उत्तराखंड

उत्तराखंड पंचायत चुनाव परिणाम का साफ संदेश, जनता का भाजपा व कांग्रेस से है मोह भंग, निर्दलियों ने चटाई भाजपा व कांग्रेस को धूल

इस चुनाव में  प्रधान के लिए कुल पद 7485 जिसमें 124 पद रिक्त रहे, 1514 प्रधान पद निर्विरोध निर्वाचित हुए और 5847 प्रधान पदों पर चुनाव हुए।
 वहीं क्षेत्र पंचायत सदस्य के कुल 2984 पदों में से 10 पद रिक्त रहे, 300 पदों पर निर्विरोध निर्वाचित हुए व 2674 पदों पर चुनाव हुए।
जिला पंचायत सदस्य के कुल पद 356 पदों में से 9 पदों पर निर्विरोध निर्वाचित हुए व 347 पदों पर चुनाव हुए।

 

चुनाव लोकशाही की मजबूती के बजाय बजट की बंदरबांट के लिए होता नजर आ रहा है।

देहरादून(प्याउ)। 21 अक्टूबर उतराखण्ड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (हरिद्वार जनपद को छोड़) की मतगणना के अब तक मिले परिणामों से साफ हो गया कि प्रदेश की जनता का भाजपा व कांग्रेस से मोह भंग हो गया है, जनता ने भाजपा व कांग्रेस से अधिक निर्दलीय प्रत्याशियों को विजय बनाया। उतराखण्ड में (हरिद्वार जनपद छोड़ कर ) ं अक्टूबर माह में तीन चरणों में सम्पन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना 21 अक्टूबर को हुई। इस में जिला पंचायत सदस्य के 356,  प्रधान के 7485, व क्षेत्र पंचायत सदस्य के 2984 पदों के परिणाम घोषित हुए। सबसे देर तकं यानी 21 अक्टूबर की प्रातः आठ बजे से  23 अक्टूबर की सांय छ बजे तक मतगणना देहरादून जनपद की ही चली।
इस चुनाव में  प्रधान के लिए कुल पद 7485 जिसमें 124 पद रिक्त रहे, 1514 प्रधान पद निर्विरोध निर्वाचित हुए और 5847 प्रधान पदों पर चुनाव हुए।
 वहीं क्षेत्र पंचायत सदस्य के कुल 2984 पदों में से 10 पद रिक्त रहे, 300 पदों पर निर्विरोध निर्वाचित हुए व 2674 पदों पर चुनाव हुए।
जिला पंचायत सदस्य के कुल पद 356 पदों में से 9 पदों पर निर्विरोध निर्वाचित हुए व 347 पदों पर चुनाव हुए।

पर जिस प्रकार से जिला पंचायत में आरक्षण की घोषणा 20 अक्टूबर को चुनाव परिणाम से एक दिन पहले की गयी, उससे कई जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रबल दावेदारों की हसरतों पर पानी फिर गया। पर इस त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में  चारों तरफ निर्दलियों का बोलबाला देखने में आ रहा है। प्रदेश की जनता भाजपा व कांग्रेस दोनों से खुश नहीं है। मजबूत विकल्प न होने के कारण ये दोनों बारी बारी से सत्ता पर काबिज हैं। इन चुनावों पर जमीनी नजर रखने वाले समीक्षकों का मानना है कि यह चुनाव लोकशाही की मजबूती के बजाय बजट की बंदरबांट के लिए होता नजर आ रहा है।

इन चुनावों से जहां गांव का भाईचारा और अमन चैन पर ग्रहण लगा वही गांव,क्षेत्र, जिला  के विकास की आशाओं पर भी पानी फिर जाता है। वहीं गिरोहबंदी प्रमुखता से उभर कर आती है। सांसद व विधायक के चुनाव से अधिक घातक सामाजिक सौहार्द के लिए यह त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव साबित हो रहे हैं। जो न केवल चुनाव प्रक्रिया के दौरान अपितु   अगले चुनाव तक का माहौल खराब हो जाता है ।इन चुनावों में जातिवाद ,क्षेत्रवाद खलाबाद धारवाद  से लेकर धनबल और बाहुबल के साथ दलीय संकीर्णता हावी रहती है ।इस चुनाव में  ईमानदार व संघर्षशील प्रत्याशियों की प्राय उपेक्षा होती देखी गई
पिथोरागढ़ में प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व प्रदेश सरकार के कबीना मंत्री रहे विशन सिंह चुफाल की बेटी दीपिका की हार खुद प्रदेश की जनता के जनादेश का बखान कर रही है। विशन सिंह चुफाल की बेटी को पिथौरागढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष की प्रबल दावेदार माना जा रहा था। चिटगालगांव जिला पंचायत सीट पर दीपिका को वंशीधर भट्ट ने मात दी।दीपिका की हार से भाजपा सकते में है। इन चुनावों में कडा मुकाबला का नजारा देखने में आया। प्रदेश में 1 मत से  39 प्रधान जीते तथा 2 मतों से 52 प्रधानों को मिली विजय। प्रदेश के पंचायती चुनाव में ंलोकसभा व विधानसभा चुनावों को भी मात दिया। इन चुनावों में सरकार के तमाम दावों के बाबजूद जम कर धनबल जनबल व बाहुबल का बोल बाला रहा। शराब भी जम कर पिलायी गयी।
उल्लेखनीय है उतराखण्ड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव तीन चरणों में 6,11 व 16 अक्टूबर को हुए चुनाव में 3006378 मतदाताओं ने अपना मतदान कियां। सबसे पहले जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव परिणाम सामने आने की संभावना है। राज्य निर्वाचन आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट ने बताया कि जिला पंचायत की कुल 365 सीटों, ग्राम प्रधानों के 7485 में (124 पद रिक्त रहे ) व क्षेत्र पंचायत सदस्यों के 2984 पदों ( 10 पद रिक्त रहे)पर के लिए करीब 35600 उम्मीदवारों ने चुनावी दंगल में ताल ठोकी थी। वहीं 1515 प्रधान व क्षेत्रपंचायत सदस्य पहले ही निर्विरोध जीत चूके है।
इन चुनावों में युवाओं का बोल बाला रहा। 21 हल्द्वानी से रागिनी आर्य विजयी रही पनियाली गांव से विजयी रही। नैनीताल की 22 साल की मीनाक्षी भी ग्राम प्रधान बनी। नेताओं के परिजनों को भी दलों ने अपना प्रत्याशी बनाने से परहेज नहीं किया। भीमताल के विधायक की पत्नी जीतीं, बनीं क्षेत्र पंचायत सदस्य बनी।वहीं प्रदेश के पूर्व कबीना मंत्री राजेन्द्र भण्डारी अपनी पत्नी रजनी भण्डारी को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीताने में सफल रहे। श्रीमती भण्डारी को जनपद चमोली में जिला पंचायत के अध्यक्ष की प्रबल दावेदार समझा जा रहा है।

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