कहीं हरियाणा व महाराष्ट्र की तरह भाजपा की झारखण्ड चुनाव में 65 पार की हुंकार भी ढ़पोर शंख साबित न हो!
30 नवम्बर ,7दिसम्बर, 12 दिसम्बर,16 दिसम्बर व ,20 दिसम्बर को 5 चरणों में होगा मतदान
नई दिल्ली(प्याउ)। आज भारत के निर्वाचन आयोग ने झारखंड विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजा दी। इस ऐलान के साथ झारखण्ड में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है। भारत के निर्वाचन आयोग ने 1 नवम्बर को 81 सदस्यीय झारखण्ड विधानसभा के आम चुनाव का ऐलान किया। इसके तहत 30 नवम्बर ,7दिसम्बर, 12 दिसम्बर,16 दिसम्बर व ,20 दिसम्बर को पांच चरणों में होगा मतदान। इन 5 चरणों में हुए मतदान के परिणाम 23 दिसंबर को घोषित किये जायेंगे। झारखण्ड विधानसभा के चुनावों की रणभेरी मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने संवाददाता सम्मेलन में बजाते हुए यह ऐलान किया।
संवाददाता सम्मेलन में मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने जानकरी दी कि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2020 को खत्म होगा। उल्लेखनीय है कि झारखण्ड की 81 विधानसभाई सीटों में से 67 सीटें (19 जिले)नक्सल प्रभावित हैं।
81 सदस्यीय झारखण्ड की वर्तमान स्थिति के तहत भाजपा-37, झामुमो-19,कांग्रेस-6, जेएसयू-5 व अन्य 14 है।
इस चुनाव में जहां भाजपा वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी का डंका बजा रही है। भाजपा झारखण्ड चुनाव में ऐलान कर रही है कि इस चुनाव में वह 65 सीटों को जीत कर अपना परचम लहरायेगी। उल्लेखनीय है कि झारखण्ड में सत्तारूढ भाजपा की चुनावी सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (एजेएसयू) है। वहीं विपक्ष भी भाजपा को झारखण्ड के चुनाव में सत्ता से बेदखल करने के लिए गठबंधन को मूर्त रूप देने में जुटी है। इसके लिए झारखण्ड मुक्ति मोर्चे के अध्यक्ष हेमंत सोरेन बदलाव के लिए सघन यात्रा कर रहे है। वहीं कांग्रेस ने झामुमो के साथ गठजोड बनाने का भी प्रयत्न कर रही है। कांग्रेस ने झारखण्ड की कमान आदिवासी नेता रामेश्वर उरांव को सौंप कर भाजपा पर निशाना साध रही है। भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की विपक्ष की सांझी मुहिम को करारा झटका बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम ने अकेले चुनावी ताल ठोकने की हुंकार भर कर लगा दी।
हरियाणा व महाराष्ट्र चुनाव में स्पष्ट बहुमत अर्जित न कर सकने वाली भाजपा की झारखण्ड चुनाव में होगी अग्नि परीक्षा।
हालांकि हरियाणा में पर्याप्त बहुमत अर्जित न करने के बाबजूद भाजपा ने जजपा से गठजोड़ करके सत्तासीन होने में सफल हो गयी परन्तु हरियाणा में भी चुनाव पूर्व भाजपा का अबकी बार 75 पार का नारे को छूना तो रहा दूर पर्याप्त बहुमत यानी 46सीटें भी अपने दंम पर नहीं जीत पायी। ठीक ऐसी ही हालत महाराष्ट्र चुनाव में हुआ। यहां भी भाजपा भले ही शिवसेना के गठजोड़ के साथ पूर्ण बहुमत ले आयी परन्तु खुद 105 सीटों पर ऐसी सिमटी की शिवसेना ने इसका लाभ उठाते हुए वहां पर मुख्यमंत्री का दावा ठोक दिया। इस कारण से महाराष्ट्र में मतदान परिणाम घोषित होने के एक सप्ताह बाद भी कोई भी सरकार नही बना पाया। चुनाव परिणाम ही बतायेंगे कि झारखण्ड में भाजपा का 65 पार की हुंकार सही थी या हरियाणा की तरह ढ़पोर शंख साबित होगी। इसकोे साकार करने के लिए भाजपा को कडी मेहनत करनी होगी।