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सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से ढ़ही उन्नाव दुष्कर्म प्रकरण के आरोपी विधायक की लंका

उन्नाव दुष्कर्म प्रकरण के गुनाहगार को सजा दिला पायेगी क्या  सीबीआई !

अपने रसूल से जेल में बंद होने के बाद भी शासन प्रशासन में बनी हुई थी हनक, पीड़ितों को न्याय के बजाय मिल रही थी मौत
देवसिंह रावत
अपने रसूल से जेल में बंद होने के बाद भी अपने क्षेत्र में शासन प्रशासन को अपने इशारे पर नचाने वाले उन्नाव दुष्कर्म के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की लंका उस समय ढ़ह गयी विधायक कुलदीप पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पीड़िता व उसके परिजनों की कार को एक ट्रक द्वारा कुचलने वाली घटना पर सर्वोच्च न्यायालय ने संज्ञान लेकर इस प्रकरण की सुनवाई दिल्ली में 45 दिनों में करने का दो टूक आदेश दिया। न केवल न्यायालय ने कडा कदम उठाते हुए उसकी चैधराहट की हवा निकाल दी अपितु भाजपा ने भी उसको पार्टी से बाहर निकाल दिया। यही नहीं प्रदेश सरकार ने भी सीबीआई से इस हादसे की जांच कराने का निर्णय लिया।
1 अगस्त 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने अभूतपूर्व फैसला सुनाते हुए उन्नाव दुष्कर्म मामले से जुड़े सभी 5 मुकदमों की सुनवाई उप्र  से हटाकर दिल्ली की तीस हजारी अदालत में जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा की अदालत में करने का आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने समय की लक्ष्मण रेखा खिंचते हुए आदेश दिये कि इस दुष्कर्म मामले की सुनवाई 45 दिन में पूरी करने को कहा ताकि पीड़िता को जल्द न्याय मिल सके।  सर्वोच्च न्यायालय ने अभूतपूर्व फैसला सुनाते हुए उन्नाव रेप मामले से जुड़े सभी पांच मुकदमों की सुनवाई यूपी से हटाकर दिल्ली की अदालत में करने का आदेश दिया। साथ ही दुष्कर्म मामले की सुनवाई 45 दिन में पूरी करने को कहा ताकि पीड़िता को जल्द न्याय मिल सके। दुष्कर्म पीड़िता को जल्द से जल्द इंसाफ दिलाने के लिए मामले की हर कार्य दिवस में सुनवाई होगी ’ पीड़ित और उसके परिजनों को सीआरपीएफ सुरक्षा मुहैया कराई जाए और रिपोर्ट दी जाए ’ अगर जरूरी हो तो पीड़िता और उनके वकील को इलाज के लिए दिल्ली एम्स लाया जाए। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मामले की सुनवाई करने व देश की जनता में इस मामले में हो रही भाजपा की किरकिरी के बाद भारतीय जनता पार्टी ने उन्नाव दुष्कर्म कांड के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भाजपा ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इसका ऐलान उप्र के भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने किया।
सर्वोच्च न्यायालय ने दुष्कर्म की पीड़िता के चाचा को तुरंत रायबरेली जेल से तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। इसके साथ न्यायालय ने खबर जगत को आगाह किया कि कोई भी खबर जगत प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष तौर पर अथवा किसी भी तरीके से उन्नाव बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर नहीं करेगा। सीबीआई की मांग पर सर्वोच्च न्यायालय ने 15 दिनों के लिए पीड़िता की कार व ट्रक की दुर्घटना वाले मामले पर दिल्ली स्थानांतरण किये जाने पर रोक लगा दी।
उप्र की राजनीति के आकाश में 2002 में उन्नाव के सदर से बसपा के प्रत्याशी बन कर विधायक बनने वाले कुलदीप सेंगर ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की। इसके बाद वे समाजवादी पार्टी में सम्मलित हुए। जनता के रूख को भांप कर कुलदीप सेंगर ने फिर भाजपा का भी दामन थामा। सन 2017 में विधानसभा चुनाव में बांगरमऊ से भाजपा के प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक कर विधायक बने।
परन्तु इसके बाद उनकी चैधराहट पर उस समय ग्रहण लग गया जब विधायक कुलदीप सेंगर  और उनके भाइयों पर 11 से 20 जून 2017 के बीच एक लडकी ने सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। यह मामला इतना तुल पकडा की प्रदेश सरकार ने इसकी जांच एविशेष जांच दल को  सौंपी गई।
प्रदेश सरकार की जांच ऐजेन्सी एसआईटी ने अपनी जांच में कहा कि विधायक के खिलाफ दुष्कर्म के पर्याप्त सबूत नहीं पाये।
– पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश कर इस मामले ने पूरे देश का ध्यान खींचा। पीड़ित ने आरोप लगाया कि  आरोपियों के बजाय अपने पिता के खिलाफ कार्रवाई कर उनका दमन किया जा रहा है।
– 3 अप्रैल 2018 को भाई और अपने गुर्गों के साथ पीड़िता के घर में घुसकर पिता की बर्बर पिटाई का आरोप पीड़िता ने लगाया। परन्तु उसकी कंही सुनवायी नहीं की गयी।
5 अप्रैल 2018 को हथियार कानून में पीड़िता के पिता को गिरफ्तार कर लिया गया और 14 दिन की हिरासत में भेजा दिया गया।
9 अप्रैल 2018 को उनकी पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत हो गई। पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसके पिता की हत्या पुलिस से मिल कर विधायक ने करवायी।
-पीड़िता के पिता की मौत से जनता में आक्रोश फैला और इस प्रकरण की सीबीआई की जांच की मांग उठी।
– 12 अप्रैल 2018 को केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश मंजूर करते हुए सीबीआई जांच को मंजूरी दे दी।
-सीबीआई ने 12 अप्रैल 2018 को ही विधायक को हिरासत में ले लिया।
इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया कि अपराधी कोई भी हो, बख्घ्शा नहीं जाएगा। वहीं डीजीपी ने कहा, श्अभी सिर्फ आरोपी हैं विधायक।
15 अप्रैल 2018 को पीड़ित परिवार ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व उनके समर्थकों से जान का खतरा बताया। पीड़िता के चाचा ने कहा कि उनका एक भतीजा पिछले चार-पांच दिन से लापता है।
17 अप्रैल 2018 को विधायक के खिलाफ सीबीआई ने चैथी एफआईआर दर्ज की।
18 अप्रैल 2018 को सीबीआई को पीड़िता के पिता के खिलाफ पुलिस की एफआईआर फर्जी होने के सबूत भी मिले।
19 अप्रैल 2018 को विधायक की वाई श्रेणी सुरक्षा और घर पर तैनात सुरक्षाकर्मी को हटा दिया।
1 मई 2018 को पीड़िता के परिवार ने पुलिस पर आरोप लगाया कि केस सीबीआई को सौंपने से पहले सेंगर को बचाने की नीयत से शिकायत बदली गई है।
2 मई 2018 इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीबीआई ने सीलबंद लिफाफे में अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश की।
– 8 मई 2018 को उसे उन्घ्नाव से सीतापुर जेल शिफ्ट किया गया।
17 मई 2018 को सीबीआई ने पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में दो पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया। 21 मई 2018 पीड़िता के पिता को आर्म्स ऐक्ट के झूठे केस में फंसाने में सेंगर की संलिप्तता के सबूत मिले।
28 जुलाई 2019 को जब पीड़िता अपनी मौसी, चाची और वकील के साथ लखनऊ जा रही थी, तब कार दुर्घटना हुई। इसमें चाची और मौसी की मौत हो गई, जबकि पीड़िता और वकील के हालत गंभीर बनी हुई है।
ऐसा नहीं कि विधायक कुलदीप सेंगर व उनके परिवार पर इसी प्रकरण में कुख्यात हुआ। 4 बार के इस विधायक पर 18 जुलाई 2004 में गंगाघाट क्षेत्र में खनन के एक मामले की जांच करने पहुंचे एएसपी रामलाल को गोली मार दी गई थी। इसमें विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह समेत 20 लोगों पर रिपोर्ट दर्ज हुई थी। यहां विधायक का इतना दबदबा है कि इस प्रकरण में चार्जशीट होने के बाद इस घटना की केस डायरी ही गायब हो गई थी।
यही नहीं विधायक के दबदबे में आकर कानून को ठेंगा बता कर विधायक के इशारों पर नाचने के कारण इस मामले में हो रही जांच के बाद सफीपुर के तत्कालीन सीओ कुंवर बहादुर सिंह, एसओ अशोक भदौरिया, बीट प्रभारी कामता प्रसाद सिंह, हेड कांस्टेबल हेड कांस्टेबल रामराज शुक्ला, कांस्टेबल लक्ष्य कुमार शुक्ला, मोहित कुमार सहित दो अन्य को निलंबित किया गया, जबकि झूठा मुकदमा दर्ज कर पीड़िता के पिता को जेल भेजने वाले एसओ अशोक भदौरिया व कामता प्रसाद पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया।
इस प्रकरण में जहां देश की न्याय पालिका की प्रतिष्ठा के साथ सीबीआई की साख भी दाव पर लगी हुई है। इस प्रकरण में जितने भी गुनाहगार है उनको कडी सजा मिलते देश की जनता देखना चाहती है। लोग यह देख कर भयभीत है कि सत्ता के दबदबे से किसी प्रकार आम आदमी का जीना हराम करने के साथ कानून को पैरों तले रौंदा जा रहा है। जनता का विश्वास फिर शासन व्यवस्था पर बना रहे। इसके लिए इस प्रकरण के गुनाहगारों को सजा तो हर हाल में मिलनी चाहिए। इस प्रकरण का हस्र कहीं मुजफ्फरनगर काण्ड-94 की तरह न हो जनता इस बात से आशंकित भी है।

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