भाजपा की सरकार गठन पर सर्वोच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को 25 नवम्बर को 10.30बजे सभी दस्तावेज रखने का आदेश
नई दिल्ली(प्याउ)। सर्वोच्च न्यायालय ने 24 नवम्बर की सुबह 11.30 बजे महाराष्ट्र सरकार निर्माण के मामले में उपजे मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया कि भाजपा के सरकार गठन पर सर्वोच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को 25 नवम्बर को 10.30बजे सभी दस्तावेज रखने का आदेश दिया। न्यायालय ने कल ही विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने की शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस की मांग को एक प्रकार से नकार कर एक दिन के लिए देवेन्द्र सरकार को जीवनदान दे दिया। परन्तु कल न्यायालय इस पर अपना फैसला देगा।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, बी रमना व संजीव खन्ना की पीठ ने पूरे मामले को सुनने के बाद अपना फैसला सुनवाया। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनने की तैयारियों के बीच यकायक 23 नवम्बर की तड़के 8.03बजे भाजपा के देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री व राकांपा के अजीत पवार को उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने से महाराष्ट्र सहित पूरे देश में एक सियासी भूचाल सा आ गया। इस खबर सुन कर भी जहां भाजपा के समर्थक गदगद हो गये वहीं पूरे देश में आम जनमानस जोर जबरदस्ती सरकार बनाने की कार्य को स्वच्छ राजनीति पर एक ग्रहण मान रहे है। सांय होते होते राकांपा के 5 विधायकों को छोड़ कर सांय होते होते अन्य सभी विधायकों ने अजीत पवार के बजाय शरद पवार के साथ खडे हो गये। इसके बाद शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस ने संयुक्त रूप से सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा जबरन सरकार बनाने की कार्यवाही को असंवैधानिक बताया । तीनों दलों की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पक्ष रखते हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल व अभिषेक मन सिंघवी ने न्यायालय से मांग की कि तुरंत महाराष्ट्र में भी कर्नाटक में सरकार गठन पर सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैेसले की तरह 24घण्टे के अंदर शक्ति प्रदर्शन करने की गुहार लगाई। इससे महाराष्ट्र में सत्ताधारी भाजपा किसी प्रकार से सत्ता में काबिज होने के लिए बडे स्तर पर खरीद फरोख्त व धमकाने का काम होगा। इसके साथ न्यायालय में यह भी बताया कि राज्यपाल ने सरकार बना दी परन्तु विधानसभा पटल पर बहुमत साबित करने का समय भी नहीं दिया। न्यायालय में तीनों दलों के अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया कि उनका गठबंधन इसी समय भी विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध कर सकते हैं। परन्तु राज्यपाल ने मध्य रात्रि में तमाम आंकडों को दरकिनारे करके अल्पमत की सरकार जबरन आनन फानन में स्थापित की गयी। वहीं रात को ही इससे पहले महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन को हटाने की अधिसूचना केन्द्र सरकार ने जारी किया। यानी सब आनन फानन में किया गया।
सुनवाई करते समय न्यायमूर्ति रम्मना ने (अधिवक्ता रोहतगी के राज्यपाल किसी को भी नियुक्त कर सकता है। और राज्यपाल न्यायपालिका सवाल नहीं उठा सकती है, के प्रश्न उठने पर) कहा कि राज्यपाल अचानक किसी को भी नियुक्त नहीं कर सकता। इस पर रोहतगी ने कहा कि न्यायपालिका व विधायिका को एक दूसरे के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अधिवक्ता ने मांग की कि हमें जवाब देने के लिए 2-3 दिन का समय देने की मांग की।
सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने रविवार के दिन इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। अधिवक्ता रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल की तरफ से नहीं अपितु भाजपा के कुछ विधायकों ंकी तरफ से यहां पर अपनी बात कर रहा हूॅ। श्री रोहतगी ने कहा कि राजनैतिक दलों को ऐसी फरियाद करने का हक नहीं। व्यक्ति या जनप्रतिनिधी फरियाद कर रहे है। सिंघवी ने न्यायालय में 24 घण्टे में ही कर्नाटक की तर्ज पर विधानसभा में शक्ति परीक्षण किया जाय। न्यायालय सबसे वरिष्ठ विधायक अस्थाई अध्यक्ष बना कर सांय चार बजे तक विधायकों को शपथ ग्रहण कराये व उसके बाद एक घण्टे में शक्ति परीक्षण किया जाय। इसके साथ अधिवक्ता ने गोवा व उतराखण्ड में हुए इसी प्रकार के प्रकरण पर दिये गये फैसले को नजीर बनायी जाय। इसके साथ शक्ति परीक्षण का पूरी कार्यवाही का विडियो रिकार्डिग कराने के साथ सीधा प्रसारण किया जाय।
गतमाह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम के अनुसार 288 विधानसभा सदस्यों में से भाजपा को 105, शिवसेना को 56, राकांपा को 54, कांग्रेस 44 व शेष अन्य है।