महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने पर भ्रांतियां फैला रहा है विपक्ष। आज भी किसी के पास बहुमत हो तो राज्यपाल के पास जाये और अपना बहुमत का संख्या बताये- केन्द्रीय गृहमंत्री शाह
नई दिल्ली(प्याउ)। महाराष्ट्र की तेजी से बदलती हुई राजनीति में एक बात का साफ संकेत दे रही है कि महाराष्ट्र में पवार की राकांपा व भाजपा की सरकार बन सकती है। जिस प्रकार से गृहमंत्री अमित शाह ने इस बात का रहस्योदघाटन किया कि 12 नवम्बर की दोपहरी में राकांपा द्वारा राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को पत्र भेज कर घोषणा कर दी थी कि राकांपा सांय 8.30 बजे तक सरकार बनाने के आंकडे नहीं जुटा सकती। इसलिए दोपहरी में ही राज्यपाल ने सरकार को पत्र लिखा कि कोई भी दल महाराष्ट्र में सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। इसलिए केन्द्रीय मंत्रीमण्डल ने दोपहर में ही राष्ट्रपति से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुरोध किया।
महाराष्ट में भाजपा व राकांपा की सरकार बनने का दूसरा महत्वपूर्ण संकेत तब मिले जब 11 नवम्बर को सांयकाल तक कांग्रेस का समर्थन न मिलने के शिवसेना का दावा विफल होने का टीकरा राकांपा के नेता अजित पंवार ने कांग्रेस के सर पर फोडा तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रहस्योदघाटन किया कि 11 नवम्बर को शरद पवार ने फोन करके सूचित किया कि अभी तक महाराष्ट्र में कुछ भी साफ नहीं है। इसीलिए कांग्रेस ने पवार की बात पर विश्वास करके शिवसेना को समर्थन देने का ऐलान नहीं किया।
वहीं शिव सेना के साथ होने वाले गठजोड़ वाली सरकार पर 13 नवम्बर की रात को होने वाली कांग्रेस के साथ राकांपा की महत्वपूर्ण बैठक को ही राकांपा ने रद्द कर दी।
इस प्रकार राकांपा के समर्थन से भाजपा की बनने वाली सरकार की एक साफ तस्वीर बन रही है। वहीं इस सरकार को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है नारायण राणे । जो भाजपा के भले ही इन दिनों बडे नेता है परन्तु वे असल में शिव सैनिक रहे। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री भी रहे नारायण राणे। वे कांग्रेस में भी रहे। उनका दावा है कि उन्होने शिवसेनिक के रूप में साम दाम दण्ड भेद की राजनीति में दक्ष हैं और हर हाल में भाजपा की ही सरकार बनेगी। इस प्रकार राजनीति में यह साफ हो गया कि सामने तो शिव सेना, राकांपा व कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनाने की तैयारियां हो रही है वहीं पर्दे के अंदर पवार जो कदम उठा रहे है उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शिवसेना दोनों सहयोगियों को ऐसी मात देगी कि महाराष्ट्र में सरकार बनेगी तो पवार की राकांपा के समर्थन से भाजपा की।
आखिर लोग भले ही न समझे कि पवार की क्या मजबूरी है भाजपा की सरकार को समर्थन देने की। जिस प्रकार केन्द्र सरकार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल व अन्य नेताओं पर केन्द्रीय ऐजेन्सियों के निशाने पर रहे। पवार एक चतुर नेता है वे नहीं चाहते कि लालू व चिदम्बरम की तरह उनका बुढापा शिकंजो में बर्बाद हो। इसक साथ वे ये भी समझते है लम्बे समय में विपक्ष में रह कर वे अपने दल को मजबूत नहीं रख सकते। दल को मजबूत बनाने के लिए सत्तासीन होना जरूरी है। महाराष्ट्र के इस त्रिशंकु जनादेश के स्वर्णीम अवसर को पवार जैसे चतुर राजनेता अपने हाथों से केसे बाहर जाने देंगे। अपने विरोधियों का मात दे कर सत्तासीन होना यही आज के जमाने के चतुर नेता की पहचान होती है। इससे यह भी साफ हो गया कि राजनीति में न कोई मित्र होता है व नहीं शत्रु। जिसका दाव लग गया वही सिकंदर होता है।
वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर शिवसेना, रांकापा आदि विपक्षी दलों को सरकार बनाने का पर्याप्त समय न दे कर राष्ट्रपति शासन लगाने के विपक्षी दलों के आरोप को सिरे से नकारते हुए गृहमंत्री व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने विपक्षी दलों पर संविधान का मजाक उडाने की राजनीति करने पर कड़ी भत्र्सना करते हुए खुली चुनौती दी है कि अगर आरोप लगाने वालों के पास आज भी सरकार बनाने का बहुमत है तो वह राज्यपाल के पास जा कर सरकार बना सकती है। अमित शाह ने साफ शब्दों में कहा कि आज भी महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस सहित किसी के पास सरकार बनाने योग्य 145 सदस्यों का बहुमत नहीं है। राज्यपाल पर आरोप लगाने वालों के पास आज भी बहुमत नहीं है। अब तो राज्यपाल ने 6 महीने का समय दे दिया सभी के पास। जिसके पास पर्याप्त बहुमत है वह क्यों नहीं सरकार बना रहा है। केवल राजनीति करने के लिए देश की जनता के समक्ष संवैधानिक पदों को आरोपित करना बहुत गलत है।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि राज्यपाल ने संवैधानिक के अनुसार कार्य किया, 9 नवम्बर को महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया था। भाजपा सहित किसी भी दल के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं था। इसीलिए राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन लगाने का अनुरोध करके संविधान सम्मत ही कार्य किया।