सकता है। परन्तु यह साफ है कि इस बार केजरीवाल को पिछली बार से कम सफलता मिलेगी।
दिल्ली में केजरीवाल के कार्य से आम आदमी पार्टी की स्थापना में जुडे समर्पित कार्यकत्र्ता भी खुश नहीं है। इसी को देखते हुए केजरीवाल इस चुनाव में करीब दो दर्जन से अधिक विधायकों के स्थान पर नये चेहरे पर दाव लगा रहे है। वहीं दिल्ली का बहुसंख्यक उतराखण्ड सहित अन्य वंचित समाज के साथ इस बार भी आप व कांग्रेस कोई सम्मान नहीं देने वाली। वहीं भाजपा भी आंशिक प्रतिनिधित्व देगी।

उल्लेखनीय है कि 6 जनवरी को भारत के निर्वाचन आयोग ने राष्घ्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्घ्ली में विधान सभा चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी है। विधानसभा की सभी 70 सीटों के लिए एक ही चरण में 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। नामांकन पत्र 14 से 21 जनवरी तक दाखिल किए जा सकते हैं। इनकी जांच 22 जनवरी को होगी। नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 24 जनवरी है।
कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्घ्या 1,47,03,692 है।चुनाव आयोग के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में  14703692 मतदाता है। इनमें 14692136 सामान्य मतदाता औेर 11556 सेवारत मतदाता है।  इनमें 80.55 लाख पुरूष व 66.35लाख महिलायें है। दिल्ली में सभी मतदाताओं की तस्वीर युक्त मतदाता कार्ड व मतदाता सूचि है।
70 विधानसभा सीटों में से 12 आरक्षित सीटें हैे। इस विधानसभा चुनाव में 13750 मतदान केन्द्र है। जबकि 2014 में 11763 मतदान केन्द्र थे। विकलांग व 80 साल से अधिक उम्रदा लोग पोस्टल मतदान का भी प्रयोग कर सकते है।
जहां केजरीवाल एक बार फिर से दिल्ली की सत्ता में वापसी करने ही हुंकार भर रहे हैं वहीं भाजपा मोदी के नाम के सहारे दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की आप को बेताज करके सत्तासीन होने का दावा कर रही है। इन दोनों के बीच कांग्रेस दिल्ली में अपना खाता खोलेने की आश लगाये हुई हैं।
एक सर्वे के अनुसार आप की सीटें घटेगी पर उसे इस बार 59 सीटें मिलेगी जबकि भाजपा को 8 व कांग्रेस को 3 सीटें मिलेगी। 2015 में हुए चुनाव में  67.112 प्रतिशत 67 सीटें जीती व कांग्रेस को 9.7 तथा भाजपा को 32.2 प्रतिशत लेकर 3 सीटें जीती ।
वहीं इस चुनाव के लिए आप व भाजपा दोनों दलों में भी टिकटों के लिए भारी मारामारी है। इन दलों की राजनीति जानने वालों का मानना है कि आज कांग्रेस की टिकट वितरण में गांधीवादी संस्कृति से  भाजपा व आप भी पूरी तरह से घिर चूकी है। इन दलों में भी अब समर्पित कार्यकत्र्ताओं के बजाय गांधीवादी यानी थैलीशाहों को ही वरियता मिलती है। इससे समर्पित कार्यकत्र्ताओं को इस बात की आशा ही नहीं कि ये दल कार्यकत्र्ताओं की सुध तक लेंगे। जहां दिल्ली का चुनाव कोई भी जीते परन्तु देश की राजनीति का अलौकतांत्रिक चेहरा दिल्ली की सत्ता में भी आसीन रहेगा।

निर्वाचन आयोग ने राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली में विधान सभा चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी है। विधानसभा की सभी 70 सीटों के लिए एक ही चरण में 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। नामांकन पत्र 14 से 21 जनवरी तक दाखिल किए जा सकते हैं। इनकी जांच 22 जनवरी को होगी। नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 24 जनवरी है।

कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्‍या 1,47,03,692 है।चुनाव आयोग के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में  14703692 मतदाता है। इनमें 14692136 सामान्य मतदाता औेर 11556 सेवारत मतदाता है।  इनमें 80.55 लाख पुरूष व 66.35लाख महिलायें है। दिल्ली में सभी मतदाताओं की तस्वीर युक्त मतदाता कार्ड व मतदाता सूचि है।
70 विधानसभा सीटों में से 12 आरक्षित सीटें हैे। इस विधानसभा चुनाव में 13750 मतदान केन्द्र है। जबकि 2014 में 11763 मतदान केन्द्र थे। विकलांग व 80 साल से अधिक उम्रदा लोग पोस्टल मतदान का भी प्रयोग कर सकते है।
एक सर्वे के अनुसार आप की सीटें घटेगी पर उसे इस बार 59 सीटें मिलेगी जबकि भाजपा को 8 व कांग्रेस को 3 सीटें मिलेगी
2015 में हुए चुनाव में  67.112 प्रतिशत 67 सीटें जीती व कांग्रेस को 9.7 तथा भाजपा को 32.2 प्रतिशत लेकर 3 सीटें जीती ।

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