उत्तराखंड

राजधानी गैरसैंण न बना कर उतराखण्ड से द्रोह करके देश की सुरक्षा से खिलडवाड कर रहे है उतराखण्ड के हुक्मरान

गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग करते हुए कांग्रेस ने विस में रखे काम रोको प्रस्ताव से सत्तारूढ़ भाजपा बेनकाब

गैरसैंण  मात्र जनभावना नहीं बल्कि पहाड़ की जरूरत भी बन चुका है-केदानाथ विधायक मनोज रावत

देहरादून(प्याउ)। 7 दिसम्बर को विधानसभा में जैसे ही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश ने गैरसैंण राजधानी घोषित करने की मांग करते हुए काम रोको प्रस्ताव सदन में पेश करके नियम -58 के तहत इस पर चर्चा करायी तो इससे खुद को उतराखण्ड का सबसे बड़ा हितेषी होने का दंभ भरने वाली सत्तारूढ़ भाजपा पूरी तरह बेनकाब हो गयी । गौरतलब है कि वर्तमान भाजपा सरकार भी ठीक उसी तरह बेनकाब हुई जिस प्रकार से गैरसैंण सत्र में तत्कालीन भाजपा ने गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए सदन में प्रस्ताव रखा था, तब कांग्रेस की सरकार भी वर्तमान भाजपा की सरकार की तरह बगलें झाक रही थी। इस प्रकार से कांग्रेस ने इस बार भाजपा सरकार को ठीक उसी तरह बेनकाब किया जिस प्रकार भाजपा ने उसे बेनकाब किया था। कुल मिला कर भाजपा व कांग्रेस दोनों ने सत्तारूढ होकर जनहितों के साथ प्रदेश के हितों को रोंदने का अलोकतांत्रिक कृत्य किया।
केदारनाथ से कांग्रेसी विधायक मनोज रावत का कहना राजधानी गैरसैंण की मांग व प्रदेश की वर्तमान दुर्दशा पर सटीक बैठता है कि गैरसैंण राजधानी बनाने की मांग अब मात्र जनभावना तक सीमित नहीं रह गया अपितु अब यह  पहाड़ की नितांत जरूरत भी बन चुका है।
7 दिसम्बर को हुए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस की तरफ से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, उपनेता करण महरा, विधायक मनोज रावत, राजकुमार व ममता राकेश सहित अनैक कांग्रेसी विधायकों ने प्रदेश की राजधानी तत्काल गैरसैंण में बनाने की मांग करते हुए  कांग्रेसी सदस्यों ने गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर प्रश्नकाल रोक कर नियम 310 के तहत चर्चा कराने की पुरजोर मांग की।
भाजपा की त्रिवेन्द्र सरकार अपना नजरिया तक सदन में रखने का साहस तक नहीं कर पायी कि वह गैरसैंण राजधानी बनायेगी या नहीं? न तो सरकार के पास इस बात का कोई जवाब था कि जब राज्य गठन के समय से ही अब तक निरंतर आंदोलनकारी जनता प्रदेश की राजधानी गैरसैंण की मांग कर रहे हैं तो लोकशाही में सरकार क्यों जनभावनाओं का सम्मान नही कर रही। क्यों? राजधानी गैरसैंण को राजधानी घोषित कर रही है? प्रदेश की सरकार सहित तमाम नेताओं के पास इसका कोई जवाब नहीं कि जब प्रदेश की एक मात्र विधानसभा भवन गैरसैंण में बन चूका है। गैरसैंण स्थित विधानसभा में शीतकालीन सत्र के साथ बजट सत्र जैसे सबसे महत्वपूर्ण सत्र का सफलतापूर्वक संचालन हो चूका है फिर क्यों नहीं सरकार विगत 18 सालों से जनभावनाओं, शहीदों व आंदोलनकारियों की पुरजोर मांग, देश की सुरक्षा व प्रदेश के चहुमुखी विकास के प्रतीक राजधानी गैरसैंण को तत्काल घोषित नहीं कर रही है? आखिर सरकारें जनता के लिए बनी है या अपने निहित स्वार्थो की पूर्ति के लिए।
भाजपा सरकार के मंत्री प्रकाश पंत केवल तोते की तरह यही रटन लगाये रखे की उनकी सरकार द्वारा गैरसैंण के विकास के प्रति प्रतिबद्ध बनाते हुए कहा कि गैरसैंण को लेकर सरकार गंभीर है। वहां गैरसैंण और भराड़ीसैंण को मिलाकर स्मार्ट सिटी विकसित की जा रही है। सरकार का उद्देश्य है कि गैरसैंण में सालभर गतिविधियां चलें। इसके लिए संसदीय शोध व प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया जा रहा है। 15वें वित्त आयोग से गैरसैंण के विकास के लिए 700 करोड़ रुपये मांगे गए हैं। श्री पंत ने कांग्रेस पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया। इस पर कांग्रेस ने पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि हमारा दो टूक सवाल है कि सरकार स्पष्ट करे की सरकार गैरसैण्ंा को राजधानी बनायेगी या नही? इस पर भाजपा सरकार का ढुलमुल रवैया देख कर कांग्रेस ने  स्पष्ट जवाब न मिलने पर सदन से बहिर्गमन किया।
वहीं दूसरी तरफ राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर राज्य गठन आंदोलनकारी 1994 से निरंतर अभी तक पुरजोर आंदोलन चल रहा है। बाबा मोहन उतराखण्डी व देवसिंह नेगी की शहादत इस मांग को लेकर हो चूकी हैं। देहरादून सहित देश प्रदेश के अनैक स्थानों पर निरंतर आंदोलन चल रहा है। 25 दिसम्बर को देहरादून में विशाल प्रदर्शन किया जायेगा।  परन्तु क्या मजाल पंचतारा सुविधाओं की मौज मस्ती में धृतराष्ट बने प्रदेश के हुक्मरानों का राजघानी गैरसैंण बनाने का दायित्व निभाये। इसके कारण उतराखण्ड के हजारों गांव उजड गये है। जिससे देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। अभी तथाकथित पलायन आयोग की रिपोर्ट है कि इन सात सालों में जिस पौडी ने प्रदेश को 4 मुख्यमंत्री दिये वहां से 186 गांव खाली हो गये है। पौडी जनपद के 7 साल में खाली हुए गांवों के संख्या विकासखण्ड स्तर पर निम्न है। पाबौ 07.पौड़ी 27. पोखड़ा 09. रिखणीखाल 29. थैलीसैंण 08.यमकेश्वर 08.जयहरीखाल 02.बीरोंखाल 16.दुगड्डा 12.द्वारीखाल 09.एकेश्वर 06.कल्जीखाल 12. खिर्सू 08.कोट 28.नैनीडांडा 05।

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