भ्रष्टाचारी पुलिस अधिकारी को संरक्षण देने के लिए धरने में बेठी ममता
भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने वालों को देश कभी स्वीकार नहीं करता
नई दिल्ली (प्याउ)। 3 फरवरी को पूरा देश यह देख कर स्तब्ध है कि सर्वोच्च न्यायालय के देखरेख में 37000 करोड़ रूपये के शारदा चिटफंड घोटाले के आरोपी बंगाल पुलिस प्रमुख से मात्र जांच करने को पुलिस प्रमुख के कार्यालय पंहुचे केन्द्रीय अनवेषक ब्यूरों(सीबीआई) के पांच अधिकारियों को बंगाल पुलिस से हिरासत में लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने के बजाय उल्टा भ्रष्टाचारी अधिकारी के बचाव में कौलकोता के धरने में धरने में बैठ गयी। यही नहीं ममता बनर्जी ने जिस प्रकार से पुलिस व सेना से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ खुला आवाहन किया और आरोपी पुलिस अधिकारी ने जिस प्रकार से सार्वजनिक रूप से ममता के धरने में भाग लिया।
वहीं ऐसे भ्रष्टाचार की ढाल बनी ममता को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कडी कार्यवाही करके गरीब जनता के पैेसे वापस दिलाने की सलाह देने के बजाय अण्णा हजारे के नेतृत्व में देशव्यापी भ्रष्टाचार की लडाई लड कर दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री बने अरविन्द केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अखिलेश, माया, पंवार, लालू की तरह ममता का समर्थन करके जनता के सामने खुद को बेनकाब कर दिया। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अखिलेश, माया, पंवार, लालू का ममता का समर्थन करना तो जनता को समझ में आता है। लोग जानते हैं ये ममता के समर्थन करके खुद का बचाव कर रहे है। पर जनता हैरान है कि अण्णा आंदोलन में भ्रष्टाचार के आरोपी चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ सीधे जांच करने की हुंकार भरने वाले अरविन्द केजरीवाल कैसे सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर 37000 करोड़ रूपये के शारदा घोटाले की जांच का स्वागत करने के बजाय आरोपी पुलिस प्रमुख की जांच को रोकने वाली ममता का समर्थन कर रहे है।
अरविन्द केजरीवाल की तरह मोदी पर राफेल युद्ध विमान सौदे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी को ममता बनर्जी के इस कृत्य पर समर्थन करते देख कर भी जनता राहुल गांधी के इस कदम से निराश है। केजरीवाल व राहुल गांधी अन्य विरोधी दलों द्वारा मोदी सरकार पर सीबीआई का दुरप्रयोग का आरोप के साथ अन्य मुद्दों पर विरोध करने पर जनता समर्थन कर सकती थी परन्तु एक भ्रष्ट अधिकारी पर जांच करने पर इतना हाय तोबा मचाने वाली ममता का समर्थन करते हुए विरोधी नेताओं को देश का एक भी जागरूक जनता स्वीकार नहीं कर सकती। ऐसा ही कार्य बंगाल में ममता बनर्जी के साथ सीधा टकराव करने वाले वामपंथी दलों द्वारा ममता बनर्जी के इस कृत्य का समर्थन करते देख कर स्तब्ध है। आम गरीब, मजदूर व मेहनतकशों के लिए खुद को समर्पित रहने का दंभ भरने वाले वामपंथी दलों को इन गरीबों के पैसे को डकारने वाले गुनाहगारों के पक्ष में खडे देख कर लोग स्तब्ध है। मोदी व भाजपा का सिद्धांतों व मुद्दों पर विरोध को जनता स्वीकार कर सकती पर भ्रष्टाचार के पक्ष में खडे दलों व नेताओं को देश की जागरूक जनता एक पल के लिए भी स्वीकार नहीं कर सकती।
मोदी सरकार व न्यायालय द्वारा दोनों के खिलाफ समय गंवाये बिना त्वरित कार्यवाही न करने से भी जनता स्तब्ध है। अदालत ने ऐसी सरकार व अधिकारी को एक पल के लिए देश की एकता व अखण्डता को रौंदने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।
देशवासियों को आशा थी कि ममता बनर्जी को शारदा घोटाले प्रकरण में चल रही जांच को युद्धस्तर पर कराकर इस प्रकरण के गुनाहगारों को कडी सजा दिलाती और जिन आम लोगों के जीवन भर की मेहनत की कमाई को घोटाले में उडाया गया। गुनाहगारों की सम्पतियों को नीलाम कर जिनके पैसे यहां फंसे उनको लोटाने का काम करना चाहिए। केअब्यू के अधिकारियों
बनर्जी को भ्रष्टाचारी पुलिस अधिकारी को बचाने के लिए धरना नहीं अपितु जांच में सहयोग करना चाहिए।