देश में घर घर शराब पंहुचाने का कृत्य करने के बजाय शराब पर कडा अंकुश लगाये सरकारें
उप्र व उतराखण्ड में जहरीली शराब से 120 से अधिक मरे
देवसिंह रावत
उतराखण्ड प्रदेश के हरिद्वार जनपद स्थित ’रुड़की के झबरेड़ा क्षेत्र और उप्र के सहारनपुर जिले के गांवों में जहरीली शराब 120 से अधिक लोेगों की दर्दनाक मौत हो गयी। इस प्रकरण से न केवल भाजपा की उतराखण्ड की त्रिवेन्द्र सरकार व उप्र की योगी सरकार कटघरे में खडी है अपितु इससे 72 सालों से दो टके के लिए देेश में घर घर शराब पंहुचाने के राष्ट्रघाती कृत्य में लगी देश की पूरी व्यवस्था भी कटघरे में खडी है।
उप्र व उतराखण्ड की दोनों सरकारें इस प्रकरण को अवैध शराब बता कर अप्रत्यक्ष अपने वैध शराब के धंधे को पाक साफ बताने
का प्रयत्न करते दिखे। भारत का आम जनमानस के साथ महात्मा गाध्ंाी सहित देश की धर्मशास्त्र भी शराब सहित नशे को सभी बुराईयों की जड़ मानते है। इस लिए कल्याणकारी सरकार को जनहित व देश हित को देखते हुए शराब सहित सभी प्रकार के नशें पर कड़ा अंकुश लगाना चाहिए। परन्तु आजादी के बाद महात्मा गाध्ंाी व भारतीय संस्कृति की दुहाई देने वाली सरकारों का एक ही काम रहा कि शराब की नशे की प्रवृति के खिलाफ व्यापक जनजागरण करने के बजाय दो टके के राजस्व के नाम पर शराब को घर घर पंहुचाने का राष्ट्रघाती कृत्य करने में लगे है। शराब की मोह में अंधी सरकारें किस बेशर्मी से सर्वोच्च न्यायालय की आंखों में धूल झोंकने का काम करने कर रही है यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गो पर शराब बेच रही शराब की दुकानों को हटाने के आदेश को पलीता लगाने का काम सरेआम किया था। शराब को बेचने के लिए इन सरकारों ने इन चिन्हित राष्ट्रीय राजमार्गो का नाम बदल कर इन्हें प्रांतीय मार्ग में तब्दील कर दिया। इसका संज्ञान न तो सर्वोच्च न्यायालय ने लिया व नहीं अन्य ने। यह सीधे सीधे सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना के साथ देश की जनहित व राष्ट्रहित के खिलाफ रही।
दो टके के लिए सभी बुराईयों की जड़, शराब को गांव गांव व घर घर पंहुचाने के लिए सरकारे शराब को बेशर्मी से पोषण और संरक्षण दे रही है।
इस कारण शराब के प्रति आम जनता के मन में आकर्षण बना हुआ है। आम लोग शराब पीना शान समझते है। सरकारों ने शराब के प्रति पनप रहे आकर्षण को दूर करने की जगह इसे बढ़ावा देने का काम किया। इससे गरीब आदमी जो सरकार द्वारा बेची जा रही देश व विदेशी शराब खरीद नहीं पाता है। अपने शौक के लिए आम लोग सरकार की तथाकथित महेंगी शराब को खरीदने के बजाय आस पास ही उपलब्ध अवैध शराब पीने के शोक को पूरा करते है। इसी के चलते कभी कभार अवैध शराब को पीने से मौत के ऐसे तांडव मचता है। हकीकत यह है कि सरकारी तंत्र की सरपरस्ती में ही यह गौरखधन्धे संचालित होते है। फलते फूलते है। अगर सरकारें कडाई बरते तो अवैध शराब के धंध्ंो 99 प्रतिशत बंद हो सकते है। वेसे यह भी देखने में आया कि शराब के बडे कारोबारी भी शराब पर लगे टेक्सों से बचने के लिए बडी मात्रा में शराब का अवैध व्यापार करते हैे।
उतराखण्ड की मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने 11फरवरी को कहा कि उतराखण्ड सरकार जहरीली शराब पर लगाम लगाने के लिए इसी बजट सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा। इस सत्र में एक विधेयक लाया जाएगा, जिसमें जहरीली शराब बेचने व अवैध तरीके से इस तरह का कारोबार करने वालों लिए सख्त प्राविधान होंगे। श्री रावत ने कहा कि निर्भया कानून के बाद जिस तरह का सख्त कानून लाया गया, इस तरह के अपराधियों को कठोर दंड दिया जा सके। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इस तरह के मामलों की जांच के लिए एक आयोग का गठन भी किया जाएगा। जो हरिद्वार जनपद में हुई जहरीली शराब पीने से हुई मौत की घटना की जड़ में जाकर जांच की जाएगी।
सबसे पहले शराब से मौतों का तांडव मचने की घटना उतराखण्ड के हरिद्वार जनपद के रूडकी क्षेत्र व उप्र के सहारनपुर क्षेत्र से आयी। सुत्रों के अनुसार झबरेड़ा थाना क्षेत्र के बाल्लूपुर गांव में 6 फरवरी को तेरहवीं में शामिल हुए लोगों ने भोज से पहले कच्ची शराब का सेवन किया । इसके बाद उनकी हालत बिगड़ गयी थी, जिन्हें ग्रामीणों द्वारा अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। उसके बाद अन्य जगह से भी ऐसी ही खबरें आने लगी तो पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल गये। अनैक लोगों की मौत के साथ सैकडों लोगों को अस्पतालों में भर्ती किया गया। खबर है कि जहरीली शराब पीने से झबरेड़ा के गांवों में 42 व सहारनपुर में 84 लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है।
इस घटना के गुनाहगारों को सजा देने के लिए उप्र व उतराखण्ड दोनों प्रदेशों ने संयुक्त रूप ये इसके गुनाहगारों को सजा दिलाने के लिए संयुक्त कार्यवाही की। कटघरे में घिरी दोनों राज्यों की पुलिस प्रशासन ने ताडबतोड छापामारी कर शराब की इस तस्करी में जुडे 191 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इसमें सहारनपुर से 135 और हरिद्वार जनपद सें 56 अवैध शराब का धंधा करने वाले लोगों गिरफ्तार किया।
जहरीली शराब घटना की खबर लगते ही उतराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात कर एक संयुक्त कमेटी बनाने का निर्णय लिया । दोनों मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये हैं कि अवैध शराब बिक्री से संबंधित कोई भी मामला सामने आता है तो संबन्धित क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारियों पर कारवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भगवानपुर तहसील के गांवों में जहरीली शराब पीने से लोगों की मृत्यु होने की घटना का संज्ञान लेते हुए घटना में मृतकों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये तथा गम्भीर रूप से घायल व्यक्तियों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दिये जाने की घोषणा की है।
इसके बाद सहारनपुर व हरिद्वार के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा आबकारी विभाग के अधिकारियों की टीम गठित कर सीमावर्ती संदिग्ध ग्रामों में दबिश डाली जा रही हैं। दोनों राज्यों की पुलिस प्रशासन ने युद्धस्तर पर छापेमारी कर लाखो लीटर अवैध शराब, विदेशी शराब, दबोची गयी। 27400 किग्रालहन भी नष्ट किया गया। जहरीली शराब के प्रकरण में प्रथम दृष्टया मिथाइल एल्कोहॉल के होने की आशंका के चलते के राज्य में स्थित समस्त मिथाइल एल्कोहॉल के बारे में विस्तृत जांच करायी जा रही है।
इस जहरीली शराब प्रकरण में जहां हरिद्वार और सहारनपुर के एसएसपी ने 10 फरवरी को रुड़की में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जहरीली शराब सहारनपुर के पुंडेन गांव में बनाई गई। चार लोग वहां से 35 लीटर शराब खरीदकर उत्तराखंड लाए। इस मामले में पुलिस ने बालुपुर निवासी पिता-पुत्र को गिरफ्तार कर लिया है। शेष चार आरोपियों की तलाश में छापे मारे जा रहे है। पुंडेन से गिरफ्तार शराब माफिया हरदेव और उसके पिता सुखविंदर उर्फ सुक्का से शराब खरीदकर लाने वाले बालूपुर निवासी सोनू ने पुलिस को बताया कि यह शराब दूधिया रंग की थी और उससे बदबू भी आ रही थी। इस पर उसने हरदेव को फोन पर इसकी जानकारी दी। हरदेव ने कहा कि शराब बनाते समय उसका रंग काला हो गया था, इसलिए उसने उसमें दूध मिला दिया। जिसको बाद में बेचा गया।
वहीं बाद में 11 फरवरी को को एसएसपी हरिद्वार जन्मेजय खंडूरी ने जानकारी दी कि इस प्रकरण में पकड़े गये सहारनपुर के पिता-पुत्र ने कबूल किया कि झबरेड़ा क्षेत्र के बाल्लुपुर व बिन्दुखड़क व सहारनपुर क्षेत्र में जिस जहरीली शराब से सैकड़ों लोगों की मौत हुई, वह शराब उन्होने रुड़की तहसील के गांव तेज्जुपुर से खरीदी थी तथा उनके द्वारा ही बेची गयी इस शराब से उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश में लोगों की मौत हुई है। पुलिस के इन दो अलग अलग दावों से सवाल खडा होता है कि यह शराब बनी कहा सहारनपुर के पुंडेन गांव में या हरिद्वार जनपद के तेज्जुपुर गांव में।
सरकार को चाहिए था कि वह वैध हो या अवैध दोनों शराब के धंधे पर कडाई से अंकुश लगाना चाहिए। शराब से जितना राजस्व मिलता से उससे दसों गुना अधिक रूपये लोगों को बीमारी, कानून व्यवस्था व शांति बहाली में लगानी पड़ती है। इसलिए देश में हो रही इस प्रकार की शराब पीने से मचे मौत के तांडव के लिए देश में शराब को बढावा देने वाली सरकारें ही जिम्मेदार रहती है।