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क्रिकेट के बाद अब पाकिस्तान के कप्तान भी बने इमरान खान ! जीती चुनावी जंग, पाक में बनेगी गठबंधन की सरकार

  • क्रिकेट के बाद अब पाकिस्तान के कप्तान भी बने इमरान खान
  • इमरान खान की पार्टी ने जीती चुनावी जंग, पाक में बनेगी गठबंधन की सरकार
  1. 10 करोड पाकिस्तानी मतदाताओं में चला इमरान खान का जादू पर पूर्ण बहुमत न मिलने से बनी गठबंधन की सरकार
  2. शहबाज शरीफ बिलाउल भुट्टो चुनाव हारे, फजलुर्रहमान भी हारे, सईद के बेटा व दामाद भी हारे चुनाव
  • नवाज व भुट्टो ने लगाये चुनाव में धांधलियों का आरोप
    कभी पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान रहे इमरान खान ने 25 जुलाई को पाकिस्तान में हुए आम चुनावों की जंग जीत ली है। 25 जुलाई को हुए मतदान के बाद रात को हुए मतगणना के बाद घोशित चुनाव परिणामों के अनुसार इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने अपने विरोधियों को करारी पटकनी देते हुए पाकिस्तानी संसद के लिए हुए 272 सीटों में से 264 सीटों के परिणाम के अनुसार इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को 121, नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज को मात्र 58 व बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी को 35 व अन्य को 50 सीटें मिली है। पाकिस्तान में इमरान के नेतृत्व नयी सरकार बनेगी।
    चुनाव परिणाम निकलने के बाद साफ हो गया है कि पाकिस्तान की जनता ने इमरान खान पर विष्वास करते हुए नवाज शरीफ व भुट्टों के साथ आतंकियों को नकार दिया। भले ही चुनाव में मिली पराजय के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष षहबाज षरीफ व बिलावल भुट्टो ने चुनावों में भारी धंाधली का आरोप लगाया। षहबाज षरीफ व बिलावल भुट्टों के अलावा आतंकी सरगना हाफिज सईद के बेटे, दामाद के साथ तमाम प्रत्याषियों के साथ फजलुर्रहमान भी चुनावी जंग में हार गये हैं। चुनावी जंग में आतंकियों का परास्त होने
    भले ही पाकिस्तान के बारे में यह जग जाहिर है कि वहां पर चुनावी जंग वही जीत सकता है जिसको सेना व आईएसआई जैसी कुख्यात खुफिया ऐजेन्सी चाहे। चुनाव के दौरान नवाज षरीफ की पार्टी के कार्यकत्र्ताओं ने सेना व आईएसआई के खिलाफ इमरान की पार्टी के पक्ष में पक्षपात करने का आरोप भी लगाये। यही नहीं षहबाज षरीफ ने चुनाव केन्द्रों से उनकी पार्टी के ऐजेन्टों को बााहर करके घांधली करने का आरोप लगाया। परन्तु इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है कि इस समय पाकिस्तान के अवाम में इमरान के पक्ष में लहर साफ दिखाई दे रही थी। खासकर लोग पाकिस्तान में इमरान खान के नवाज षरीफ परिवार के भ्रश्टाचार के खिलाफ निरंतर चले अभियान से सहमत दिखे। युवाओं का रूझान भी सबसे अधिक युवाओं के सर साफ देखा जा सकता था। चुनाव परिणाम के बाद साफ हो गया कि भले ही इमरान को पूर्ण बहुमत न मिला हो उनकी पार्टी पूर्ण बहुमत से 137 के आंकडे को छूने के लिए कुछ सीटों की जरूरत है। सरकार बनाने के लिए इमरान को नवाज या भुट्टों की पार्टी के बजाय स्वतंत्र प्रत्याषियों का सहज ही समर्थन मिल जायेगा।

गौरतलब है कि 25 जुलाई को पाकिस्तान के 10 करोड़ 59 लाख 55 हजार 407 मतदाता, चुनावी दंगल में उतरे 12,570 प्रत्याषियों के भाग्य के साथ यह फेसला भी करेंगे कि पाकिस्तान का सरताज इमरान खान, नवाज परिवार या आतंकी में से कौन होगा पाकिस्तान का सरताज यानी प्रधानमंत्री। इस बार इंटरनेटी आंकलनों के अनुसार इमरान खाॅन देष के प्रधानमंत्री बनने की रेस में सबसे बडा खिलाड़ी माना जा रहा है। वेसे पाकिस्तान की राजनीति में सबसे ज्यादा दबदबा रखने वाली नवाज की पार्टी ने सेना पर इमरान के लिए काम करने का आरोप लगाया। वेसे पाकिस्तान के बारे में ऐसी धारणा जगजाहिर है कि पाकिस्तान में वही होता है जो सेना चाहती है। पाकिस्तानी सेना की मंषा के बिना पाकिस्तान में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता है।
पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि किसी बडे घराने के बजाय आम आदमी की पार्टी यानी क्रिकेटर इमरान ने राजनीति में उतर कर स्थापित राजनैतिक घराने भुट्टो व षरीफ की चैधराहट को चुनौती देकर देष का सबसे बडी पार्टी बनाना पाकिस्तान में लोकषाही के प्रति लोगों के अंदर बढ रही उत्सुकता ही प्रदर्षित करती है। इसके साथ सबसे बडा खतरा यह भी दिखाई दे रहा है कि पाकिस्तान में आतंकी जिस प्रकार से चुनावी दंगल में उतरे है उससे साफ हो गया है कि अगर इन पर अंकुष नहीं लगाया गया तो कुछ ही सालों में पाकिस्तान में सेना के बूटों तले रौंदे जा रही पाकिस्तानी की लोकषाही की मर्माहित आत्मा देर सबेर आतंकियों के हाथों भी बंधक बन जायेगी। पाकिस्तानेी हुक्मरानों ने जिस प्रकार से पाकिस्तान को कटरपंथ की भट्टी में झोंका है उससे पाकिस्तान पूरे विष्व की षांति के लिए ग्रहण बन चूके है। पाकिस्तान को पूरा विष्व आतंक की फेक्टरी ही मान रहे है। अब आतंकी इतने बलवान हो गये है या जनता इतनी कटरपंथ में रत हो गयी है कि आतंकियों को लग रहा है कि जनता उन्हीं को पाकिस्तान का भाग्य विधाता बना सकती है। अगर पाकिस्तान की कमान देर सबेर आतंकियों के हाथों में आ गयी तो पूरे विष्व पर आतंक के बादल मंडराने लगेंगे।
पाकिस्तान में हो रहे इन आम चुनाव में मुख्य मुकाबला इमरान खांन की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का नवाज शरीफ की अगुवाई वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के बीच माना जा रहा है। वहीं सत्ता पर आसीन रही भुट्टो परिवार की पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी इस बार तीसरे स्थान पर धकियाई जा चूकी है। वहीं आतंकी भी बडी संख्या में चुनावी जंग में उतरे है। आतंकियों की राजनीतिक पार्टी कानूनी तौर पर प्रतिबंधित है। ये आतंकी दूसरे दलों के प्रत्याषी बन कर चुनावी दंगल में उतरे है। मुंबई आतंकी हमलों का मुख्य गुनाहगार हाफिज सईद की पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) के अलावा तहरीक ए लब्बैएक पाकिस्तान, अहल-ए- सुन्नत वाल जमात, मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल जैसे आतंकी व कटरपंथी चुनावी दंगल में उतरे है। पाकिस्तान में कुल 110 राजनीतिक पार्टियां में से 30 सक्रिय राजनैतिक दल के प्रत्याषी चुनावी दंगल में है। आतंकियों की बर्चस्व की जंग होने के कारण चुनावी अभियान भी रक्तरंजित हो गया

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