अवधेश कुमार
यह कल्पना शायद ही हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने की होगी कि सीमा पार से आतंकवादी हिंसा के लिए छोटे-छोटे ड्रोनों से हथियार एवं अन्य सामग्रियां भेजी जा सकतीं हैं। पंजाब के तरनतारन से जो कुछ सामने आया है वह हैरान करने वाला और डरावना है। पकड़े गए आतंकवादियों से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर पंजाब पुलिस की खुफिया शाखा स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल (एसएसओसी) ने एक अधजला ड्रोन तरनतारन में भिखीविंड सड़क पर चभल इलाके में स्थित एक चावल मिल से बरामद किया। यह ड्रोन एक बार में 10 किलोग्राम वजन उठा सकता है। पकड़े गए आतंकवादियों से पांच एके-47 राइफल, 19 मैगजीन और 472 गोलियां, चार चीन निर्मित .30 बोर पिस्तौल, आठ मैगजीन और 72 गोलियां, नौ हथगोले, पांच सैटेलाइट फोन और उनके सहायक उपकरण, दो मोबाइल फोन, दो वायरलैस सेट और 10 लाख रुपए की नकली मुद्रा बरामद हुआ है। इससे वे कितनी बड़ी विनाशलीला मचा सकते थे इसकी कल्पना से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसका मतलब यह भी हुआ कि ड्रोन कई बार सीमा पार से आए एवं गए होंगे। मोटामोटी जानकारी यही है कि 23 अगस्त से 12 सितंबर के बीच ड्रोन के माध्यम से इन हथियारों की खेप तरनतारन के खेमकरण सेक्टर में उतारी गई थी। चिंता का विषय यही है कि हमारी एजेंसियां इसे पकड़ नहीं पाईं। यह ड्रोन इसलिए बरामद हुआ क्योंकि हथियारों की खेप गिराने के बाद जब ड्रोन वापस उड़ नहीं सका तो खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेडएफ) के इन आतंकवादियों ने इसे नष्ट करने के लिए जलाया।
पाकिस्तान की ओर से पंजाब में आतंकवाद फैलाने की साजिश पिछले पांच वर्ष में कई बार उजागर हुई है। कुछ खालिस्तान समर्थक 2020 में जनमत संग्रह के नाम पर विदेशों में अभियान चला रहे हैं तथा उनकी चाहत है कि पंजाब में ऐसी स्थिति पैदा की जाए कि वहां भी लोग उनके साथ आएं। हालांकि विदेशों में मुट्ठीभर सिखों का विरोध वहां रहने वाला सिख समुदाय ही कर रहा है। लंदन में उनके प्रदर्शन का जवाब बड़े प्रदर्शन से दिया गया। किंतु पाकिस्तान इसका लाभ उठाने में लगा हुआ है। इस नई घटना से साफ है कि हर सूरत में भारत विरोधी शक्तियां पंजाब को अशांत करने की साजिश रच रहीं हैं। जांच में पता चला है कि चीनी निर्मित ड्रोन पाकिस्तानी क्षेत्र में दो किमी अंदर से उड़ाए गए थे। जब्त की गई नकली करंसी हाई प्रिंट क्वॉलिटी की थी और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा हाई क्वॉलिटी वाले नकली नोटों के साथ इसे मिलाया गया। जो कुछ सामने आया है उसे संक्षेप में यहां जानने की कोशिश करें। पुलिस के अनुसार जर्मनी में रहने वाला गुरमीत सिंह बग्गा का भाई गुरदेव सिंह आतंकी मॉड्यूल का हैंडलर था। उसे जालंधर के पीएपी चौक से गिरफ्तार किया जा चुका है। वस्तुतः पुलिस ने 22 सितबर को केजेडएफ के आतंकी मॉड्यूल की जानकारी दी थी लेकिन उसमें विस्तृत जानकारी नहीं थी। उस दिन सिर्फ चार केजेडएफ आतंकवादियों बलवंत सिंह उर्फ निहंग, आकाशदीप, हरभजन सिंह और बलबीरसिंह को तरण-तारण के एक गांव से गिरफ्तार करने की सूचना दी गई थी।। इन्हीं से ड्रोन की जानकारी मिली। यह भी पता चला कि जब ड्रोन वापस नहीं गया तो पाकिस्तान में मौजूद ड्रोन ऑपरेटरों ने उसकी लोकेशन भेजी थी। इसके बाद आकाशदीप वहां पहुंचा, ड्रोन उठाया, इन सभी ने जितना संभव हुआ उसे तोड़ा एवं जलाने की कोशिश की। जब यह पूरी तरह जल नहीं पाया तो उसे झब्बाल के एक खाली गोदाम में छिपाकर रख दिया गया। फोरेंसिक टीम ने इसके कुछ पूर्जे जब्त किए थे जिसमें ड्रोन का जीपीएस एंटिना शामिल था। वास्तव में कुछ पूर्जों को एक नहर में फेंक दिया गया था जिसे गोताखोरों की मदद से निकाला गया।
जितनी जानकारी अभी तक उपलब्ध है उसके अनुसार पाकिस्तान से एयरड्रॉप संभालने वाला आईएसआई फ्रंट मैन रंजीत सिंह उर्फ नीता है। इसे आईएसआई ने लाहौर में एक गेस्टहाउस उपलब्ध कराया है जहां से यह आतंकवादी गतिविधियां संचालित करता है। पुलिस के अनुसार पूछताछ में आतंकवादियों ने कहा है कि जर्मनी में रह रहे बग्गा ने आकाशदीप का पाकिस्तान में सक्रिय रंजीत सिंह नीटा से सपंर्क करवाया था तथा उसका नंबर भी दिया था। आकाशदीप नीटा से फोन पर बात करता था तथा उसके अनुसार भूमिका निभा रहा था। बग्गा नीटा को हैंडल करता था तथा नीटा आइएसआइ के साथ हथियार भेजने की जगह आदि सुनिश्चित करता था। आकाशदीप आइएसआइ को लोकेशन भेजता था। तय लोकेशन को आइएसआइ के एजेंट ड्रोन के जीपीएस सिस्टम में फीड करते थे। निर्धारित समय व स्थान पर ठीक उसी समय रात को ड्रोन पहुंचता और हथियार उतारने के बाद लौट जाता। आकाशदीप सिंह अकेले या साथियों के साथ उस स्थान पर पहुंचता और हथियार ले आता। गहराई से विचार करें तो यह पूरी कथा काल्पनिक लगती है, पर है पूरी तरह सच। जर्मनी से पाकिस्तान और भारत तक साजिश और ड्रोन का इस तरह उपयोग!
खुफिया एजेंसियों को अमृतसर और पठानकोट के अलावा अन्य शहरों में भी संभावित आतंकवादी हमलों के बारे में इनपुट मिले थे। उसी छानबीन में ये पकड़ में आए। साजिश और मौड्यूल यहं तक सीमित नही है। एक खुलासा यह है कि आतंकवादियों के निशाने पर माधोपुर सैन्य छावनी तथा पंजाब के हवाई अड्डे हैं। दो हफ्ते पहले लखनपुर बैरियर पर एके-56 और एके-47 सहित तीन आतंकवादियों के पकड़े जाने के बाद माधोपुर छावनी को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान सैन्य छावनियों को निशाना बनाना चाहता है। एयरपोर्ट की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है। भारत-पाक सीमा पर संदिग्धों की हथियारों सहित घुसपैठ की सूचना है। सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (सीआइएसएफ) के अलावा पंजाब पुलिस फोर्स और इनके कमांडोज व केंद्रीय खुफिया एजेंसियां भी अमृतसर एयरपोर्ट पर सक्रिय हो गई हैं। इन आतंकवादियों से मिली जानकारी तथा इनके संबंधों की छानबीन के बाद काफी संख्या में लोगों से पूछताछ की जा रही है। पिछले 4 सितंबर की रात को तरणतारण के खडूर साहिब लिंक रोड स्थित गांव पंडोरी गोला के पास एक बड़ा विस्फोट हुआ था। उसके बाद छः लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसकी जांच एनआईए कर रही है। इनसे पूछताछ में साफ हुआ है कि इनका उद्देश्य धार्मिक एवं राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाना था जिससे जनमत संग्रह 2020 किया जा सके।
जाहिर है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण व चिंताजनक है। पंजाब में आतंकवाद फैलाने तथा हिंसक खालिस्तानी आंदोलन को फिर से पैदा करने की साजिशें लगातार आ रहीं है, आतंकवादी पकड़े भी गए हैं। हालांकि जनमत संग्रह 2020 का पंजाब में कोई असर नहीं है। पंजाब के लोग आतंकवाद का काफी दंश झेल चुके हैं। उन्हें पता है कि हिंसा की वह आग पाकिस्तान ने लगाई जिसमें गलतफहमी के कारण काफी सिख युवक फंस गए थे। लेकिन हथियार भेजकर औप आतंकवादी तैयार करके वे हिंसा तो करा ही सकते हैं। ड्रोन से हथियार भेजने की घटना पहली बार सामने आई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरींदर सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह से पूरी स्थिति पर बात की है और उसके अनुसार सुरक्षा कड़ी की जा रही है। सुरक्षा एजेंसियां अपना काम करेंगी लेकिन पंजाब के लोगों के भी सचेत रहना होगा। उन्हें जहां भी कुछ संदिग्ध गतिविधियां दिखाई दें उससे आंखे बचाकर निकलने की जगह पुलिस तो तुरत सूचना देनी चाहिए। एक बार पकड़ मंे आने के बाद ड्रोन का उपयोग करना सीमा पार साजिशकर्ताओं के लिए संभव नहीं होगा। लेकिन इस पर बिल्कुल गंभीरता से विचार होना चाहिए कि आखिर चूक कहां रह गई जिससे हथियार लेकर ड्रोन हमारी सीमा में आते ओर वापस जाते रहे।