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नागरिकता संशोधन कानून को मुसलमानों के खिलाफ बताने वाले भारतीय मुसलमानों का सबसे बड़े दुश्मन है- तारिक फतेह

 

देवसिंह रावत

विश्वविख्यात  इस्लामिक विद्वान तारिक फतेह ने उन लोगों को मुसलमान और देश का दुश्मन बताया जो नागरिकता संशोधन कानून को मुसलमानों के खिलाफ बताकर उनको सड़कों पर उतरने के लिए भड़का रहे हैं। तारिक फतेह ने देश के उन तमाम राजनीतिक दलों सहित लोगों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह लोग अपने निहित स्वार्थ के लिए देश में मुसलमानों और हिंदुओं में अलगाववाद फैला कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं इससे देश का भी अहित होगा और मुसलमानों का भी होगा। प्रसिद्ध विचारक तारिक फतेह ने कहा कि लोगों को कानून की जानकारी रखनी चाहिए।

देश के एक खबरिया चैनल जी न्यूज में एक विशेष कार्यक्रम के तहत तारिक फतेह ने कहा कि यह कानून गैर भारतीय नागरिकों को खासकर पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने के लिए बना हुआ है।
तारिक फतह ने कहा कि 1951 में नेहरू और लियाकत खान के बीच में हुए समझौते के अनुसार दोनों देशों में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने के लिए एक समझौता हुआ था आज जो नागरिकता कानून बन रहा है वह देश की मुस्लिम हितों के खिलाफ न होकर कि पाकिस्तान में बंटवारे के समय रहे अल्पसंख्यक हो हिंदू सिख बौद्ध ईसाई पारसी आदि अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करते हुए उनको वहां पर मिल नहीं पड़ता ना को देखते हुए भारत का नागरिकता देने का सराहनीय कार्य भारत सरकार ने किया। तारिक फतह खुद पाकिस्तानी मूल के हैं और फिलहाल कनाडा में रहते हैं। तारिक फतह अक्सर सार्वजनिक मंचों पर पाकिस्तान और कट्टरपंथी इस्लाम की आलोचना करते रहते हैं। तारिक फतह पाकिस्तानी सेना द्वारा ब्लूचिस्तान में किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ भी काफी मुखर रहे हैं।लम्बे समय से भारत की नागरिकता की भी मांग रहे है। इसके साथ वे खुद को भारतीय कहते है। दुनिया में इस्लाम के अंदर फैल रही कट्टरपंथी के सबसे बडे आलौचक भी है। तारिक फतह के अनुसार भारतीय मुसलमानों का हित भारत के साथ है वे जिन्ना की तरह पाकिस्तान का मोह त्यागे। वे इस्लाम में बढती हुई कट्रपंथ के लिए इसी प्रवृति व मुल्लाओं के शिकंजे को जिम्मेदार मानते है। तारिक फतेह लेखक, प्रसारक एवं सेक्युलर उदारवादी कार्यकर्ता हैं। चेजिंग अ मिराजरू द ट्रैजिक इल्लुझघ्न ऑफ ऐन इस्लामिक स्टेट उनकी प्रसिद्ध कृति है। तारिक फतह इस्लामी अतिवाद के खघ्लिाफ बोलने और एक उदारवादी इस्लाम के पक्ष को बढ़ावा देने के लिये प्रसिद्ध हैं।

तारिक फतह के अलावा नागरिकता संशोधन कानून का पुरजोर समर्थन करने वाले आरिफ मोहम्मद खान जो केरल के राज्यपाल भी है ने नागरिकता संशोधन कानून को न्याय व संविधानसम्मत बताते हुए उन लोगों को आडे हाथ लिया जो इसे मुसलमानों के हक हकूकों पर डाका व संविधान विरोधी बता रहे है। आरिफ मोहम्मद खान की गिनती देश के उन शीर्ष नेताओं में होती है जो देश में अंध तुष्टिकरण के खिलाफ है। उन्होने राजीव गांधी सरकार से कबीना मंत्री के पद से उस समय इस्तीफा दे दिया था जब राजीव सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के शाह बानो मामले में दिये गये ऐतिहासिक फैसले को पलट कर मुस्लिम कटरपंथियों की मांग मानते हुए संविधान में संशोधन किया था।
उल्लेखनीय है कि भारत में हाल में बने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जो देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हो रहा है उसके तहत प्रधानमंत्री मोदी के विरोधियों ने देश के मुस्लिम समाज को यह गुमराह किया है कि नागरिकता कानून बनने से मुसलमानों के हितों पर कुठाराघात हुआ हैए यह संविधान की निर्मम मूल भावना के खिलाफ है और इससे देश में रहने वाले मुसलमानों को भविष्य में उनके हकों को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए अधिकांश मुसलमान देश की विभिन्न राज्यों में शहरों में सड़कों पर उतरे हैं ,और हिंसक प्रदर्शन हो रहा है। सरकार ने इस कानून को बनाते समय संसद में और उसके बाद विभिन्न समाचार पत्रों में भी इस प्रकार की अफवाओं का सिरे से निराकरण किया था।  विभिन्न मंचों से खुद प्रधानमंत्री, मोदी व गृह मंत्री अमित शाह सहित सरकार के विभिन्न पदों पर आसीन लोगों ने इस कानून के खिलाफ फैलाए गए भ्रम से मुस्लिम समाज को आश्वस्त किया कि किसी भी प्रकार से यह कानून मुस्लिमों के विरोध में नहीं है।  यह कानून देश में रहने वाली किसी भी नागरिक के खिलाफ नहीं है अपितु उन पीड़ित भारतीयों को नागरिकता देने के लिए है ।जो बंटवारे के समय पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रह गए वहां पर धार्मिक सरकारों ने जो अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान करने के लिए है। जो वचन गांधी जी ने बंटवारे के समय दिया था, जो समझोता नेहरू व लियाकत के मध्य हुआ था, जो कांग्रेस ने आजादी के समय संकल्प लिया था व इसके अलावा देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन ने पाक में पीड़ित अल्प संख्यकों को दिया था वह संकल्प मोदी सरकार ने पूरा किया तो खुद कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने जनता को खासकर मुसलमानों को भारी गुमराह कर लोगों को सडकों पर उतरने के लिए भडकाया। उससे देश की छवि व अमन चैन को ग्रहण लग गया।
संविधान की धारा 14 के अनुसार
प्रधानमंत्री ने भी 22 दिसम्बर को रामलीला मैदान में अपने संबोधन में नागरिकता संशोधन कानून पर देश के मुस्लिम समाज को आश्वस्त किया कि यह कानून मुस्लिम शहीद देश के किसी भी नागरिक के अधिकारों के खिलाफ नहीं है वही देश के प्रबुद्ध मुस्लिम लोगों ने इसको देश के मुस्लिम समाज सहित किसी भी नागरिक के खिलाफ न होने की बात कहकर मुस्लिम समाज में स्वार्थी राजनीतिक दलों द्वारा फैलाए गए अफवाहों को दूर करने का प्रयास किया

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