क्या मोदी सरकार, भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठायेगी ?
पाकिस्तानी आतंक, बग्लादेशी व रोहिग्या घुसपेटियों के साथ धर्मांतरण का एक सांझा षडयंत्र है भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का
प्यारा उतराखण्ड डाट काम के लिए देवसिंह रावत –
देश मेें पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद जीत हार के शोर में नीरों बने देश के हुक्मरानों, राजनेताओं, बुद्धिजीवियों व पत्रकारों को शायद ही मेघालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुदीप रंजन सेन की भारत को इस्लामिक देश न बनने मोदी सरकार देश को इस्लामिक देश न बनने देने की सलाह शायद सुनाई दी होगी। न तो समाचार पत्रों व नहीं छोटे मोटे मामलों ंमें खबरिया चैनलों में देश की जनता को भ्रमित करने वाली बहसों में यह मुद्दा ही उठा। समाचार जगत में प्रियंका चोपडा, कपिल शर्मा व अम्बानी की बेटी की शादी का ही मामला छाया रहा। किसी ने इतनी जरूरत तक महसूस नहीं की कि देश के उच्च न्यायालय में आसीन न्यायाधीश ने इतनी गंभीर सलाह क्यों दी।
यह गंभीर मामला तब प्रकाश में आया जब 13 दिसम्बर को मेघालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुदीप रंजन सेन ने निवास प्रमाण पत्र से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अगर मैं मूल भारत और उसके विभाजन को सामने नहीं रखता हूं तो अपने कर्तव्य में असफल रहूंगा।’ न्यायमूर्ति सेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भारत को इस्लामिक देश नहीं बनने देने के लिए जरूरी कदम उठाएगी। इसके साथ न्यायमूर्ति सेन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी राष्ट्र हित में उसका समर्थन करेंगी।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुदीप रंजन सेन ने आशा प्रकट की कि देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, कानून मंत्री और सांसदों से ऐसा कानून बनाने को कहा, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई, खासी, जैंतिया और गारो लोग भारत में रह सकें और उन्हें यहां की नागरिकता दी जा सके। न्यायमूर्ति ने अफसोस प्रकट किया कि भारत को आजादी के समय ही हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था।
कोई जीवंत देश होता तो इतनी गंभीर टिप्पणी पर देश व्यापी बहस होती। केवल न्यायमूर्ति की सलाह पर त्वरित प्रतिक्रिया ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भले ही इस आशंका को सिरे से नक्कारते हुए न्यायमूर्ति सेन को संविधान की व्याख्या करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने नहीं झुकने की सलाह दी।
इतनी गंभीर विषय पर देश में शर्मनाक सन्नाटा से साफ हो गया कि इस देश के अधिकांश राजनैतिक दल सत्तालोलुपु, निहितस्वार्थ, जातिवाद, क्षेत्रवाद, अंध तुष्टिकरण व दलीय बंधुआ मजदूरी में नीरो बने है। उन्हें देश के हितों, सुरक्षा, संस्कृति का कहीं रत्तीभर भी चिंता नहीं है।
ऐसा भी नहीं कि न्यायमूर्ति सुदीप रंजन सेन ने ये बातें किसी दुराग्रह या निहित स्वार्थ में ग्रसित हो कर कहा हो। सच्चाई यह है कि देश की स्थिति सीरिया से भी अधिक गंभीर है। देश के दुश्मन दशकों से भारत में आतंक व घुसपेट कराकर देशांतरण कराने ेका कितना खौपनाक षडयंत्र चल रहा है । इसका एक छोटा सा गंभीर नमुना है रोहिंग्या घुसपेटियों को गुपचुप तरीके से सुदूर जम्मू प्रांत में बसाया गया। वे कोन की ताकतें थी जो इनको बंगाल, असम, के बजाय सेकडों किमी दूर संवेदशील जम्मू में बसाने का काम किया।
देश आज जहां एक तरफ पाकिस्तानी व चीन सहित विदेशी षडयंत्र द्वारा निर्देशित व संरक्षित आतंक से भारत को छलनी कर रखी है। वहीं दूसरी तरफ ये ही ताकतें, भारत में बंग्लादेशी, रोहिंग्या घुसपेटियों को देश के विभिन्न प्रांतों में बसा कर, उनका राशन, मतदाता व आधार कार्ड बनाने का भारतद्रोही षडयंत्र निरंतर किया जा रहा है।
देश की वर्तमान स्थिति बेहद खौपनाक है घुसपेट द्वारा देशांतरण करने के षडयंत्र से असम व बंगाल आज एक प्रकार से बग्लादेशी काबिज प्रांत बन गये है। इन्हीं घुसपेट के तहत बंगाल, असम,उडिसा,तेलांगाना, आंध्र, कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड, उप्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उतराखण्ड व दिल्ली सहित अनैक प्रांत बग्लादेशी आदि घुसपेटियों के कारण अपना अमन चैन व जनसंख्या के नक्शे पर पहले से ग्रहण लगा चूके है। यह इतनी भयानक घुसपेट को देखते हुए कहा जा सकता है कि घुसपेट इस देश के लिए पाकिस्तानी आतंक से अधिक खतरनाक है। ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब कश्मीर, असम, बंगाल व नागालेण्ड जैसे प्रांतों की तरह पूरे देश में भारतीय संस्कृति पर ग्रहण लग जायेगा। शायद इसी को भांप कर देश के उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ने ऐसी आशंका प्रकट की हो। हालांकि यहां पर स्पष्ट करना जरूरी है कि यह आशंका कोरी नहीं अपितु इसके पीछे ठोस तथ्य है। सच तो यह है कि पाकिस्तानी आतंक, बग्लादेशी व रोहिग्या घुसपेटियों के साथ धर्मांतरण का सांझा षडयंत्र है भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना। यह मिशन आज से नहीं अपितु शताब्दियों से चल रहा है। भारत के विभाजन ंके समय के बाद इसी मिशन पर काम किया जा रहा है। यह अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र का एक हिस्सा है। इसमें अरब देशों के साथ अनेक दल व संगठन भी जाने अनजाने इस षडयंत्र का हिस्सा बने हुए है। पर अफसोस है कि देश के हुक्मरानों व बुद्धिजीवियों को इसका भान ही नहीं। भारत का बडा भूभाग, पाकिस्तान व बंग्लादेश आदि इसी षडयंत्र के तहत इस्लामी देश बन चूके है। अगर समय पर देश के हुक्मरान नहीं जागे तो इस देश में यह मिशन भारत की एकता व अखण्डता को राहु केतु की तरह ग्रस देगा। परन्तु अफसोस है कि भारत के हुक्मरानों को इस दिशा में सोचने का समय तक नहीं है। सवाल आज यही है कि कौन समझेगा देश पर मंडरा रहे इस गंभीर संकट को? न्यायमूर्ति सेन के दर्द को समझ सकने वाले हुक्मरान कब देश को मिलेगा? आशा है कि देश में देर सबेर ऐसा सबूत पैदा होगा जो देश को इस संकट से उबारने का काम करेगा।