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महीनों डाकघरों में 25 व 50 पैसे के डाक टिकट गायब कर घोंटा जा रहा है लोकशाही का गला!

डाक  टिकटों को तुरंत उपलब्ध कराये सरकार
नई दिल्ली(प्याउ)। डाकघरों में विगत एक माह से 25 व 50 पैसे के डाक टिकट न मिलने से आम जनता बेहद परेशान है। खासकर सुदूर ग्रामीण अंचलों सहित देश के कोने कोने के करोडों लोग समाचार पत्रों के न मिलने से परेशान है। आम जनता ही नहीं देश भर में दैनिक/साप्ताहिक/पाक्षिक/मासिक व त्रिमासिक आदि समाचार पत्रों के प्रकाशक भी देश के डाकघरों में 25 व 50 पैसे के टिकट न मिलने से अपने समाचार पत्रों को अपने सदस्यों तक नहीं भेज पा रहे है। बहुत कम लोग ही 25 व 50 पैसें की टिकटें न मिलने से एक रूपये की टिकट लगा कर अपने समाचार पत्र/पत्रिकायें भेज पा रहे है।
इस समस्या पर गहरा कटाक्ष करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी व प्यारा उतराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत ने कहा कि वे विगत 26 साल से निरंतर डाक द्वारा अपना समाचार पत्र देश भर में प्रेषित करते है। परन्तु इस बार डेढ महिनें से जिस प्रकार से देश की राजधानी दिल्ली में 25 व 50 पैसे की डाक टिकट नहीं मिल रहे है। उससे प्रकाशक व आम जनता बेहद परेशान है। इसके मूल कारणों के बारे में डाक घर प्रशासन केवल यही जवाब दे रहा है कि पीछे से नहीं आ रहा है। श्री रावत ने कहा कि सरकारों में आसीन नेताओं को अपने कुशासन को बेनकाब होने का जब भी खौप सताने लगता है तभी वे 25 व 50 पैसे की डाक टिकटों का डाकघरों से गायब कर देते हैं या डाकघरों में इसको भिजवाते ही नहीं। क्योंकि शासकों को इस बात का भान है कि छोटे समाचार पत्र  जमीनी सच्चाई को ही प्राय अपने समाचार पत्रों में प्रकाशित करते है। जिसका जनता में गहरा प्रभाव पडता है। बडे समाचार पत्रों पर सच्चाई को सामने रखने से रोकने के लिए सरकार के पास विज्ञापन सहित कई प्रकार के हथकंडे है। वेसे भी खबरिया चैनलों व बडे समाचार पत्रों की प्राथमिकता आम आदमी नहीं होते है। वे केवल अपने व्यवसायिक हितों की रक्षा करने के लिए सच्चाई को जमीदोज करते है।
ऐसे में हुक्मरानों को जब अपने कृत्यों को बेनकाब होने का भय रहता है तब ही वह डाक घरों से े25 व 50 पैसे के डाक टिकटों को गायब कर देती है। यह एक प्रकार से लोकशाही का गला घोटने वाला ही कृत्य है। यह जानबुझ कर किया  गया कृत्य है। सरकारों को इस  बात का भान होता है छोटे समाचार पत्र एक रूपये के टिकट को खरीद कर समाचार पत्र नहीं भेजने वाला। इसलिए सरकार जानबुझ कर लोकशाही का गलाघोटने के लिए देश के डाकघरों से 25 व 50 पैसे के डाक टिकट गायब कर दिये गये। या नहीं छपाये जा रहे है। मोदी सरकार के समय यह दूसरी बार हुआ। मनमोहन सरकार के समय भी ऐसा कृत्य किया गया, जिसका पुरजोर विरोध किया गया। अब लोकसभा चुनाव 2019 होने वाले हैं ऐसे समय सरकार ऐसे घटिया हथकंडा अपना कर देश में लोकशाही का गला घोंटने का असफल कृत्य कर रही है। इस कृत्य की चैतरफा निंदा हो रही है। सभी एक स्वर में सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि वह तत्काल 25 व 50 पैसे के डाक टिकटों को डाकघरों में उपलब्ध करायें।

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