उत्तराखंड

अगर परिवहन व नियंत्रक विभाग मुख्यमंत्री के अधिक यात्री न चढाने के एक दिन पहले के फरमान को ठेंगा नहीं दिखाते तो बच सकती थी धूमाकोट बस दुर्घटना

अगर परिवहन व नियंत्रक विभाग मुख्यमंत्री के अधिक यात्री न चढाने के एक दिन पहले के फरमान को ठेंगा नहीं दिखाते तो बच सकती थी धूमाकोट_बस _दुर्घटना

धूमाकोट में भीषण बस, दुर्घटना में 48 लोग मरे 13 घायल

सडक के रख रखाव न होने से हुए बडे गड़ढे बना दुर्घटना का कारण

धूमाकोट(प्याउ) । अगर उत्तराखण्ड_परिवहन व यातायात_नियंत्रक विभाग ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के 30 जून को जारी निर्देश को नजरांदाज नहीं किया होता तो एक दिन बाद एक जुलाई को धूमाकोट में हुई भयंकर त्रासदी रोकी जा सकती थी या मृतकों की संख्या कम होती। सबसे हैरानी की बात यह है कि 30 जून को मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश पर उत्तराखण्ड परिवहन निगम ने बसों के ड्राइवरों और कंडक्टरों को ओवरस्पीड बस न चलाने , यातायात के नियमों का पालन करने व यात्रियों के साथ अच्छे व्यवहार और सड़क सुरक्षा आदि की रिफ्रेशर ट्रेनिंग दिए जाने के जारी किये निर्देश। परन्तु उस आदेश की धज्जियां उडाते हुए अगले ही दिन इस 28 सीटर बस में 60 लोगों को भैड बकरियों की तरह ढूंसा गया। अगर यातायात नियंत्रक अधिकारी बस की समय पर जांच करते तो इस दुर्घटना में मृतकों की संख्या आधी होती।

गौरतलब है कि पहली जुलाई को प्रातः 8.30 बजे #बमणीसैण से #रामनगर जा रही बस यू के .12 पीए.0159 की क्वीन के समीप गहरी खाई में गिर कर दुर्घटनाग्रस्त होने से 48 लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी और 13 लोग घायल हो गये। धूमाकोट तहसील के नैनीडांडा ब्लाक में पिपली-भौन मोटर मार्ग पर सडक पर एक बडे गड्ढे के कारण 200 मीटर गहरी खाई में दुर्घटनाग्रस्त हुई बस में सवारों को स्थानीय लोगों सडक तक पंहुचा कर आपात सहायता एम्बुलेंस 108 के सहारे घायलों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंन्द्र घुमाकोट में उपचार हेतु लाया गया। वहीं उपचार के दौरान 3 लोगों की मौत होने से मरने वालों की कुल संख्या 48 हो गयी। मृतकों में इस हादसे में मारे गए लोगों में 10 बच्चे व 16 महिलाएं शामिल हैं। गंभीर रूप से घायल लोगों को इलाज के लिए रामनगर, हल्द्वानी व ऋषिकेश के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। हादसे में गंभीर रूप से घायल दो लोगों को हेलीकाप्टर से देहरादून भेजा गया है। प्रशासन ने इस दुर्घटना में सभी मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रूपये व घायलों को 50-50 हजार रूपये की सहायता देने के साथ हादसे की मजिस्ट्रेटी जांच के भी आदेश दिए हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि 28 सीटर बस में 60 यात्री ठुसे गये थे। यह दुर्घटना धूमाकोट से तीन किलोमीटर पहले ग्वीन गांव के निकट बस का पट्टा टूटा और बस संगुड़ी गधेरे में जा गिरी। बस के परखच्चे उड़ गए। बस की छत अलग जा गिरी। दुर्घटना में बस में सवार 43 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पांच की मौत उपचार के दौरान हुई।
इस घटना की खबर सुनते ही पूरा उतराखण्ड स्तब्ध हो गया। इस दुर्घटना की सूचना प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र को देते हुए नैनीडांडा क्षेत्र के अग्रणी समाजसेवी व हिल डेवलपमेंट मिशन के प्रमुख रघुवीर बिष्ट ने देहरादून से घटनास्थल के लिए रवाना होते हुए बताया कि पूरे क्षेत्र शोक में डूबा हुआ है।
नैनीडाण्डा धूमाकोट बडी संख्या में लोग घटनास्थल में पंहुचे । मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट के साथ जैसे ही घटनास्थल पर पंहुचे तो लोगों ने प्रशासन द्वारा समय पर यहां पर बचाव कार्य प्रारम्भ न किये जाने व इस मोटर मार्ग की बदहाली में सुधार न किये जाने के कारण भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इस दुर्घटना पर देश विदेश में रहने वाला उत्तराखण्डी समाज भी स्तब्ध है।
अगर परिवहन व नियंत्रक विभाग #मुख्यमंत्री के अधिक यात्री न चढाने के एक दिन पहले के फरमान को ठेंगा नहीं दिखाते तो बच सकती थी धूमाकोट बस दुर्घटनाध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व धीरेन्द्र प्रताप ने मृतकों के प्रति संवेदना प्रकट की है।

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