हंस फाउंडेशन द्वारा निर्मित चिकित्सालय को जोड़ने वाली सड़क की सुध तक क्यों नहीं ले रही है सरकार?
चमोलीसैण/दिल्ली से अनिल पंत-
भारत की 75 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में बसती है, जहां स्वास्थ्य व शिक्षा का अभाव है। सरकार बार-बार उद्योगपतियों, गैर सरकारी संगठनों, चिकित्सकों व शिक्षकों को ग्राामीण क्षेत्रों में जाने की अपील/निवेदन करती है। लेकिन जब कोई ग्रामीण क्षेत्र में जाता है तो उसको प्रशासन से बहुत नकारात्मक अनुभव होता है।
ऐसा ही उतराखण्ड के दुरस्थ ग्रामीण क्षेत्र पौड़ी गढवाल के सतपुली कस्बे से 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित चमोलीसैण में हंस फाउंडेशन ने लगभग 200 करोड़ लागत का एक अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त चिकित्सालय बनाया। 150 बिस्तरों का यह अस्पताल दस एकड़ में फेला है। इसका शिलान्यास 20 अप्रैल 2013 व उद्घाटन 2017 में हुआ। इस चिकित्सालय से हर महीने लगभग 5000 लोग स्वास्थ्य उपचार ले रहे है। इस चिकित्सालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीणों की सुविधा के लिए सचल चिकित्सा वाहन सेवा भी संचालित की जाती है। इसके साथ यह चिकित्सालय, ग्रामीण क्षेत्रों में समय समय पर स्वास्थ्य शिविर लगाती हैं।
उत्तराखण्ड सरकार समय समय पर ‘हिटो पहाड’ व गांव चलो, सेल्फी खिंचोे अपने गांव की और फेस बुक या सोशल साइट में डालें का आवाहन करती है। लेकिन यह आवाहन केवल नारों तक ही सीमित रह गया। क्योंकि सतपुली से चमोलीसैण(हंस अस्पताल ) की दूरी मात्र 4 किलोमीटर है लेकिन यहां भी मानकों के आधार पर अच्छी सड़क तक का निर्माण नहीं हुआ। यह सड़क जगह जगह पर टूटी हुई है। रास्ते में 2-3 जगह पहाड़ से पानी की धारा गिरने से सड़क की हालत बद से बदतर हो गयी है। इस बदहाल सड़क के कारण बीमार व्यक्ति अस्पताल तक पंहुचते पंहुचते और बीमार हो जाता है।
स्थानीय लोगों के अनुसार एक समय सड़क बनाने के लिए डामर से भरे ट्रक आ गये थे, लेकिन आनन फानन में उनको रोक दिया गया। तब कहा गया कि यह सड़क चार लाइन की बनेगी।
यह रोड़ केवल हंस अस्पताल(चमोलीसैेण) तक ही नहीं जाति अपितु इससे बांघाट, सिद्धपीठ भुवनेश्वरी मंदिर, बिलखेत, कांसखेत, अडवाणी(पर्यटक स्थल), जिला व मंडल मुख्यालय पौड़ी, देवप्रयाग, रिषिकेश तक भी जाती है। यब बात समझ से परे है कि क्यों शासन प्रशासन इस सड़क को ब नाने में लेट लतीफी कर रहा है। इस अस्पताल के निर्माण से क्षेत्र के लोगों को रोजगार, स्वास्थ्य के साथ व्यापार के भी नये अवसर मिलेंगे।
इस अस्पताल के शिलान्यास व उद्घाटन के अवसर पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, कांग्रेस, भाजपा के साथ संघ के वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। इसके बाबजूद इस बदहाल मोटर मार्ग को सुधार कर अच्छी सड़क बनाने के दायित्व का निर्वहन नहीं कर रहे हैं।
हंस फाउंडेशन ना केवल ग्रामीण क्षेत्रमें अत्याधुनिक अस्पताल का निर्माण किया अपितु केदारनाथ आपदा के लिए 500 करोड़ रूपये व समय समय पर गरीब लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, शादी आदि के अवसर पर भी दिल खोल कर जरूरतमंदो की मदद करती है। पिछले साल ही दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को बिजली(बेटरी द्वारा संचालित साईकिल) के उपकरण भी बांटे। इतनी सेवा में समर्पित रहने के बाबजूद उतराखण्ड सरकार क्यों इस क्षेत्र की अनदेखी कर रही है। जबकि उत्तराखण्ड के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत सहित 5 मंत्री पौड़ी जनपद के ही है। यहां से मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का गृह क्षेत्र भी नजदीक ही है। पिछले माह नकली राजधानी देहरादून में इनवेस्टमंेट समिट में सरकार, बाहरी उद्योगपतियों के लिए पलक पांवडे बिछा दिये थे, लेकिन उतराखण्ड मूल के लोगों को उसमें बुलाया तक नहीं बनेगी।
यह देख कर प्रदेश की जनता के दिलो दिमाग में एक ही सवाल उमड रहा है कि जब प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित पूरी सरकार ही नहीं प्रदेश के सभी बडे नेता जिस हंस फांउडेशन के आशीर्वाद के लिए उनके दर पर हाजिरी लगाते है। उसी हंस फाउंडेशन के जनता की सेवा के लिए बने बडे चिकित्सालय की मोटर मार्ग की बदहाली दूर करने की सुध इन सरकारों को नहीं है तो आम जनता के हितों को साकार करने की इनको कहां फुर्सत होगी?