26दिसम्बर 2019 को ठंड से ठिठुरते हुए मौसम में भी भारत को अंग्रेजी -इंडिया की गुलामी से मुक्त करके भारतीय भाषायें लागू करने की मांग को लेकर 81माह से सतत् सत्याग्रह कर रहे #भारतीय_भाषा_आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत व लक्ष्मण आर्य के नेतृत्व में #संसद की चौखट से #प्रधानमंत्री_कार्यालय तक #पदयात्रा की।
ज्ञापन में हस्ताक्षर करने वालों में राम जी शुक्ला,मोहन जोशी व अशोक ओझा आदि सम्मलित रहे ।
भारतीय भाषा आंदोलन द्वारा प्रधानमंत्री को दिए गए ज्ञापन का मुख्य अंश
प्रतिष्ठा में,
श्री नरेन्द्र मोदी जी 26दिसम्बर 2019
प्रधानमंत्री
भारत
विषय- सूर्य ग्रहण से कहीं अधिक घातक है भारत के माथे पर 73 साल (1947)से लगे ‘अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी’ के कलंक से तत्काल मुक्त करे मोदी जी!
भारत को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी ’से मुक्ति के लिए भारतीय भाषा आंदोलन के 81माह से सतत सत्याग्रह पर सरकार का शर्मनाक मौन क्यों?(2) ‘शिक्षा, रोजगार, न्याय व शासन से अंग्रेजी की अनिवार्यता हटाने से ही मिलेगी अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति
(3) अंग्रेजी अनिवार्यता मुक्त व भारतीय भाषायुक्त राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की जाय
4)-जब संयुक्त राष्ट्र 6, यूरोपीय संघ-3,स्वीटजरलैण्ड -4, कनाडा-2 भाषाओं में संचालित हो सकता है तो भारत में 3भाषाओं में संचालित करने में परेशानी क्यों, अंग्रेजी की गुलामी क्यों?
(5)अंग्रेजों के जाने के 73 साल बाद भी भारत को अंग्रेजी -इंडिया की गुलामी से मुक्त करके भारतीय भाषायें लागू करने
की मांग को लेकर 74 माह से सतत् सत्याग्रह कर रहे भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत के नेतृत्व में 26दिसम्बर 2019 को संसद की चैखट,
सेे प्रधानमंत्री कार्यालय तक पदयात्रा कर प्रधानमंत्री को ऐतिहासिक ज्ञापन हमारी मांग है कि
(1) सर्वोच्च व उच्च न्यायालयों में अंग्रेजी के बजाय भारतीय भाषाओं में दिया जाय न्याय(2) अंग्रेजी अनिवार्यता मुक्त व भारतीय भाषाओं में भारतीय मूल्यों युक्त सरकार द्वारा पूरे राष्ट्र में एक समान निशुक्ल शिक्षा प्रदान की जाय (3)संघ लोकसेवा आयोग सहित देश प्रदेश में रोजगार की सभी परीक्षाएं अंग्रेजी के बजाय भारतीय भाषाओं में ली जाय। (4) शासन प्रशासन भी भारतीय भाषाओं में संचालित किया जाय। (5) देश के नाम पर लगे इंडिया के कलंक से मुक्ति दिला कर देश का नाम केवल भारत (इंडिया नहीं) ही रखा जाय।(5) राष्ट्रीय धरनास्थल जंतर मंतर पर सतत्(प्रातः11 बजे से सांय 4 बजे तक) धरना प्रदर्शन की इजाजत दी जाय।
मान्यवर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी,
जय हिन्द! वंदे मातरम्, 26दिसम्बर 2019 को भी ‘भारत को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से मुक्त कराने की मांग करते हुए 81 महीने से सत्याग्रह कर रहे भारतीय भाषा आंदोलनकारी, संसद की चैखट से प्रधानमंत्री कार्यालय तक पदयात्रा करके देश को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से तत्काल मुक्ति दिलाने के लिए ज्ञापन सौंप रहा हैं। मोदी जी, आज हमारे सोर परिवार में इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण की बड़ी खगौलिय घटना हुई। इससे होने वाली उथल पुथल की आशंका से पृथ्वी सहित हमारे सोर परिवार के सभी चेतन आशंकित है।परन्तु हमारा साफ मानना है कि इस सूर्य ग्रहण सहित तमाम खगौलिय उथल पुथलों से कहीं अधिक भारत के लिए घातक है , अंग्रेजों के जाने के बाद 1947 यानी 73 साल से भारत माता के माथे पर लगी‘अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी’ का कलंक।इसलिए इस कलंक से भारत को तत्काल मुक्त किया जाना देश ही हर सरकार व हर नागरिक का प्रथम दायित्व है। सबसे हैरानी की बात है े देश की सरकारें व देश के नागरिक इस कलंक को ढौने को ही राष्ट्रभक्ति समझने की भूल कर रहा है। भारतीय भाषा आंदोलन का साफ मानना है कि ‘अंग्रेजी व इंडिया’ की गुलामी से मुक्त होने से ही भारत से मिटेगा लोकशाही,आजादी,मानवाधिकार,विकास,इतिहास व भारतीय संस्कृति के सनातन मूल्यों पर लगा गुलामी का कलंक। पूरे विश्व के प्रबुद्धजन हैरान है कि जब रूस,चीन,जापान,फ्रांस,जर्मन,कोरिया व इजराइल सहित विश्व के सभी देश अपने नाम व अपनी भाषाओं में शिक्षा,रोजगार,न्याय,शासन संचालित करके विश्व में अपना परचम लहरा रहे हैं तो भारत क्यों अंग्रेजों के जाने के 73 साल बाद भी अंग्रेेजों की ही भाषा अंग्रेजी व उनके थोपे गये इंडिया नाम का गुलाम बना हुआ है ?आखिर भारत की क्या मजबूरी है कि अपनी दर्जनों प्राचीन व समृद्ध भारतीय भाषायें एवम अपना गौरवशाली नाम भारत होते हुए भी आक्रांता अंग्रेजों की ही भाषा अंग्रेजी व उनके द्वारा थोपे गये बदनुमा नाम इंडिया की गुलामी को ढो कर खुद को मिटा रहा है?
मान्यवर इस शर्मनाक पतन का मूल कारण यह है कि देश के अंग्रेजों के जाने के 73 साल बाद भी देश के हुक्मरान, नौकरशाह,शिक्षाविद व न्यायविद मन से भारतीय नहीं अपितु आज भी अंग्रेजीयत के गुलाम बने हुए है। इसी कारण अंग्रेजों के जाने के 73 साल बाद भी देश को अपना नाम व अपनी भाषा के साथ अपनी संस्कृति को आत्मसात नहीं कर पाया। अंग्रेजियत मानसिकता के गुलाम हुए देश के राजनैतिक दलों की पहली प्राथमिकता देश नहीं अपितु सत्ता है। इसी कारण देश निरंतर पतन के गर्त में धकेला जाता रहा। इसका ताजा उदाहरण है भारत सरकार द्वारा इसी पखवाडे देश में राष्ट्रांतरण करने के षडयंत्र के तहत भारत में घुसाये गये घुसपेठियों से भारत को मुक्त करने के इरादे से राष्ट्रहित में नागरिकता संशोधन कानून का देश की सत्तालोलुपु राजनैतिक दलों व पाक परस्त भारत विरोधी तत्वों द्वारा जानबुझ कर इसे मुसलमानों व देश के संविधान का विरोधी बताना। इनके भडकाने से देश भर में हिंसक प्रदर्शन इसी षडयंत्र का एक हिस्सा है।
प्रधानमंत्री जी, पूर्व में भारत के भू भाग को विदेशी ताकतों ने षडयंत्र के तहत बनाये गये तीन मुस्लिम देश(अफगानिस्तान,पाकिस्तान व बंगलादेश) बनाये गये। वहां मुस्लिम शासकों की धर्मांधता के दंश से उन क्षेत्रों में रहने वाले बहुसंख्यक मुस्लिम के अलावा अन्य अल्पसंख्यकों को निंरंतर भारी दमन किया जा रहा है, उन प्रताड़ित शरणार्थी भारतीयों को भारत में नागरिकता देने के लिए आपकी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम में संशोधन करने का सराहनीय कार्य कर भारत में घुसपेठ करके राष्ट्रांतरण करने वाले नापाक ताकतों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। वे बौखला कर इसके विरूद्ध हिंसक प्रदर्शन कर रहे है। जबकि देश के तमाम राजनैतिक दलों व प्रबुद्ध जनों को भारत सरकार को इस नेक काम के लिए बधाई देते हुए धर्मांध व आतंकी पाकिस्तान को घोर विरोध करना चाहिए था। परन्तु वे दलीय स्वार्थ व घोर पदलोलुपता के कारण भ्रमित होकर भारत सरकार का हिंसक विरोध कर रहे है। असल में इनका एक ही ऐजेन्डा है कि भारत विभाजन के खलनायक जिन्ना समर्थकों को भी भारत में नागरिकता दिला कर भारत का राष्ट्रांतरण कर पाकिस्तान बना दिया जाय। ऐसे तत्वों पर भारत सरकार तुरंत कठोरता से अंकुश लगाकर देश की रक्षा करें।
(1) भारतीय भाषा आंदोलन का संसद की चैखट से प्रधानमंत्री कार्यालय तक ऐतिहासिक आंदोलन का विवरण-
(क) -21 अप्रैल 2013 से इसी मांग को लेकर जंतर मंतर पर अखण्ड धरना (खद्ध30 अक्टूबर 2018 हरित अधिकरण(ग्रीन ट्रिव्यनलª) की आड़ में सरकार ने जंतर मंतर पर चल रहे इस ऐतिहासिक धरने सहित अन्य आंदोलनों को रौदने व प्रतिबंद्ध लगाने का अलोकतांत्रिक कृत्य किया।
(ख) – पुलिस प्रशासन द्वारा न्यायालय व आंदोलनकारियों को गलत गुमराह किया कि आंदोलन स्थल रामलीला मैदान बनाया गया। जबकि वहां कोई स्थान नियत नहीं किया गया। आंदोलनकारियों ने रामलीला मैदान में धरना देने की कोशिश की तो वहां पर कोई स्थान तय नहीं किया गया। उसके बाद आंदोलनकारी महिनों तक शहीदी पार्क पर आंदोलनरत रहे परन्तु पुलिस ने वहां पर भी परेशान किया।
(ग) 28 नवम्बर 2018 से जंतर मंतर पर भारतीय भाषा आंदोलन का धरना प्रारम्भ (सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जंतर मंतर व वोट क्लब पर आंदोलन करने की इजाजत जारी करने के बाद) पर एक पखवाडे बाद ही दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के अधिकारी द्वारा उत्पीड़न किये जाने के बाद धरना स्थगित ।
(घ) 28 दिसम्बर 2018 से 18 मार्च 2019 तक हर कार्यदिवस पर सर्दी, वर्षा व गर्मी के साथ पुलिसिया दमन को दरकिनारे करके हर कार्य दिवस पर राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर से प्रधानमंत्री कार्यालय तक पदयात्रा व ज्ञापन सौंपने का ऐतिहासिक आजादी का आंदोलन किया।18 मार्च को चुनाव आचार संहिता लगने पर नयी सरकार के गठन तक आंदोलन जारी पर पदयात्रा स्थगित।
(ड़) 30 मई 2019 को नयी सरकार के गठन के बाद 1 जून 2019 से पुन्न जंतर मंतर से प्रधानमंत्री कार्यालय तक पद यात्रा कर ज्ञापन आंदोलन जारी (च)ष्अंग्रेजी व इंडिया की गुलामीष्से मुक्ति पाये बिना न तो भारत में न तो लोकशाही व गणतंत्र स्थापित हो सकता है व नहीं हो सकता है चहुंमुखी विकास
भारतीय भाषा आंदोलन देश को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से मुक्त करने के लिए विगत 21 अप्रेल 2013 से यानी 81 माह से संसद की चैखट से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक सत्याग्रह कर रहे हैं। परन्तु देश की सरकार के कान में जूं तक नहीं रैंग रहा है। इसके बाद भी जिस प्रकार आपकी सरकार ने योग को विश्व में मान्यता दिलाने, तीन तलाक, कश्मीर समाधान, रामजन्मभूमि निर्माण व नागरिकता संशोधन कानून जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाये। उससे हमें आशा है कि आप देश में इस आत्मघाती प्रवृति का मूल कारण इस देश में 73 साल से थोपी गयी अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से मुक्त कर देश की रक्षा करेंगे।
देवसिंह रावत
(अध्यक्ष )
भारतीय भाषा आंदोलन