दिवंगत साहित्यकार गंगा प्रसाद विमल, बेटी कनुप्रिया सहगल व नाती श्रेयस का एक साथ लोधी रोड़ श्मसानघाट में किया गया अंतिम संस्कार
नई दिल्ली (प्याउ )। 27दिसम्बर को दिल्ली के लोधी रोड श्मशान घाट में सैकड़ों लोगों ने बहुत ही गमगीन माहौल में दिवंगत साहित्यकार गंगा प्रसाद विमल, उनकी बेटी कनुप्रिया सहगल व नाती श्रेयस को एक साथ अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी । डा विमल की चिता को उनके पुत्र ने मुखाग्नि दी। ।
कवि, कथाकार, आलोचक, शिक्षक गंगा प्रसाद विमल का इसी सप्ताह श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक भीषण सड़क दुर्घटना में इंतकाल हो गया ।इस सड़क दुर्घटना में पुत्री कनुप्रिया, नाती श्रेयस और वाहन चालक की भी मौत हो गयी। इस दुर्घटना में उनके दामाद गंभीर रूप से घायल हैं।डा गंगा प्रसाद विमल की बेटी कनुप्रिया सहगल सौंदर्य प्रतियोगिता में मिस इंडिया ब्यूटी पिजेंट,एक सफल माॅडल रही, इसके बाद वह जी टीबी व एनडी टीवी की भी पत्रकार रही। इसके बाद कुनप्रिया ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बी पोजेटिव नाम का एनजीओ संचालित करती थी।
इस दुर्घटना की खबर जैसे ही भारत में पहुंची यहां का साहित्य जगत में स्तब्ध हो कर शोक में डूब गया। अनेक मुख्यमंत्रियों केंद्रीय मंत्रियों साहित्यकारों पत्रकारों बुद्धिजीवियों मैं दिवंगत गंगा प्रसाद विमल के साथ घटित हुई इस त्रासदी पर गहरा शोक प्रकट किया।
दिल्ली के लोधी रोड़ स्थित आर्य समाज द्वारा संचालित श्मसान घाट में वैदिक मंत्रों के साथ हुई उनकी, उनकी बेटी कनुप्रिया व नोती श्रेयस के अंतैष्टि संस्कार में राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व महासचिव जनार्दन द्विवेदी साहित्यकार अशोक चक्रधर, श्याम सिंह शशि, पंकज बिष्ट, मंगलेश डबराल ,प्रदीप पंत, राजा खुगशाल, प्रभाती नौटियाल, डा. उमा प्रसाद थपलियाल, महेश दर्पण, भारतीय भाषा आंदोलन अध्यक्ष देव सिंह रावत व प्रोफेसर अमरनाथ झा,जन आंदोलनों के नेता भूपेंद्र रावत, महिमानंद द्विवेदी, भाजपा नेता श्यामलाल मझेड़ा व विनोद बछेती, आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश के वरिष्ठ नेता बृज मोहन उप्रेती,विदेश सेवा के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी महेश चंद्र, दिल्ली पुलिस के पूर्व सहायक उपायुक्त सतीश शर्मा, पूर्व संयुक्त सचिव जगदीश चंद्रा, पत्रकार चारू तिवारी,विनोद ढौडियाल, डा बिहारीलाल चंद्र जलंधरी, गढवाल हितैषिणी सभा के महासचिव व गढवाली, कुमाउंनी एवम् जौनसारी अकादमी , दिल्ली सरकार के सदस्य व गढ़वाल हितेषी सभा के महासचिव पवन कुमार मैठाणी, प्रसिद्ध रंगकर्मी कुशाल सिंह बिष्ट,कुशाल रावत, समाजसेवी विनोद नौटियाल, साहित्यकार ललित केशवान व दिनेश ध्यानी,पृथ्वी सिंह रावत,डा. मधुकर द्विवेदी , खुशहाल सिंह रावत, डा. सीमा मिश्रा उनियाल , विनोद मनकोटी, विनोद नौटियाल, गिरीश मैठाणी, प्रदीप वेदवाल, शैलेंद्र मैठाणी, डा. हरेंद्र असवाल, देवेन्द्र असवाल, उमाकांत लेखड़ा व नौटियाल जी, एम.सी.शर्मा, अजय बिष्ट, गिरधर रावत, सहित साहित्य जगत के जाने-माने साहित्यकार , विमल जी के दिल्ली विश्व विद्यालय व जवाहरलाल नेहरु विश्व विद्यालय के प्रोफेसर व शिष्य, साथी व परिजनों सहित सैकड़ो लोग उपस्थित थे।
कवि, कथाकार, अनुवादक के रूप में विख्यात रहे बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न डा गंगा प्रसाद विमल की साहित्य रचनाओं में सात कविता संग्रह, चार उपन्यास, ग्यारह कहानी संग्रह, अंग्रेजी में अनुवाद की पाँच पुस्तकें, गद्य में हिंदी अनुवाद की तीन पुस्तकें, आठ के करीब संपादित पुस्तकें, अन्य भाषाओं से अनूदित पुस्तकों में तकरीबन पंद्रह किताबें – जिनमें काव्य और कथा कृतियाँ शामिल हैं। उनके द्वारा तमाम देशों में अनेकानेक शोध पत्र प्रस्तुत किये गए। उन्हें साहित्य और संस्कृति के लिये किये गये विशिष्ट कार्यों के लिये दुनिया भर में अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से नवाजा गया। मुख्य रूप से पोएट्री पीपुल्स प्राइज , रोम में आर्ट यूनीवर्सिटी द्वारा पुरस्कृत, नेशनल म्यूजियम आफ लिटरेचर, सोफिया में गोल्ड मेडल , बिहार सरकार द्वारा दिनकर पुरस्कार, इंटरनेशनल ओपेन स्काटिश पोएट्री प्राईज , भारतीय भाषा पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद शामिल हैं। इसके अतिरिक्त उन्हें ऐसे ही अनेक पुरस्कारों से विश्व भर में सम्मानित किया गया। प्रो विमल ने बी. बी. सी. लंदन से कहानियों का पाठ और ऑल इण्डिया रेडियो से कई बार कविता पाठ किया है। उन्हें अनेक सरकारी, गैर-सरकारी, देशी-विदेशी संस्थाओं एवं संस्थानों की सदस्यता प्राप्त है।
डा विमल की शिक्षा गढ़वाल, हृषिकेश, इलाहाबाद, यमुनानगर एवं पंजाब विश्वविद्यालय जैसी अनेक जगहों पर हुई। जीवन के आरंभिक दौर से ही प्रतिभाशाली और रचनात्मक होने के कारण उनके व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास तमाम साहित्यिक एवं प्रशासनिक क्षेत्रों में हुआ। इन्होंने समर स्कूल आफ लिंगुइस्टिक्स, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद में अध्यापन आरंभ किया। इन्हें डाक्टर आफ फिलॉसॉफी की डिग्री से अलंकृत किया गया। इसी वर्ष इनका विवाह को कमलेश अनामिका के साथ हुआ। डा विमल ने तीन वर्ष रिसर्च फेलो के रूप में पंजाब विश्वविद्यालय में कार्य किया। उन्हे हिंदी भाषा और साहित्य विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय में रहकर अध्यापन किया। जाकिर हुसैन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में तमाम शोधार्थियों के शोध निर्देशक के तौर पर कार्यरत रहे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली में केंद्रीय हिंदी निदेशालय (शिक्षा विभाग) में निदेशक के पद पर रहे। वे नागरी लिपि परिषद् से भी सम्बद्ध रहे। इसके अतिरिक्त कई शब्दकोशों से संबंधित योजनाओं, भाषा ज्ञान संबंधी सामग्री तथा भारतीय भाषा संबंधी नीतियों को जारी करने वाली सरकारी संस्थाओं एवं समितियों में कार्य किया। भारतीय भाषा केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अध्यापन किया तथा यहीं पर विभागाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने अनेक शोधार्थियों को निर्देशित किया है।
दिल्ली निवासी गंगा प्रसाद विमल का जन्म उत्तराखंड के गंगा तट पर बसे उत्तरकाशी में हुआ। टिहरी गढ़वाल मूल के दिवंगत गंगा प्रसाद विमल दिल्ली विश्वविद्यालय व जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य के साथ देश की शीर्ष साहित्यकार भी रहे। भारतीय भाषा जगत में गंभीर और सहृदय साहित्यकार माने जाते थे ।उनकी रचनाओं में हिमालय की गहरी छाप दिखती थी। वे उन चंद साहित्यकारों की जमात में अग्रणी रहे जो राजनीति से हमेशा दूरी बनाए रखते थे ।उन कार्यक्रमों में सम्मिलित नहीं होते थे यहां राजनेता या राजनीति का वर्चस्व हो। डाक्टर गंगा प्रसाद विमल ताउम्र साहित्य को ही समर्पित रहें। संतो के प्रति उनके दिल में गहरी श्रद्धा थी।