क्या पाकिस्तान को अपनी बदहाली से बचने के लिए ऐतिहासिक भूल सुधारते हुए भारत में विलय करना चाहिए!
जब दो जर्मन बेहतरी के लिए एक हो सकते हैं तो भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश भी अपनी बेहतरी के लिए क्यों नहीं हो सकते हैं ?
पर सच्चाई यही है कि भारत, पाक का विलय अब केवल दिवास्वप्न है जो साकार होते ही केवल त्रासदी देगा!
देवसिंह रावत
आज सुबह जैसे ही मैं दूध लेने गया तो दुकानदार ने मुझे कहा कि अगर आज मोदी जी, इमरान खान को कहेंगे कि पाकिस्तान को भारत में मिला दो तो पाकिस्तान बिना किंतु परंतु किये, पाकिस्तान का भारत में विलय कर देगा।
इस मुस्लिम दुकानदार ने कहा भाईजान आज पाकिस्तान का हर आदमी के पांव से लेकर सर तक के बाल विदेशी कर्ज में डूबा हुआ है, आम आदमी का जीना हुआ दुश्वार है । पाकिस्तान के लोग भी बेहतरी के लिए पाकिस्तान का भारत में विलय करने के लिए बेताब है । देश का विभाजन एक त्रासदी थी । आज अगर भारत पाकिस्तान एकजुट हो जाता है और यहाँ मंदिर मस्जिद के झगड़ों से ऊपर उठकर व एकजुट हो कर विकास करे तो भारत विश्व में महाशक्ति बन सकता है। मोदी जी कहें तो पाकिस्तान भारत में विलय के लिए है बेताब ।
मैंने उनसे कहा कि भारत पाकिस्तान का विभाजन भारतीयों ने नहीं अपितु अमेरिका की परम मित्र इंग्लैंड अपनी सोची समझी कुटिल नीति के तहत किया। जिसके तहत उन्होंने अफ्रीका, जर्मनी, कोरिया सहित विश्व के तमाम अपने उपनिवेश व विरोधी देशों को तहस-नहस करके किया। जर्मन तो एकजुट इसलिए हुआ कि वहां पर धार्मिक टकराव ज्यादा नहीं था और अमेरिका इस प्रस्ताव में जर्मन के साथ खडा था। परंतु भारत में यह इसलिए संभव नहीं है कि पाकिस्तान के गठन के बाद पाकिस्तान में इतने धार्मिक उन्माद व भारतीयों के प्रति इतना घृणा भर चुकी है, जो वह अब चाहने से भी दूर नहीं हो सकती। इस कारण भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश का एकीकरण एक दिवास्वप्न ही बनकर रह जाएगा । हां इन तीनों मुल्कों के बीच अगर नेतृत्व समझदारी से काम करें तो वह आपसी झगड़ों को कम करके अपने देशों का विकास कर सकते हैं। पर सच्चाई यही है कि भारत पाक का विलय अब केवल दिवास्वप्न है जो साकार होते ही केवल त्रासदी देगा!
हां कुछ लोगों को भ्रमित कुछ लोग कर रहे हैं कि अगर इस्लाम का भारत में वर्चस्व बना दें तो यह संभव है कि भारत पुनः एकीकरण हो जाए । इसी लिए भारत में करोड़ों की संख्या में बग्लादेश के रास्ते भारत में घुसपेट की जा रही है। परंतु मैं उन लोगों की इस घृणित षड्यंत्र को भी बेनकाब करना चाहता हूं, वह भी इतिहास के पन्नों से। जिन लोगों ने भारत का विभाजन धार्मिक आधार पर किया और वो लोग भारत को छोड़कर पाकिस्तान गये, उन लोगों को वहां जिस प्रकार से जलालत और अपमानित हो कर मुजाहिर कहला कर दमन व उपेक्षा का दंश झेलना पड़ा। आज वे पीड़ित हो कर भारत का विभाजन अपनी भूल मान रहे हैं। संसार में जितना सुरक्षित और सम्मानित भारत का मुसलमान है उतना अन्य किसी भी देश में नहीं ।
इसलिए भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान या अन्य विदेशी ताकतों की झांसे में ना आकर उन तमाम प्रस्ताव आदि तत्वों से दूरी बनाए रखनी चाहिए जो इस देश में धार्मिक आधार पर बर्बाद करने को तुले हुए हैं। दुराग्र्रह छोड़ कर देश के लिए समर्पित रहे तो भारत मजबूत होगा और महाशक्ति बनेगा। संसार में अमन चेन का संदेश देने वाला जगतगुरु बनेगा। हम सब मिलकर उन्मादी तत्वों को जमीदोज करके इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं । सच्चाई यह है कि भारत का विभाजन टाला नहीं जा सकता था । क्योंकि फिरंगी शासक उपनिवेशों के विभाजन के लिए उतारू था। प्यादा जिन्ना, नेहरू या कोई अन्य भी हो सकता था। तब फिरंगी ताकते (ब्रिटेन व अमेरिका आदि ) मजबूत थी। लाखों भारतीयों का कत्लेआम किया गया । बेगुनाहों को मारा गया ।लोगों की संपत्ति तबाह की गयी। उस विभाजन की त्रासदी के दंश से भारत आज भी नहीं उबरा है । इसलिए अब पाकिस्तान, भारत की बर्बादी के अलावा कुछ दूसरा दे ही नहीं सकता। क्योंकि पाकिस्तान इतना जाहिल, इतना नापाक और इतना पतित हो चुका है कि इस दिशा में सोचना भी एक प्रकार से वक्त को बर्बाद करना और एक और त्रासदी को निमंत्रण करना ही है।