झारखण्ड विधानसभा चुनाव के पहले चरण में हुआ 64.5 प्रतिशत मतदान
23 दिसम्बर को आयेगा झारखण्ड विधानसभा चुनाव का परिणाम
30 नवम्बर ,7दिसम्बर, 12 दिसम्बर,16 दिसम्बर व ,20 दिसम्बर को 5 चरणों में होगा मतदान
नई दिल्ली(प्याउ)। 30 नवम्बर को झारखण्ड विधानसभा के पांच चरणों में हो रहे चुनाव के अंतर्गत पहले चरण का मतदान होने के बाद झारखण्ड सहित पूरे देश के सियासतदान इस बात से आशंकित है कि कहीं हरियाणा व महाराष्ट्र की तरह भाजपा की झारखण्ड चुनाव में 65 पार की हुंकार भी ढ़पोर शंख साबित न हो! झारखण्ड में सत्तारूढ भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए जिस प्रकार से एकजूट है उसे देखकर इस आशंका पर बल मिलता है। खासकर जिस प्रकार से हरियाणा की गद्दी भाजपों के हाथों से फिसलते फिसलते रह गयी। वहीं महाराष्ट्र में भाजपा की वर्षो से साझेदार रही शिवसेना ने चुनाव परिणाम आने के बाद शिवसेना को मुख्यमंत्री पद देने की ऐसी हट लगायी कि उससे न केवल शिवसेना ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ कर राकांपा व कांग्रेस से हाथ मिला कर न केवल मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हो गया। अपितु भाजपा की पूरे देश में भारी किरकिरी करा दी। महाराष्ट्र में भाजपा को ऐसा झटका लगा कि उसके तमाम सियासी दाव थोथरे साबित हुए। वहीं झारखण्ड में भी भाजपा का साझेदार झारखण्ड स्टेडेंट यूनियन भी भाजपा का दामन छोड कर अलग ही चुनाव लड रहा है। इससे भाजपा के रणनीतिकार भी परेशान है। प्रथम चरण में भारी मतदान से सत्तारूढ़ भाजपा के कान खेडे हो गये।
81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा चुनाव में 30 नवम्बर को पहले चरण कीें 13 सीटों पर कुल 64.4 प्रतिशत मतदान हुआ। उल्लेखनीय है कि गत माह भारत के निर्वाचन आयोग ने झारखंड विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजा दी। इस ऐलान के साथ झारखण्ड में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है। भारत के निर्वाचन आयोग ने 1 नवम्बर को 81 सदस्यीय झारखण्ड विधानसभा के आम चुनाव का ऐलान किया। इसके तहत 30 नवम्बर ,7दिसम्बर, 12 दिसम्बर,16 दिसम्बर व ,20 दिसम्बर को पांच चरणों में होगा मतदान। इन 5 चरणों में हुए मतदान के परिणाम 23 दिसंबर को घोषित किये जायेंगे। झारखण्ड विधानसभा के चुनावों की रणभेरी मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने संवाददाता सम्मेलन में बजाते हुए यह ऐलान किया।
संवाददाता सम्मेलन में मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने जानकरी दी कि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2020 को खत्म होगा। उल्लेखनीय है कि झारखण्ड की 81 विधानसभाई सीटों में से 67 सीटें (19 जिले)नक्सल प्रभावित हैं।
81 सदस्यीय झारखण्ड की वर्तमान स्थिति के तहत भाजपा-37, झामुमो-19,कांग्रेस-6, जेएसयू-5 व अन्य 14 है।
इस चुनाव में जहां भाजपा वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी का डंका बजा रही है। भाजपा झारखण्ड चुनाव में ऐलान कर रही है कि इस चुनाव में वह 65 सीटों को जीत कर अपना परचम लहरायेगी। उल्लेखनीय है कि झारखण्ड में सत्तारूढ भाजपा की चुनावी सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (एजेएसयू) थी। वहीं विपक्ष भी भाजपा को झारखण्ड के चुनाव में सत्ता से बेदखल करने के लिए गठबंधन को मूर्त रूप देने में जुटी है। इसके लिए झारखण्ड मुक्ति मोर्चे के अध्यक्ष हेमंत सोरेन बदलाव के लिए सघन यात्रा कर रहे है। वहीं कांग्रेस ने झामुमो के साथ गठजोड बनाने का भी प्रयत्न कर रही है। कांग्रेस ने झारखण्ड की कमान आदिवासी नेता रामेश्वर उरांव को सौंप कर भाजपा पर निशाना साध रही है। भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की विपक्ष की सांझी मुहिम को करारा झटका बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम ने अकेले चुनावी ताल ठोकने की हुंकार भर कर लगा दी। हरियाणा व महाराष्ट्र चुनाव में स्पष्ट बहुमत अर्जित न कर सकने वाली भाजपा की झारखण्ड चुनाव में होगी अग्नि परीक्षा।
हालांकि हरियाणा में पर्याप्त बहुमत अर्जित न करने के बाबजूद भाजपा ने जजपा से गठजोड़ करके सत्तासीन होने में सफल हो गयी परन्तु हरियाणा में भी चुनाव पूर्व भाजपा का अबकी बार 75 पार का नारे को छूना तो रहा दूर पर्याप्त बहुमत यानी 46सीटें भी अपने दंम पर नहीं जीत पायी। ठीक ऐसी ही हालत महाराष्ट्र चुनाव में हुआ। यहां भी भाजपा भले ही शिवसेना के गठजोड़ के साथ पूर्ण बहुमत ले आयी परन्तु खुद 105 सीटों पर ऐसी सिमटी की शिवसेना ने इसका लाभ उठाते हुए वहां पर मुख्यमंत्री का दावा ठोक दिया। इस कारण से महाराष्ट्र में मतदान परिणाम घोषित होने के एक सप्ताह बाद भी कोई भी सरकार नही बना पाया। चुनाव परिणाम ही बतायेंगे कि झारखण्ड में भाजपा का 65 पार की हुंकार सही थी या हरियाणा की तरह ढ़पोर शंख साबित होगी। इसकोे साकार करने के लिए भाजपा को कडी मेहनत करनी होगी।