जो राजधानी गैरसैंण बनाये, मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा दिलाये, नौकरियों में 80 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को प्रदान करे, उतराखण्डी हक हकूकों की रक्षा कर सुशासन स्थापित करे
महाराष्ट्र के गौरव व विकास की रक्षा के लिए समर्पित उद्धव ठाकरे नेतृत्व वाली शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस गठबंधन की महाराष्ट्र विकास अघाडी सरकार
ने प्रदेश में नौकरियों में80 प्रतिशत महाराष्ट्री लोेगों को आरक्षित करने का किया ऐलान
देवसिंह रावत
जैसे ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने शपथ ग्रहण करने के बाद महाराष्ट्र के गौरव के प्रतीक शिवाजी महाराज के किले के जीर्णोधार करने व नौकरियों में 80 प्रतिशत महाराष्ट्र के स्थानीय युवाओं को प्रदान करने की हुंकार भरी तो यह सुन कर उतराखण्ड के लोगों के मन में एक बात प्रमुखता से उठी कि काश एक ठाकरे सरकार उतराखण्ड में भी सत्तासीन होती जो उतराखण्ड राज्य गठन की जनांकांक्षाओं,सम्मान व प्रदेश के युवाओं को रोजगार देने के लिए काम करती। यह जगजाहिर है कि उतराखण्ड की जनता राज्य गठन के बाद 19 साल की भाजपा व कांग्रेस सहित अन्य दलों की सरकारों द्वारा प्रदेश गठन की जनांकांक्षाओं, राजधानी गैरसैंण न बनाने, मुजफरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को दण्डित न करने, प्रदेश में जनसंख्या पर आधारित विधानसभा परिसीमन को थोपने, प्रदेश के युवाओं को रोजगाद प्रदान करने के बजाय बाहरी लोगों को यहां रोजगार में प्राथमिकता देने, प्रदेश में शराब, भ्रष्टाचार व घुसपेटियों को बढावा देने सहित प्रदेश के हक हकूकों को निर्ममता से रौंदने वाले कुशासन से बेहद परेशान है। प्रदेश की जनता चाहती है कि कोई ऐसा ठाकरे की तर्ज में एक मुख्यमंत्री मिले जो दिल्ली दरवार के आकाओं की सत्ता की बंदरबांट के बजाय प्रदेश की जनांकांक्षाओं को साकार करने का काम करे।
उल्लेखनीय है कि तमाम अवरोधों को दरकिनारे करके आखिरकार 28 नवम्बर की सांयकाल हजारों लोगों से खचाखच भरे शिवाजी पार्क में करतल ध्वनि व जय शिवाजी जय महाराष्ट्र की गगनभेदी उदघोष के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलायी। मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद जिस प्रकार से शिवाजी महाराज के बाद महाराष्ट्र के गौरव का परचम लहराने वाले बाला साहब ठाकरे के 59 वर्षीय सुपुत्र शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शिवाजी पार्क व महाराष्ट्र सहित देश विदेश में उत्साही अपने समर्थकों को यानी जनता जनार्जन को सष्टांग प्रणाम करके सबका मन मोह लिया। विगत एक माह से जिस प्रकार से केन्द्रीय सत्ता में आसीन भारतीय जनता पार्टी ने तमाम अवरोध खडे करके शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनने रोकने के प्रयास किये। परन्तु शिवसेना को जिस प्रकार से महाराष्ट्र की गद्दी में आसीन होने के लिए राकांपा के प्रमुख शरद पवार व कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी का साथ मिला,उससे ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पद पर उद्धव ठाकरे के आसीन होनेे का सपना साकार हो सका। इसके लिए राकांपा व कांग्रेस के साथ शिवसेना ने एक सांझा सरकार महाराष्ट्र विकास अघाडी के बैनर तले बनायी। जिसकी प्राथमिकता महाराष्ट्र के त्वरित विकास के साथ लोकशाही की रक्षा करना।
28 नवम्बर को शिवाजी पार्क में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 59 साल के उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री तथा शिवसेना के एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई, एनसीपी के जयंत पाटिल और छगन भुजबल, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट और नितिन राउत ने भी मंत्री पद की शपथ दिलाते ही शिवाजी पार्क जय शिवाजी जय महाराष्ट्र के उदघोषों से गूंज उठा।
महाराष्ट्र में शपथ ग्रहण करने के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में मंत्रीमण्डल की बैठक हुई। इस बैठक में कि राज्य में महाराष्ट्र विकास अघाडी सरकार ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत किसानों का कर्ज माफ करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि नौकरियों में 80 फीसदी आरक्षण युवाओं और स्थानीय निवासियों के लिए हो। रोजगार, किसान, स्वास्थ्य और महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। स्थानीय मूल निवासी युवाओं को 80 फीसदी नौकरियों के लिए कानून बनाने का भी फैसला किया गया है। ठाकरे सरकार को ेसंचालित करने के लिए महाराष्ट्र विकास अघाडी ने जो न्यूनतम सांझा कार्यक्रम बनाया है उस पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के हस्ताक्षर हैं। यह गठबंधन संविधान में वर्णित किए गए धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को लेकर प्रतिबद्ध है।
शिवसेना के तीसरे व ठाकरे परिवार के पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की इस शपथ समारोह में राकांपा प्रमुख शरद पवार से लेकर महाराष्ट्र के अधिकांश जीवित पूर्व मुख्यमंत्री सम्मलित थे। इसके अलावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ, देश के वरिष्ठ उद्योगपति मुकेश अंबानी सपरिवार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल व राज ठाकरे से अनैक प्रतिष्ठित लोग उपस्थित थे।
उद्धव की ताजपोशी में जिस प्रकार से शिवसैनिक, राकांपा व कांग्रेस के झण्डों से पूरा शिवाजी पार्क भी जनसमुद्र बन हिलोरें ले रहा था, ऐसा दृश्य देखकर इस शपथ समारोह में उपस्थित राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी व पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस उस पलों को स्मरण अवश्य कर रहे होंगे जब कुछ ही दिन पहले अचानक सुबह 8 बजे राजभवन में राज्यपाल ने आनन फानन में देवेन्द्र फडनवीस को मुख्यमंत्री व अजित पवार को उप मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई । जिस पर महाराष्ट्र सहित देश की राजनीति में एक सियासी तूफान सा उमड गया। जिस तूफान के भंवर में फंस कर न केवल देवेन्द्र सरकार को सर्वोच्च न्यायालय ने शक्ति परीक्षण का ऐसा झटका दिया कि सर्वोच्च न्यायालय से लेकर महाराष्ट्र में पूर्ण बहुमत की हुंकार भरने वाली भाजपा विधानसभा में शक्ति परीक्षण का सामना करने का साहस नहीं जुटा पायी और शक्ति परीक्षण की बात सुनने के चंद घण्टों में ही इस्तीफा देकर खुद को बेनकाब ही कर दिया। इस प्रकरण से भाजपा की काफी किरकिरी हुई। वहीं शिवसेना का उत्साह राकांपा व कांग्रेस के साथ मिलने से सातों आसमान पर दिखने लगा। इस प्रकरण से लोग भाजपा नेतृत्व की शिवसेना का मुख्यमंत्री पद न देने की हटधर्मिता को दोषी ठहरातेे हुए कह रहे थे कि जब भाजपा माया व महबूबा जैसे विरोधियों को सत्तासीन कर सकती है तो उसे मात्र ढाई साल अपने दशकों की सहयोगी रही शिवसेना को मुख्यमंत्री पद देने से क्या परेशानी हो रही थी।
उतराखण्ड के दूसरे मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के दिलो दिमाग को महाराष्ट्र की राजनीति में महाराष्ट्र के लिए समर्पित राजनेताओं व सरकार के कार्यो को देख कर जरूर यह टीस उठती होगी कि काश हमारे उतराखण्ड में भी ऐसी राजनीति होती। यह जग जाहिर है कि उतराखण्ड के नेताओं को न तो उतराखण्ड के मान सम्मान का जरा सा भी भान रखते व नहीं इन्हीं उतराखण्ड की जनांकांक्षाओं की जरा सी भी परवाह है। ये नेता मात्र अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिए दलीय बंधुआ मजदूर से बने रहते है। काश महाराष्ट्र के प्रकरण से उतराखण्डी नेता, सरकार व सामाजिक संगठन सबक लेते। उतराखण्ड संस्कृति की रक्षा के लिए मात्र नाच गाना इत्यादि खेल तमाशा करने व जनांकांक्षाओं को रौंदने वाले नेताओं को फूल माला पहनाने में रत रहने वाला उतराखण्डी समाज को महाराष्ट्र प्रकरण से सबक लेना चाहिए। तभी उतराखण्ड आबाद होगा।