विधानसभा सत्र से दो दिन पहले जन संगठनों की महापंचायत ने दिया सरकार को शीघ्र राजधानी गैरसैंण बनाने फरमान
गैरसैंण में सत्र आयोजित करने का विरोध करने वाले अजय भट्ट व इंदिरा हृदेश को धिक्कारते हुए किये कम्बल दान
देहरादून(प्याउ)। 4 दिसम्बर से शुरू हो रहे उतराखण्ड विधानसभा का सत्र हंगामी होने के पूरे आसार है। इस सत्र से पहले ही 2 दिसम्बर को देहरादून के परेड़ मैदान में स्थित धरना स्थल पर उतराखण्ड राज्य गठन के तमाम आंदोलनकारी संगठनों ंने लामबद्ध होकर सरकार को अविलम्ब राजधानी गैरसैंण बनाने का फरमान दिया। इस अवसर पर आयोजित जनसंगठनों की महापंचायत में निर्णय लिया गया कि अगर सरकार राजधानी गैरसैंण की घोषित नहीं करती है तो 25 दिसम्बर को धरने के 100 दिन पूरे होने पर प्रचण्ड प्रदर्शन कर सरकार का घेराव किया जायेगा।
प्यारा उतराखण्ड समाचार पत्र के सम्पादक देवसिंह रावत को दूरभाष से इस महापंचायत की जानकारी देते हुए प्रमुख धरना धारी लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल ने बताया कि 17 सितम्बर से राजधानी गैरसैंण निर्माण के लिए चल रहे राजधानी गैरसैंण निर्माण अभियान के बैनरतले चल रहे इस सतत आंदोलन में 2 दिसम्बर को राज्य गठन व राजधानी गैरसैंण के लिए शहीद हुए आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देते हुए जनसंगठनों की महापंचायत हुई। इसमें जनगीतों व जनांकांक्षाओं की गूज से धरना स्थल गूंजायमान हो गया। इसमें ंबडी संख्या में राज्य गठन के आंदोलनकारियों के साथ बडी संख्या में नौजवान, महिला व समाजसेवियों ंने भाग लिया। इसमें सरकार से अविलम्ब राजधानी गैरसैंण घोषित करने की मांग करते हुए वर्तमान सत्र राजधानी गैरसैंण में न करने के लिए प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट व नेता प्रतिपक्ष कांग्रेसी नेत्री इंदिरा हृदेश को धिक्कारते हुए दोनों को विरोध का प्रतीक कंबल दान किया।
इसमें आंदोलन की रणनीति पर भी मंथन हुआ। धरना स्थल पर संजय थपलियाल के नेतृत्व में जनगीत धै-धाद का समर्पण भी किया गया। धरने में जहां वरिष्ठ समर्पित राज्य आंदोलनकारी पानसिंह परिहार, प्रकाश थपलियाल, महिला मंच की प्रमुख कमला पंत, राजेन्द्र शाह, लक्ष्मी गुसांई, मनोज ध्यानी, ब्रह्मानंद डालाकोटी, आंदोलनकारी संगठन के देहरादून के अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट, डीएवी कालेज छात्र संघ के पूर्व महासचिव सचिन थपलियाल,मदनसिंह भंडारी, लूशुन टोडरिया,प्रदीप सत्ती, उषा भट्ट,कर्नल रिडमरी रणवीर चैधरी, सचिन, प्रकाश गौड, अंकित बिष्ट महेश रावत गणेश धामी, ललित जोशी, देेवेन्द्र रावल, सुलोचना भट्ट, गीता बिष्ट, रेनू नेेगी, सुमन नेगी, भार्गव चंदोला, प्रकाश गौड़, बॉबी पंवार, गणेश धामी, इंजीनियर आनंद प्रकाश जुयाल, कर्नल (डा0) डीपी डिमरी, राधाकृष्ण पंत प्रयासी, उपेन्द्र सिंह चैहान, हर्ष मैंदोली, ज्योत्सना असवाल, सुमन डोभाल काला, सुभाष रतूडी, रणवीर सिंह चैधरी, संजय थपलियाल, कृष्ण काँत कुनियाल, राकेश सती, और समस्त ’गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान’ अभियानकर्मी परिवार के अनैक समर्पित सदस्य उपस्थित थे।इस अवसर पर ’पंगत पौणे’ के तहत पंचायत में ’झोल-भात’ भी परोसा गया।
ऐसा नहीं कि त्रिवेन्द्र सरकार से राजधानी गैरसैंण की यह मांग केवल आंदोलनकारी संगठन कर रहे है। भले ही इस मांग को स्वीकार करने में अब तक की कोई भी सरकार सीधे सीधे तैयार नहीं रही। परन्तु इस मांग का सीधा विरोध करने का दुशाहस कोई भी दल नहीं ले रहा है। ऐसा ही दुशाहस करने का दण्ड जनता ने कांग्रेस के उतराखण्ड विरोधी नेताओं को पहले दे चूकी है। इसी पखवाडे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजट भट्ट ने सत्तामद में चूर होकर इसी प्रकार का दुशाहस करके गैरसैंण पर अलोकतांत्रिक बयान क्या दिया कि पूरे प्रदेश में भाजपा की भद्द पिट गयी। इससे आहत होकर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने अप्रत्यक्ष रूप से अजय भट्ट को उनकी सीमाओं का ऐसा भान कराया कि बड बोले अजय भट्ट अपना सा मुंह लेकर रह गये। ंइस बयान की ऐसी प्रतिक्रिया हुई कि भाजपा के अनैक विधायकों ंव पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने भी राजधानी गैरसैंण का खुला समर्थन किया। सांसद प्रदीप टम्टा तो राज्य गठन के बाद से ही निरंतर राजधानी गैरसैंण के पक्ष में सडक से लेकर संसद तक समर्पित है।
ऐसी ही दुर्गति कांग्रेस की जनता द्वारा हाल में सम्पन्न हुए निकाय चुनाव में बुरी तरह से नक्कारी गयी नेत्री इंदिरा हृदेश ने कांग्रेस की भी भट्ट पिटाई। जनहित व उतराखण्ड के हितों के प्रतीक राजधानी गैरसैंण का जनविरोधी नेताओं द्वारा करते देख कर विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल को भी इन नेताओं को जनांकांक्षाओं का पाठ पढ़ाते हुए गैरसैंण का खुल कर समर्थन करना पडा। राजधानी गैरसैंण राजधानी बनाने की मांग के समर्थन में भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेता सहित कांग्रेस सहित अन्य दलों के नेता भी है भी खुल कर सामने आ रहे है।वहीं राजधानी गैरसैंण आंदोलन को दिशा देने अनैक आंदोलनकारी दिल्ली, देहरादून, पौड़ी, ंगैरसैंण, अल्मोड़ा, रामनगर, नैनीताल सहित अनैक स्थानों में व्यापक जनजागरण कर इसे राज्य गठन आंदोलन की तरह व्यापक जनांदोलन बनाने में जुटे हुए है।