उत्तराखंड को हिमाचल की तरह खुशहाल,आत्मनिर्भर व पलायन मुक्त बनाने के लिए परमार की तरह फलोद्यान व बागवानी मेें काम करें व करायें राजनेता।
उत्तराखंड के सभी राष्ट्रीय व प्रांतीय दल अपने सांसदों, विधायकों, त्रिस्तरीय पंचायत पदाधिकारियों व कार्यकारिणी के पदाधिकारियों से खुद फलोद्यान बागवानी करने का अनिवार्य फरमान जारी करें
देव सिंह रावत
कल 13 दिसंबर की सायं काल 5:00 बजे कि जब मैं प्रधानमंत्री कार्यालय से ही भारतीय भाषा आंदोलन का ज्ञापन देकर प्रेस क्लब में गया तो वहां पर मेरी यकायक भेंट अपने बाल सखा गोपाल उप्रेती से हुई।
गोपाल उप्रेती जो दिल्ली में एक सफल भवन निर्माता है ,पर उनका जुड़ाव हमेशा अपने गांव में रहा ।उन्होंने अल्मोड़ा जनपद स्थित ताडीखेत विकासखंड की बिलेख गांव में ग्वेल देवता का मंदिर का निर्माण भी किया ।उस निर्माण की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मुझे भी सम्मलित होने का अवसर मिला था। इसके बाद गोपाल उप्रेती ने रानीखेत क्षेत्र में ही एक विशाल सेब का ऐसा बगीचा लगाया कि जो पूरे उत्तराखंड में नहीं भारत की उद्यान विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के बीच भी एक अच्छा प्रेरणादायक उदाहरण स्थापित हो गया । उनके इसी सराहनीय कार्य के लिए उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार ने उन्हें उत्तराखंड में उद्यान पंडित के सम्मान से सम्मानित किया। अभी हाल में हुए लखनऊ में भी अखिल भारतीय स्तर की उद्यान समारोह में वे अपना परचम लहरा चुके हैं।
वह हर साल अपने उद्यान से लाखों रुपए के सेब का उत्पादन करने के साथ-साथ सब्जियां इत्यादि का भी उत्पादन करते हैं।कई लोगों को रोजगार भी देते हैं।
प्रेस क्लब में साहित्यकार नीरज बगवाड़ी और वरिष्ठ पत्रकार सुनील नेगी के साथ हरी चाय की चुस्कियां लेते हुए गोपाल उप्रेती ने मुझसे आग्रह किया कि आप उत्तराखंड के तमाम राजनेताओं से मिलते रहते हैं ,कृपया सभी नेताओं से यह भी आग्रह करें कि सब अपने अपने गृह जनपद या गांव में फलोद्यान व बागवानी का एक आदर्श स्थापित करें। इससे उत्तराखंड में जहां रोजगार मिलेगा वही उत्तराखंड की पलायन की समस्या भी काफी हद तक दूर होगी ।जो काम हिमाचल में परमार ने फलोद्यान और बागवानी को बढ़ावा देकर हिमाचल को विकसित व आत्मनिर्भर बनाया ।वह काम हमारे तमाम राजनीतिक दल बखूबी से कर सकते हैं। केवल एक फरमान
सभी राजनीतिक दलों के आका अपने सभी पदाधिकारियों, सांसदों, विधायकों व त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को जारी करें कि वे अपने अपने गांव या क्षेत्र में ऐसा फलोद्यान व बागवानी लगाए जिससे लोगों को एक प्रेरणा मिले और रोजगार मिले।
मैंने कहा गोपाल आप बहुत सुंदर बात कर रहे हैं मेरे बजाय अगर यह बात आप कहें तो लोग उनका अनुसरण करेंगे क्योंकि आपने एक बहुत सफल प्रेरणादायक उद्यान स्थापित किया है।
अगर मैं लोगों को यह प्रस्ताव दूंगा तो वे मुझसे यही सवाल करेंगे कि रावत जी आपने कोई फलोद्यान या बागवानी का बगीचा लगाया कि नहीं।
मैंने गोपाल से कहा गोपाल मैं सभी प्रमुख राजनेताओं को जानता हूं परंतु सबसे मेरा 36 का आंकड़ा है। क्योंकि सभी राजनेताओं ने उत्तराखंड के हक हकूकों और सम्मान के साथ न्याय नहीं किया। उत्तराखंड के चौमुखी विकास और राज्य गठन की जन आकांक्षाओं के प्रतीक राजधानी गैरसैण का निर्माण नहीं किया। नहीं मुजफ्फरनगर कांड के गुनाहगारों को सजा देने का काम किया। नहीं प्रदेश में जनसंख्या पर आधारित विधानसभा परिसीमन पर अंकुश लगाया। इसके साथ नहीं प्रदेश में सुशासन ही स्थापित किया।
गोपाल उप्रेती की यह बात मुझे हमेशा ही बेहतर लगती है। क्योंकि वे केवल कहते ही नहीं,अपितु खुद उस पर अमल भी करते हैं ।भले ही वे आज भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के बहुत करीबी मित्रों में से है और प्रदेश कार्यकारिणी की भी सदस्य हैं ।इसके बावजूद वे प्रदेश भाजपा से यह फरमान जारी नहीं करा पाए तो मैं तो किसी पार्टी का दो पैसे का मेंबर भी नहीं हूं ।हां पत्रकार हूं ,मैं सोशल मीडिया से लेकर प्यारा उत्तराखंड में इस आशय का आह्वान जरूर कर सकता हूं। पर प्रेरणा लोगों को तब मिलती है जब उस काम के लिए मैं खुद एक प्रयोगात्मक रूप से काम करूं ।मुझे मालूम है प्रकृति ने मुझे
कुरुक्षेत्र में अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने का जन्मजात प्रवृत्ति प्रदान की है। किसी पद या दल की कोई आकांक्षा नहीं,स्व व पर, जय पराजय, हानि लाभ, यश अपयश से परे भगवान श्री कृष्ण की निष्काम कर्म योग का राही हूं।
प्रदेश, देश व विश्व में सुशासन स्थापित हो। सब के कल्याण के लिए कार्य करने वाली सरकारों का गठन हो।
मैंने गोपालो उप्रेती से यह भी कहा कि गोपाल, इंसान एक छोटा-मोटा उदाहरण सामने रख सकता है। परंतु देश प्रदेश और विश्व को सबके लिए सुशासन स्थापित करने का काम शासक तंत्र ही कर सकता है। इसलिए देश में तभी अमन-चैन और विकास स्थापित रह सकता है, जब मजबूत सकारात्मक और विकासोनुमुख सरकार हो। नहीं तो सुशासन तंत्र के जाते ही विकास के परचम लहराने वाला सोवियत संघ, लीबिया, मिस्र और सीरिया किस प्रकार ताश के पत्तों की तरह ढह गये ।हमें यह नहीं भूलना चाहिए देश,समाज व व्यक्ति तभी विकास कर सकता है। जब मजबूत सुशासन तंत्र हो ।इसके बिना समाज में कलह अशांति और अराजकता विकास की अट्टालिकाओं को भी ध्वस्त कर देता है।
हिमाचल में भी खुशहाली का जो वर्तमान ढांचा चार दशक से दिखाई दे रहा है उसके पीछे परमार से लेकर वीरभद्र तक की मजबूत प्रदेश हित रक्षक सुशासन तंत्र ही रहा। गोपाल का अपने गृह जनपद अल्मोड़ा की रानी किस क्षेत्र में उद्यान का एक सफल प्रयोग प्रदेश के उन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है
गोपाल उपरेती का एक आवाहन है कि जो उत्तराखंडी 5-10, 20-50 हजार की नौकरी के लिए देश परदेश में दर दर की ठोकरें खा रहे हैं ।प्रदूषण भरा जीवन जी रहे हैं ।ऐसे नारकीय जीवन जी रहे हमारे युवा वह गांव में रोजगार के लिए भटक रहे युवा अगर सच में अमीर बनना चाहते हैं, खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं ,तो अपने खेत खलिहान में अपने गांव जनपद में उद्यान व बागवानी का काम करें ।मुझे पूरा विश्वास है एक दशक में ही न केवल उनकी अपितु उत्तराखंड की भी तकदीर बदल जाएगी तस्वीर बदल जाएगी जिस प्रकार हिमाचल का पर्वतीय क्षेत्र, खुशहाल है, संपन्न है, जीवन का अलौकिक आनंद ले रहा है, अपराध मुक्त है । उसी प्रकार और उससे भी बेहतर का वातावरण उत्तराखंड में हो सकता है ।प्रकृति ने हमें वरदान रूप ऐसा भौगोलिक परिस्थितियां दी है ।हम उससे अनजान शहरों की खाक छान रहे हैं ।
गोपाल की बातों में बहुत कुछ सच्चाई है। अगर उत्तराखंड में परमार व वीरभद्र सा नेतृत्व मिले तो यह सब साकार हो सकता है ।
सरकारें जितना पूरा जोर घर-घर शराब पहुंचाने और देहरादून में डेरा डालने में लगा रही है ,अगर उतना जोर प्रदेश की राजधानी गैरसैण बनाकर उद्यानीकरण व बागवानीकरण करने में लगाती, तो उत्तराखंड की दिशा और दशा में आमूल परिवर्तन होकर, देश का सर्वश्रेष्ठ पलायन रहित हिमाचल की तरह खुशहाल राज्य बनता ।मुझे मालूम है कि आने वाली 20-25 सालों में जब महानगरों का वातावरण नारकीय हो जाएगा, तब उत्तराखंड की इन कंदराओं में ही संसार में जीवन दायिनी वातावरण मिलेगा।