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बास्ती गांव(बागेश्वर) की बारात में विषाक्त भोजन खाने से दो गांवों के 3 मरे व 400 से अधिक लोग बीमार

 

पीड़ितों का बागेश्वर और पिथौरागढ़ व हल्द्वानी के अस्पतालों में हो रहा इलाज,सरकार ने दिये जांच के आदेश

 

उतराखण्ड में बडी मात्रा में हो रही घटिया किस्म का दूध,घी, तेल,पेय पदार्थो  सहित खाद्यानों की आपूर्ति पर लगे अंकुश

बागेश्वर (प्याउ)। बागेश्वर सीमान्त प्रदेश उतराखण्ड के बास्ती गांव (बागेश्वर जनपद व कपकोट विधानसभा ) में 29 नवम्बर को हुई एक शादी के विषाक्त खाना खाने से 2गांवों के 3 लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी और 400 से अधिक लोगों अस्वस्थ हो गये। इस विषाक्त खाने से पीड़ितों को इलाज के लिए आनन फानन में बागेश्वर और पिथौरागढ़ जनपद के विभिन्न अस्पतालों के अलावा हल्द्वानी चिकित्सालय में कराया जा रहा है। इस दुखद घटना की खबर मिलते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने जनपद बागेश्वर के जिलाधिकारी से तुरंत सभी पीड़ितों का इलाज कराने के साथ पूरी रिपोर्ट तलब की। इसके साथ मुख्यमंत्री ने पीड़ितो को तुरंत अधिक इलाज कराने के लिए यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों को भेजने के साथ कुमाऊं मडालायुक्त राजीव रौतेला से इस मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश भी दिये।

इन पीड़ितों का बेरीनाग के अस्पताल में भी इलाज किया जा रहा है। इन पीड़ितों में से एक 5 वर्षीय बालक की मौत हो गयी। इसके बाद बेरीनाग के अस्पताल में इलाज करा रही 9 वर्षीय बालिका की हालत बिगडने पर उसे हल्द्वानी अस्पताल में भेजा गया। परन्तु हल्द्वानी पंहुचने से पहले ही उसकी भी मौत हो गयी। हल्द्वानी अस्पताल में विषाक्त खाने से पीडिता को 30 नवम्बर को इलाज के लिए लाया गया। जहां उनकी 1 दिसम्बर को मौत हो गयी। बागेश्वर व पिथौरागढ के चिकित्सालयों में इलाज करा रहे इस विषाक्त भोजन से 9 पीड़ितों की जब हालत बिगडने लगी तो हेलीकप्टर से हल्द्वानी लाया गया। इसके अलावा 17 अन्य लोगों की स्थिति बिगडने से हल्द्वानी अस्पताल मे भर्ती कराया गया।
इस विषाक्त भोजन की समस्या से पीड़ितों का इलाज कराने के लिए जहां शासन प्रशासन युद्ध स्तर पर जुटी हुई है। यहां इंसान ही नहीं मवेशी भी इस खाने से पीड़ित है। सरकार ने यहां पानी की जांच कराने के साथ पशुओं का भी इलाज कराने का निर्देश दिये। ऐसी आशंका प्रकट की जा रही है कि खराब खाद्यान या पानी के कारण यह खाना विषाक्त हो गया। इसके लिए प्रशासन खाने के नमुनों को ले रहा है। इसके साथ इस विषाक्त खाने के पीछे किसी अन्य कारणों की भी जांच की जा सकती है। खाना बनाने वालों व परोसने वालों सहित खाद्यान्न पूर्ति करने वाले सभी की जांच हो सकती है।

गौरतलब है कि उतराखण्ड में बडी मात्रा में हो रही घटिया किस्म का दूध,घी, तेल,पेय पदार्थो  सहित खाद्यानों की आपूर्ति होने का आरोप लोग पहले भी लगाते रहे है। परन्तु इस पर नियंत्रण करने वाला सरकारी तंत्र कुम्भकर्णी नींद सोया रहता है। इस प्रकार के हादसों का एक प्रकार से प्रशासन इंतजारी सा करता रहता।  उतराखण्ड के गांवों में पहले बारात इत्यादि सभी भोजों का ग्रामीण ही बनाते रहे। परन्तु अब गांवों में परंपरागत ढंग के बजाय भोजन बनाने वाली शहरी व्यवस्था को अपनाया जा रहा है।

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