नरेन्द्र मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए राहुल, केजरी, येचूरी, अब्दुला, शरद आदि विपक्षी नेताओं ने किसानों के आंदोलन में सम्मलित होकर दिया खुला समर्थन
नई दिल्ली (प्याउ)। 30 नवम्बर को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने व किसानों का कर्ज माफ करने ’की दो मांगो को लेकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले देश भर के हजारों हजार किसानों ने दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद पर विशाल किसान मुक्ति मार्च करके मोदी सरकार पर किसानों ंकी इन दो मांगों को स्वीकार करने के लिए संसद का विशेष सत्र आहुत करे। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक व स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष -किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि मोदी सरकार की किसान व जन विरोधी नीतियों के खिलाफ देश के 210 किसान संगठनों ने एकताबद्ध होकर “अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति” के बैनर तले 29-30 नवम्बर को दिल्ली में मार्च और रैली का आयोजन किसानों के साथ इस आंदोलन में डॉक्टर, वकील, पूर्व सैनिक, पेशेवर और छात्रों सहित समाज के तमाम वर्गों के लोग भी शामिल हुए।
इस विशाल किसान मार्च के समर्थन में ंकिसानों की सभा में पंहुचे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, माकपा के महासचिव सीताराम येचूरी, राकांपा प्रमुख शरद पवार,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, शरद यादव, फारूख अब्दुला, सीताराम येचुरी, डी राजा, संजय सिंह सहित अनैक वरिष्ठ नेताओं ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए किसानों के हित में सडक से संसद तक संघर्ष करने का आश्वासन दिया। इस किसान आंदोलन को समर्थन देने व संबोधित करने के लिए मोदी सरकार के कुशासन को उखाड फैंकने के लिए सबसे अधिक प्रखर रहने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के पंहुचने की खबर सुनते ही पुलिस प्रशासन जहां सजग था वहीं किसानों में भारी उत्साह साफ दिखाई दे रहा था। राहुल गांधी ने भी अपने संबोधन में दो टूक शब्दों में किसानों की दशा व दिशा को सुधारने के लिए संसद का विशेष सत्र को बुलाने की पुरजोर मांग करते हुए कहा कि किसानों की दयनीय दशा को सुधारने के लिए कानून बदलना पडेगा, पीएम बदलना पड़े, सीएम बदलना पड़े, कानून बनाने पड़े तो किसानों के लिए बदल डालिए। कोई भी सरकार किसान का अपमान करेगी, देश के युवा को बदनाम करेगी, देश की जनता उसे हटाकर रहेगी. देश का किसान जो चाहेगा उसके लिए हम पूरी तरह समर्पित होकर संघर्ष करेंगे। श्री गांधी ने जोर देकर कहा कि हिंदुस्तान का किसान कोई तोहफा, अपना हक मांग रहा है. उन्होंने कहा कि अगर कानून बदलना पड़े तो बदल देना चाहिए।
गौरतलब है कि दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में 29 नवम्बर को ही आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित देश के कोने कोने से इस दो दिवसीय किसान मार्च में हिस्सा लेने आए किसानों ने गगन भेदी नारेबाजी करते हुए 30 नवम्बर को रामलीला मैदान से संसद तक मार्च किया। किसान एक स्वर में किसानों के दिशा व दशा सुधारने के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिर्पोट को अक्षरशः स्वीकार करते हुए किसानों को पूरी तरह से कर्ज से मुक्ति दी जाए और फसलों की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाय।