भाजपा को मोदी का सहारा, बिना मजबूत संगठन के दिग्गज नेताओं के भरोसे कांग्रेस, केजरीवाल व पूर्ण राज्य के नारे के प्रति उदासीन जनता पर मजबूत संगठन के भरोसे उतरी आप
दिल्ली में प्रतिनिधित्व नहीं दिये जाने से भाजपा, आप व कांग्रेस के विश्वासघात से आहत हैं उतराखण्डी
नई दिल्ली (प्याउ)। दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर 2019 के संसदीय चुनाव में भाजपा, कांग्रेस व आप के बीच तिकोना मुकाबला होना तय है। वहीं दिल्ली की जनसंख्या के सातवे हिस्से की भागेदारी करने वाले उतराखण्डी समाज को प्रतिनिधित्व न दिये जाने से उतराखण्डी समाज भाजपा, आप व कांग्रेस के विश्वासघात से आहत हैं। उतराखण्डी समाज के लोग इस बात से आहत है कि जब दिल्ली व दिल्ली में स्थापित राजनैतिक दलों के विकास में उतराखण्डियों का महत्वपूर्ण योगदान है तो क्यों दिल्ली की स्थापित राजनैतिक दल भाजपा, कांग्रेस व आप उतराखण्डियों को राजनैतिक प्रतिनिधित्व न देने के लिए एकजूट हो कर लोकशाही का गला घोंट रहे है।
उल्लेखनीय है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए देश भर में 543 संसदीय सीटों के लिए 7 चरणों में मतदान के तहत 1करोड 98 लाख 61 हजार 488 जनसंख्या वाली देश की राजधानी दिल्ली में छटे चरण में होगा। १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैली दिल्ली की 7 लोकसभाई सीटों पर नये सांसद के लिए 1.36 करोड मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग 12 मई को होगा।
दिल्ली की सभी 7 संसदीय सीटों ( पूर्वी दिल्ली, उतर पूर्वी दिल्ली, चांदनी चैक, उतर पश्चिमी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली व दक्षिणी दिल्ली) पर 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का ही परचम लहराया था। इन सात सांसदों में से केवल दो सांसदों (पूर्वी दिल्ली के सांसद महेश गिरी व सांसद उदित राज) को छोड़कर सभी 5 सांसदों को भाजपा ने फिर चुनावी दंगल में उतारा।
सबसे रौचक तथ्य यह है कि सन 2009 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सात सीटों पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया था।
दिल्ली पूरे भारत का एक अनौखा केंद्र-शासित प्रदेश है। दिल्ली अपने आप में न केवल लघु भारत है अपितु यह विश्व की महानगरी भी है।
दिल्ली में हो रहे 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट में भाजपा के गौतम गंभीर , कांग्रेस के अरविंदसिंह लवली व आप की आतिशी के बीच होगा।
उतर पूर्वी दिल्ली से भाजपा के मनोज तिवारी, कांग्रेस की शीला दीक्षित व आप के दिलीप पाण्डे के बीच मुकाबला होगा।
नई दिल्ली संसदी सीट पर भाजपा की मीनाक्षी लेखी, कांग्रेस के अजय मांकन व आप के बृजेश गोयल के बीच मुकाबला है।
चांदनी चैक संसदीय सीट पर भाजपा के हर्ष बर्धन, कांग्रेस के जयप्रकाश अग्रवाल व आप के पंकज गुप्ता के बीच होगा।
वहीं दक्षिण दिल्ली संसदीय सीट पर भाजपा के रमेश विधूडी , कांग्रेस के विजेन्द्र सिंह व आप के राघव चड्डा के बीच मुकाबला होगा।
जबकि पश्चिमी दिल्ली संसदीय सीट पर भाजपा के प्रवेश वर्मा, कांग्रेस के महाबल मिश्रा व आप के बलबीर सिंह जाखड के बीच मुकाबला होगा। वहीं उतर पश्चिमी दिल्ली की संसदीय सीट पर हंस राज हंस , कांग्रेस के राजेश लिलोथिया व आप के गुगन सिंह के बीच मुकाबला होगा।
दिल्ली प्रदेश की सरकार में जहां आम आदमी पार्टी को अभूतपूर्व बहुमत हासिल है। वहीं दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। लोकसभा चुनाव में मोदी का दिग्विजयी रथ को रोकने के लिए मिल कर चुनाव लड़ने की कांग्रेस व आप ही हसरतों पर पानी फिरने के बाद दिल्ली में भाजपा को पुन्न जीत की आशा नजर आने लगी। वहीं दिल्ली में तिकाना मुकाबला हो रहा है।
जहां तक भाजपा , मोदी के करिश्में पर पूरा विश्वास है। वहीं आप को दिल्ली में अपने मजबूत संगठन पर भरोसा है। यह तय है कि अरविंद केजरीवाल का करिश्मा व दिल्ली को पूर्ण राज्य का मुद्दा दिल्ली के मतदाताओं पर अपना प्रभाव नहीं छोड पा रहा है। दूसरी तरफ भले ही कांग्रेस ने दिल्ली में शीला दीक्षित जैसे बडे भरकम प्रत्याशी चुनावी दंगल में उतारा है परन्तु संगठन मजबूत न होने से ऐसी आशंका प्रकट की जा रही है कि कांग्रेस अपना खाता भी खोल दे तो यह करिश्मा ही होगा। अब देखना है कि 23 मई का साफ हो जायेगा कि दिल्ली की जनता ने किसके पक्ष में अपना जनादेश दिया।