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राजधानी दिल्ली में रहेगी भगवान सूर्य के पावन पर्व उतरायणी/मकरैणी की धूम

14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन दिल्ली में पांच दर्जन से अधिक स्थानों पर दिल्ली सरकार व उतराखण्डी संस्थायें मनायेगी उतरायणी/मकरैणी का पर्व

मात्र सेल्फी, नाच गाने व थैलीशाहों के स्वागत तक सीमित न रख कर इन आयोजनों को समाज को गैरसैंण आदि ज्वलंत मुद्दों से जोडना होगा
नई दिल्ली (प्याउ)। हर साल की तरह इस साल 2019 की  14 जनवरी को भी  विश्व में रहने वाले 100 करोड़ से भी अधिक भारतीय, प्रकृति के महान पर्व ‘मकर संक्रांति  को पूरे श्रद्धा विश्वास के साथ मनायेंगे। मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगा  सहित तमाम पावन नदियों के तट पर प्रातः स्नान करके सतपथ पर चलने का संकल्प लेते है।
इसी मकर संक्रांति के पावन पर्व को भारतीय संस्कृति की उदगम स्थली ‘उतराखण्ड व देश विदेश में रहने वाले लाखों उतराखण्डी 14 जनवरी को मकरैणी/उतरैणी के नाम से बडे धूमधाम से मनाने में जुटे है। मकर संक्रांति का पर्व शताब्दियों से लोग बडी श्रद्धा से गंगा आदि पावन नदियों या घर में स्नान करके पूरी श्रद्धा के साथ मकरैणी/उतरैणी/उतरायणी/खिचडी संक्रांत के नाम से मनाते रहे। इसके साथ रोजगार के लिए दिल्ली सहित देश विदेश में जहां भी बड़ी संख्या में उतराखण्डी गये वहां भी वे अपनी सनातनी संस्कृति को जीवंत बनाये रखने के लिए रामलीला, होली, बग्वाल, उतरैणी/मकरैणी बडे धूम धाम से मनाते रहे। दिल्ली मेें भी मकरैणी/उतरैणी दशकों से मनाया जाता रहा। इसमें लखपत नेगी की संस्था सूरघाट व पालम क्षेत्र में सूर्य प्रकाश सेमवाल सहित अनैक लोग अपनी संस्थाओं के माध्यम से यह पर्व अपने स्तर पर करते थे। पर जैसे ही चार साल पहले उतराखण्ड एकता मंच ने दिल्ली की जनसंख्या के सातवें हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले तीस लाख से अधिक उतराखण्डी समाज को सांस्कृतिक, राजनैतिक व आर्थिक जनचेतना जागृत करने के लिए एकजूट एक मुठ करके उन्हें ंबडी संख्या में जंतर मंतर से रामलीला मैदान में उतरा तो दिल्ली की वर्तमान आम आदमी पार्टी की सरकार ने उतराखण्डियों की उतरैणी/मकरैणी को मनाने की मांग को स्वीकार कर दर्जनों स्थानों पर इसके आयोजन में सहभागी बन कर दिल्ली को छट की तरह सूर्य देवता के इस महान पूर्व को मनाने का सराहनीय कार्य किया। खुद इसका ऐलान दिल्ली सरकार के कार्यकारी मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने रामलीला मैदान में किया। इस प्रकार उतरायणी/ मकरैणी महोत्सव पर प्रकाश डालते हुए उतराखण्ड एकता मंच के समर्पित समाजसेवी अनिल पंत ने बताया कि इसके बाद 1917 में सुरघाट, बुराडी, पश्चिम विनोद नगर, मयूर विहार व द्वारिका आदि स्थानों पर किया गया। 2018 में लगभग 25-30 स्थानों पर किये गये। इसमें गत वर्ष वाले आयोजकों के अलावा न्यू अशोक नगर, मयूर विहार फेज -3, श्याम विहार-नजफगढ़, द्वारिका, बदरपुर, महरोली, संगम विहार, जल विहार, मधु विहार, करमपुरा आदि स्थानों पर आयोजित किया। समाजसेवी हीरो बिष्ट के अनुसार अब द्वारिका में संयुक्त रूप से,पालम क्षेत्र का विशाल उतरायणी महोत्सव मनाया जा रहा है। वहीं कांग्रेसी नेता हरिपाल रावत भी 7 जनवरी को ही दिल्ली के गढवाल भवन में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तरफ से उतरैणी/मकरेणी पर्व के अवसर पर नींबू इत्यादि पार्टी का आयोजन कर रहे है। ेउतराखण्ड समाज के वरिष्ठ समाजसेवी व भाजपा नेता डा विनोद बछेती ने तीनों दिल्ली नगर निगमों के प्रमुखों से उतरायणी पर्व को धूमधाम से मनाने का आग्रह किया। वहीं आम आदमी पार्टी के उतराखण्ड प्रकोष्ठ के प्रमुख बृजमोहन उप्रेती भी प्रदेश सरकार से अधिक से अधिक स्थानों पर उतरैणी/मकरेणी आयोजन को सफल बनाने में जुटे है।  श्री पंत के अनुसार अब उपरोक्त स्थानों के अलावा मोहन गार्डन, विकास नगर, करावल नगर, दिलशाद गार्डन, इंद्रा पार्क सहित करीब पांच दर्जन स्थानों पर आयोजन किये जा रहे है।
इन आयोजनों को जहां दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम, केन्द्र सरकार के साथ उतराखण्ड सरकार भी आर्थिक सहयोग दे रही है। दिल्ली में इतने बडे स्तर व अनैक स्थानों पर आयोजन किये जाते कि इन स्थानों पर सांस्कृतिक कलाकारों का अभाव सा हो जाता है। दिल्ली में तमाम सामाजिक संगठनों को चाहिए कि इन अवसरों को जहां छट की तरह आस्था व बागेश्वर की उतरायणी की तरह समाज के ज्वलंत मुद्दों को दिशा व समाज को एकजूट करने के लिए सदप्रयोग करना चाहिए। इन कार्यक्रमों के आयोजकों को चाहिए कि यहां पर केवल सेल्फी लेने, नाच गाने व थैलीशाहों को स्वागत आदि कार्यक्रमों तक सीमित नहीं रखना चाहिए।  आयोजकों का सामाजिक दायित्व होता है कि इन पावन अवसरों में उपस्थित जनसमुदाय को सदप्रयोग कर समाज, प्रदेश व देश की स्थिति सुधारने का काम को करना चाहिए।
मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं। समाज के उत्थान के लिए जातिवादी, क्षेत्रवादी व अधर्मी ताकतों से उबार कर उनको उतराखण्ड के चहुमुखी विकास के लिए गैरसैंण राजधानी निर्माण, भू कानून, मुजफ्फरनगर काण्ड-94, जनसंख्या पर आधारित विस परिसीमन,घुसपेट, शराब आदि गंभीर विषयों पर जागृत करना चाहिए। इस पावन पर्व पर कम से कम सभी आयोजकों को सम्मलित लोगों को उतराखण्डी समाज से शराब, जातिवाद व क्षेत्रवादी  आदि जहर से बचने का सामुहिक संकल्प भी अवश्य लेना चाहिए।

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