आतंकसमर्थकों के विधवा विलाप को नजरअंदाज सरकार
देव सिंह रावत
कश्मीर में धारा 370 और 35a का हटाना राष्ट्र की तरफ अखंडता के लिए नितांत जरूरी है ।आतंकवादियों और उनके सरपर्स्थों को जमीदोज करना हर सरकार का प्रथम संवैधानिक दायित्व है ।अगर सरकार इस दिशा में कुछ कदम बढ़ाती है तो यह राष्ट्रीय हित में है। आखिर इसमे डरने वाली कौन सी बात है?
इस आशंका से आशंकितों को डर उस समय क्यों नहीं लगा जब कश्मीर से लाखों कश्मीरी पंडितों को खदेड़ा गया, कत्लेआम किया गया, उनकी संपत्ति को लूटी गयी। तब उनको डर क्यों नहीं लगा जब पत्थरबाज भारत के सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी करते हुये पाकिस्तानी व आतंकी झंडे लहराते लहरा रहे थे ?
रही बात जम्मू कश्मीर को तीन हिस्सों में बांटने की, वह तो दशकों पहले कर देना चाहिए था ।आखिर आतंक का दंड लद्दाख व जम्मू के शांति प्रिय लोग क्यों भोगें ? कश्मीर में भी केवल 2 -4जिलों ही आतंकवाद से ग्रसित है ,इन पर अंकुश लगाना नितांत जरूरी है। चंद लोगों के डर या स्वार्थ व आशंका के कारण पूरे देश की एकता अखंडता को खतरे में नहीं डाला जा सकता। देश की सुरक्षा व शासन को अंध तुष्टिकरण से चलाने का दंड देश दशकों झेलने के लिए विवश है।अब माफ करो।