किस बात का यह हैवानी जश्न मना रहे हो मेरे साथी
देश दुनिया, खुद की बर्बादी का या अपनी मूर्खता का।
हम सनातनी है, हर पल सत का ही अभिनंदन करते।
अन्याय,शोषण,आतंक,अज्ञानता का भी नाश करते।
हम दीप बुझाते नहीं,नहीं कभी आतंक से जग दहलाते।
प्रेम,ज्ञान,सृजन के जीवन दीपों से ही जग रोशन करते।
लूट खसोट,पद, दौलत शौहरत के लिए कभी नहीं जीते
हम तो हर जड-चेतन की खुशियों के लिए जीवन जीते।
सुरा सुंदरी मांस, लूट खसौट से सजी तुम्हारी ये महफिल
तुम्हारे कृत्यों से बर्बाद जग के जख्मों पर नमक छिडकती
उठो जागो! हे अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी ढोने वाले कहारो
तिमिर में डूबे जग को प्रेम,ज्ञान के दीप जलाकर रोशनकर दो
हे दानव, कत्लगाह बनाने से कराह रही है यह धरती माता
इंसान बनो,हैवानियत त्यागो,आओ प्रेम के ही दीप जलाओ
देवसिंह रावत