सेना व पुलिस प्रशासन बचाव में जुटी,
वीरपुर पुल हादसे पर जिम्मेदारों पद दर्ज होना चाहिए हत्या का मामला
उतराखण्ड के सत्ता प्रतिष्ठान के नाक नीचे हुए बीरपुर का लोहे के पुल हादसे ने बेनकाब किया उतराखण्ड की सरकारों के विकास के खोखले दावे
देहरादून(प्याउ)। कल देर रात उतराखण्ड के सत्ता प्रतिष्ठान के नाक के नीचे देहरादून के कैंट थाना क्षेत्र में अंग्रेजों के शासन काल के दौरान टौंम्स नदी पर बने जीर्णशीर्ण हुए बीरपुर लोहे के पुल के अचानक ढहने से दो लोेगों की दर्दनाक मौत हो गयी।
इस दुर्घटना होने की सूचना मिलते ही बचाव व राहत कार्य में सेना व पुलिस का अभियान जारी है। खबर है कि इस पुल के ढहने के कारण इसके नीचे एक डम्पर सहित कई लोगों के दबे होने की खबर है। जिनके बचाव के लिए अभी तक बचाव अभियान युद्धस्तर पर चला हुआ है।
इस पुल के ढहने से इस प्रतिष्ठित क्षेत्र को जोडने वाले आस पास की बड़ी आबादी को परेशानी का सामना करना पड रहा है। सबसे हैरानी की बात है कि यह जीर्णशीर्ण पुल प्रदेश के विकास के हवाई दावे करने वाली प्रदेश सरकार के नाक के नीचे ढहा। इस पुल से 1 किमी क्षेत्र में ही प्रदेश के मुख्यमंत्री का आवास, राज्यपाल आवास सहित तमाम प्रतिष्ठित सत्ता प्रतिष्ठान है। इस पुल के जीर्णशीर्ण होने की सबको खबर थी इसके बाबजूद प्रदेश गठन के बाद की 18 साल की किसी भी सरकारों ने इसके नव निर्माण का जरूरत ही महसूस नहीं की। इस प्रकार से इस हादसे की जिम्मेदारी प्रदेश की अब तक की सरकारों की है। इनको जब अपनी नाक के नीचे की सुध नहीं है तो इनसे दूरस्थ व पर्वतीय क्षेत्रों की विकास की आश करना भी एक प्रकार से बेईमानी है। इनकी लापरवाही के कारण इस पुल के हादसे में लोगों को अपनी जान खोनी पडी। अगर कहीं जिम्मेदार शासन प्रशासन रहता तो जिम्मेदार लोेगों पर इस हादसे पर हत्या का मामला दर्ज किया जाता। अगर ये पुल समय पर बना दिया जाता तो लोगों को अपनी जान से हाथ नहीं धोना पडता और लोगों को असुविधा का सामना नहीं करना पड़ता। परन्तु जनता की जिंदगी व सुविधाओं की सुध लेने की फुर्सत सत्तांधों को है ही कहां?