मोहन काला को सम्मलित किये जाने की खबर का खण्डन करके हुई कांग्रेस की जग हंसाई
देहरादून (प्याउ)। गणेश गोदियाल के एक ही दाव से उतराखण्ड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम व नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश चारों खाने चित हो गये। वहीं ंमोहन काला को कांग्रेस में सम्मलित किये जाने की खबर का खुद खण्डन करके कांग्रेस ने अपनी जग हंसाई करा दी। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड काग्रेस के प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह, पूर्व प्रभारी संजय कपूर,उत्तराखंड काग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंहं,प्रतिपक्ष की नेता श्रीमती इंदिरा ह्रदयेश की उपस्थिति मे 9 फरवरी को उत्तराखंड के प्रमुख समाजसेवी एवं व्यवसायी मोहन काला अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय मे काग्रेस मे शामिल किया गया।
परन्तु लोग हैरान है कि समाचार पत्रों व खबरिया चैनलों के माध्यम से मोहन काला के कांग्रेस में सम्मलित होने की खबर जनता तक पंहुच भी नही ंपायी थी कि कांग्रेस के थैलीसैंण क्षेत्र के दिग्गज कांग्रेसी नेता व पूर्व विधायक गणेश गोदियाल ने मोहन काला को कांग्रेस में सम्मलित किये जाने के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह पर विफर पडे। कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत के करीबी समझे जाने वाले गणेश गोदियाल ने इसके विरोध में 12 फरवरी को कांग्रेस के विधायकों व पूर्व विधायकों की बैठक बुलाने का ऐलान किया। इस प्रकरण से आहत गोदियाल यहीं नहीं रूके उन्होने कहा कि अगर बैठक से बात नहीं बनी तो वे दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में राजीव गाध्ंाी की प्रतिमा के सामने धरना पर बैठ कर कांग्रेस नेतृत्व को इस प्रकरण से अवगत करायेंगे।
श्री गोदियाल के विरोध को देखकर जबरदस्त दवाब में आयी प्रदेश कांग्रेस ने आनन फानन में प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रचार समन्वयक धीरेन्द्र प्रताप के नाम से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके दो टूक शब्दों में कहा कि अभी मोहन काला को कांग्रेस में सम्मलित नहीं किया गया। उनको सदस्यता देने पर विचार किया जा रहा है।
श्री गोदियाल ने इसे अपने खिलाफ षडयंत्र बताते हुए पार्टी के नेताओं को याद दिलाया कि वे भाजपा में सम्मलित होने का 5 करोड का प्रलोभन ठुकरा कर कांग्रेस के गर्दिश के दिनों में चट्टान की तरह खडे रहे। परन्तु पार्टी के वर्तमान प्रदेश नेतृत्व ने उनके समर्पण को नजरांदाज करके उनके खिलाफ 2017 में श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र से उनको हराने के लिए चुनाव लड़ चूके मोहन काला को कांग्रेस में सम्मलित कराने का जो काम किया। उससे कांग्रेस ही कमजोर होगी। इसके खिलाफ गणेश गोदियाल ने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश पर जम कर निशाना साधते हुए इसका प्रखर विरोध करने का ऐलान किया। श्री गोदियाल ने इंदिरा हृदेश पर गहरा कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत का वह बयान का भी उल्लेख किया जिसमें त्रिवेन्द्र रावत ने बयान दिया था कि नगर निगम चुनाव में इंदिरा हृदेश ने अपने बेटे की जीत के लिए उनसे समर्थन मांगा था। श्री गोदियाल ने कहा कि जो इंदिरा हृदेश अपने बेटे के राजनैतिक भविष्य की रक्षा के लिए कांग्रेस के नेताओं से समर्थन लेने के बजाय भाजपा नेता से समर्थन मांगती हो उससे कांग्रेस क्या आशा रख सकती है। हालांकि गोदियाल की नाराजगी के बाद प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व इंदिरा हृदेश ने इस प्रकरण से पल्ला झाडते नजर आये।
18 साल पहले सतपाल महाराज के आशीर्वाद से कांग्रेस की राजनीति मे प्रवेश कर स्थापित होने वाले थैलीसैंण क्षेत्र से विधायक बने गणेश गोदियाल ने कुछ ही साल पहले ही अपने राजनैतिक आका समझे जाने सतपाल महाराज का साथ छोड कर कांग्रेस के दिग्गज हरीश रावत से जुड गये है। प्रदेश कांग्रेस सरकार के खिलाफ हुए विद्रोह के समय भी गोदियाल चट्टान की तरह तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ खडे रहे।
वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष का कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत से सम्बंध सामान्य नजर नहीं आता। इसका एक नमुना है गणेश गोदियाल का आक्रोश प्रकरण। इस प्रकरण से साफ उजागर हो गया कि प्रदेश में कांग्रेसी राजनीति में हरीश रावत का कोई जवाब नहीं है। हरीश रावत के करीबी गोदियाल के एक बयान से प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष का बिछायी हुई चैरस रेत की महल की तरह बिखर गयी है। सबसे हैरानी की बात यह है कि गोदियाल को विश्वास में न लेकर किसने मोहन काला को कांग्रेस में सम्मलित करने का काम किया। वह भी प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में न करा कर देश की राजधानी दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में किया गया।