नई दिल्ली (प्याउ)। 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले की संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद द्वारा कडी भत्र्सना करने से जहां पाकिस्तान को कडा झटका लगा वहीं आतंकी सरपरस्त पाकिस्तान को विश्व में अलग थलग करने के भारत के मुहिम को मजबूती मिली। वहीं दूसरी तरफ जनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के प्रवक्ता रुपर्ट कोल्विले ने भी पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा करते हुए इस हमले के जिम्मेदार लोगों को कडी सजा देने की मांग की।
आतंकी पाक के सरपरस्त चीन के विरोध के बाबजूद सुरक्षा परिषद ने पुलवामा हमले में जैश ए मुहम्मद नामक आतंकी संगठन का उल्लेख करते हुए जो निंदा प्रस्ताव पारित किया। वह उस पाकिस्तान को एक बडा झटका है जो जैश ए मुहम्मद नाम आतंकी संगठन द्वारा खुद इस हमले की जिम्मेदारी लेने के बाबजूद खुद को पाक साफ बताते हुए भारत पर झूठा आरोप लगाने की बात कह रहा था।
उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में केआसुब के एक काफिले पर हुए एक आतंकी हमले में 40 जांबाज शहीद हुए थे। इस घटना की पाक द्वारा पोषित आतंकी संगठन जैश ए मुहम्मद ने जिम्मेदेारी ली थी। इसके बाबजूद पाकिस्तान बडी बेशर्मी से भारत से उसकी संलिप्ता के सबूत मांग कर उल्टा भारत को मुंहतोड़ जवाब देने की गीदड़ धमकी देने का दुशाहस कर रहा है।
पाकिस्तान की इस हटधर्मिता पर सुरक्षा परिषद ने उस समय पानी फैर दिया जब भारत के प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई(अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस व ब्रिटेन) व 10 अस्थाई सदस्यों ने इस हमले की निंदा की।
सुरक्षा परिषद ने 14 फरवरी को पुलवामा में शहीद हुए जवानों के पीड़ित परिवारों, घायल लोगों और भारत सरकार के प्रति गहरी सहानुभूति और सांत्वना जाहिर की है. हमले में जख्मी जवानों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की गई है। सुरक्षा परिषद के देशों ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद किसी रूप में हो, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता क्योंकि यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
सुरक्षा परिषद ने दो टूक शब्दों में कहा कि आतंकवाद के साजिशकर्ताओं, आयोजकों और फंड देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। जो लोग और संगठन ऐसे कारनामों के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें इंसाफ के कठघरे में खड़ा करने की जरूरत बताई गई. इन देशों ने अपील की है कि अंतरराष्ट्रीय नियम-कानून और सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों के तहत एक दूसरे की मदद करते हुए आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। कोई भी आतंकी कार्रवाई आपराधिक और अनुचित है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसके पीछे मंशा क्या थी या किसने, कब और कहां इसे अंजाम दिया गया. इन देशों ने कहा कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित कानूनों के मुताबिक कार्रवाई करनी चाहिए. अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार कानून, अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों को ध्यान में रखते हुए दुनिया के अमन-चैन के खिलाफ काम करने वाली आतंकी शक्तियों पर लगाम लगानी चाहिए।