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कौन भाजपाई नेता हो रहा है कांग्रेस में सम्मलित ?

16 मार्च को राहुल गांधी की देहरादून रैली में बडे भाजपाई नेता के कांग्रेस में सम्मलित होने की अटकलों से भाजपा आशंकित

लोकसभा चुनाव की रणभेरी के बाद उतराखण्ड में राहुल गांधी की पहली चुनावी रैली

देहरादून (प्याउ)। जहां एक तरफ लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद उतराखण्ड में कांग्रेसी दिग्गज से लेेकर आम कार्यकत्र्ता तक कांग्रेस  प्रमुख राहुल गांधी की 16 मार्च को देहरादून में होने वाली परिवर्तन रैली को सफल बनाने के लिए जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में 2014 की तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश की सभी 5 सीटों को अपनी झौलेी में डालने के लिए आश्वास्त होने के बाबजूद भाजपा में राहुल गांधी को लेकर आशंकित है। प्रदेश के उच्च राजनैतिक क्षेत्रों में ऐसी अटकलें लगायी जा रही है कि राहुल गांधी की इस देहरादून में आयोजित परिवर्तन रैली में भाजपा का कोई बड़ा नेता कांग्रेस में सम्मलित होंगे। इसी आशंका से भाजपाई कार्यकर्ता से लेकर बडे नेता आशंकित है। अटकलें लगायी जा रही है कि कांग्रेस से भाजपा में सम्मलित हुए हरक, बहुगुणा, चैम्पियन व महाराज आदि नेताओं के नाम की चर्चा जोरों पर है। हालांकि चुनाव के समय भाजपा से कांग्रेस में सम्मलित होने की अटकले लोेग उपरोक्त नेताओं के नक्कारने के बाबजूद समय समय पर लगाते रहे। भाजपा को चिंता कांग्रेस में घर वापसी करने वाले नेताओं ंसे नहीं  अपितु भाजपा के किसी बडे नेता या उनके परिजनों का कांग्रेस में सम्मलित होने से है।
2019 के लोकसभा चुनाव में उतराखण्ड सहित पूरे देश में जीतने के लिए आश्वस्त होने के बाबजूद भाजपा ने अपने सभी ऐसे नेताओं पर कडी नजर रखी हुई है।
उल्लेखनीय है कि  देश में 11 अप्रैल से 19 मई तक 17वीं लोकसभा के गठन के लिए 7 चरणों में मतदान होगा और मतगणना 23 मई को होगा।  इसके तहत उतराखण्ड में पहले ही चरण यानी 11 अप्रैल को मतदान होगा। इसके लिए अधिसूचना 18 मार्च जारी होेते ही 25 मार्च तक नामांकन किया जायेगा। इससे उतराखण्ड में इस चुनावी समर में उतरने का मन बनाने वालो प्रत्याशियों में हडकंप मच गयी है। क्योंकि भाजपा को छोड़ कर किसी भी दल ने अपनी तैयारियों को अंजाम नहीं दिया है। एक सप्ताह बाद ही सभी दलों को अपने प्रत्याशियों का ऐलान करना पडेगा। सभी प्रत्याशियों को इस बात का भान है कि मजबूती से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को कम से कम 5 से दस करोड रूपये खर्च करने पडेंगे। हालांकि निर्वाचन आयोग की खर्च की सीमा केवल 70 लाख रूपये है। इस प्रकार इन चुनावों से आम आदमी को एक प्रकार से बाहर ही कर दिया गया।

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