डोनाल्ड ट्रंप व किम जौंग ने विश्व को दिया इस सदी का सबसे बडी शांति की सौगात
तीसरे विश्व युद्ध की आशंका से सहमें विश्व ने अमेरिका व उतरी कोरिया की शांति वार्ता से ली राहत की सांस
डोनाल्ड ट्रंप व किम जौंग को संयुक्त रूप से मिलेगा इस वर्ष को विश्व शांति का नोबल पुरस्कार
देवसिंह रावत
सिंगापुर में डोनाल्ड ट्रंप व किम जौंग की मुलाकात ने विश्व को दिया इस सदी का सबसे बडी शांति की सौगात। एक दूसरे को मिटाने को तुले दोनों परमाणु हथियार सम्पन्न अमेरिका व उतरी कोरिया के टकराव तीसरे विश्व युद्ध की आशंका से सहमें विश्व ने 12 जून को तब राहत की सांस ली जब दोनों देशों के प्रमुख सिंगापुर में शांति वार्ता के लिए पहली बार मिले। इससे जहां दोनों देशों को प्रमुखों को विश्व शांति के योगदान देने के लिए नोबल पुरस्कार मिलना तय है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व उतरी कोरिया के प्रमुख किम जोंग की बहु प्रचारित सिंगापुर में हुई 50 मिनट की मुलाकात । एक दूसरे को मिटाने की हुंकार भरकर पूरी दुनिया के अमन चैन पर ग्रहण लगाने वाले इन दोनों परमाणु हथियार सम्पन्न देशोें की पहले दौर की इस चिर प्रतिच्छित मुलाकात से इन दोनों की संभावित टकराव से तीसरे विनाशकारी विश्वयुद्ध की आशंका से सहमी पूरी दुनिया ने राहत की सांस ली। इस मुलाकात को सम्पन्न कराने में जहां दक्षिण कोरिया, चीन सहित कई देशों की सकारात्मक भूमिका रही।
जहां उतरी कोरिया इस बात से बेहद खपा है कि जापान की दासता से मुक्ति के बाद अमेरिका ने उसके देश कोरिया के दो टूकडे करके दक्षिण कोरिया को उसके खिलाफ खडा कर दिया। वहीं अमेरिका इस बात से खपा है कि दक्षिण कोरिया का सरपरस्ती के बाबजूद उतरी कोरिया कमजोर होने के बजाय निरंतर मजबूत हो रहा है। अमेरिका की नाराजगी का एक प्रमुख कारण यह भी है कि उतरी कोरिया उसके विरोधी देश चीन व रूस के साथ मजबूती से खडा है।
अमेरिका व उसके मित्र देश खासकर जापान व दक्षिण कोरिया के तमाम विरोध के बाबजूद उतरी कोरिया ने खुद को परमाणु अस्त्रों का लगातार परीक्षण किया। यही नहीं उतरी कोरिया ने अमेरिका सहित उसके मित्र राष्ट्रों के तमाम तिकडमों के बाबजूद उतरी कोरिया में लगातार परमाणु हथियार व इसको लेकर अमेरिका तक मार कर सकने वाली मिसाइलों का परीक्षण करके न केवल उत्तरी कोरिया को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बना दिया अपितु विश्व की सबसे बडी महाशक्ति अमेरिका को लगातार तबाह करने की सीधी धमकी देने वाला विश्व का पहला देश बन गया। सामरिक दृष्टि से उतरी कोरिया की मजबूती ने अमेरिकियों की आंखों की नींद उडा दी। अमेरिका का समझमें आने लगा कि उतरी कोरिया उसके लिए अफगानिस्तान, इराक, मिश्र व लीबिया की तरह सहज लक्ष्य नहीं है। वहीं चीन अपने इस विश्वसनीय सहयोगी उतरी कोरिया को आसानी से अमेरिका के पाले में नहीं जाने देगा।
अमेरिका इस बात से बेहद आशंकित था कि जिस प्रकार उतर कोरिया उसके बर्चस्व को खुली चुनौती दे रहा है उससे विश्व में अमेरिका का खौप खत्म हो सकता है। इसके साथ रूस, चीन के साथ उतरी कोरिया एक मजबूत सामरिक शक्ति सम्पन्न देश होने के कारण अमेरिका के नाटो गठबंधन के लिए एक मजबूत खतरा बनता ाज रहा। जिस प्रकार से कोरिया विवाद से अमेरिका की भद्द पूरे संसार में पीटी उससे उबारने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुशल कुटनीतिज्ञ की तरह पूरे विश्व में स्थापित कर अपनी शर्तों पर कोरिया को बात करने के लिए सिंगापुर में आने को तैयार किया, इससे अमेरिका की लाज के साथ डोनाल्ड ट्रम्प दोनों की लाज बच गयी। इसके साथ अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए अपने कार्यकाल में यह सबसे बडी उपलब्धी मानी जायेगी। जो काम बुश से लेकर ओबामा तक नहीं कर पाये वह काम डोनाल्ड ट्रंप ने सहज कर दिखाया। जो श्रेय वियतनाम में हमला कर अमेरिका को नहीं मिला वह लाभ अमेरिका ने उतरी कोरिया के प्रमुख को सिंगापुर में वार्ता करके अर्जित कर दिया।
इस वार्ता का श्रेय उतरी कोरिया के प्रमुख किम जौंग को भी है। अगर वे अमेरिकी उकसावे में फंसते तो इससे न केवल उतरी कोरिया में भारी तबाही होती अपितु विश्व तीसरे विश्व युद्ध की तबाही के गर्त में बर्बाद हो जाता। विश्व को इस विनाशकारी तबाही से बचाने के लिए युद्ध को तैयार दोनों सामरिक शक्तियों द्वारा शांति के लिए सिंगापुर में वार्ता करना विश्व के लिए इस दशक की सबसे बडा सौगात है।
भले ही यह वार्ता अपने इच्छित परिणाम पाने में सफल न हो परन्तु इस वातावरण ने पूरे विश्व पर मंडरा रहे परमाणु युद्ध ही नहीं अपितु सबसे विनाशकारी तीसरे विश्वयुद्ध से अभी बचा लिया। हालांकि इस वार्ता में अमेरिकी पक्ष का सबसे बडा ऐजेन्उा जहां उतरी कोरिया को चीन के प्रभाव से मुक्त करना है। दोनों कोरिया देशों में टकराव कम करके इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना है।
चीन के साथ उतरी कोरिया के मजबूत गठजोड के कारण उतरी कोरिया न तो अमेरिका की धोंस के आगे झुक रहा है व नहीं अमेरिका द्वारा उसे विश्व समुदाय से अलग थलग करने के प्रहार के आगे ही झुका। उल्टा वह निरंतर सामरिक शक्ति में इतना मजबूत हुआ कि वह अमेरिका को ही तबाह करने की खुलेआम धमकी ही नहीं अपितु युद्ध के लिए तैयार रहा। ऐसे में उतरी कोरिया के प्रमुख किम जोन का योगदान विश्व शांति के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कम नहीं है। अमेरिका के साथ वार्ता कर किन ने न केवल उतर कोरिया को भीषण तबाही से बचा लिया अपितु विश्व को भी तीसरे विश्वयुद्ध की विभिषिका से बचा लिया। अगर किम वार्ता के लिए नहीं आते तो तीसरा विश्व युद्ध तय होता। देखना यह है कि अमेरिका व उतरी कोरिया के बीच पहले दौर की सफल वार्ता के बाद सिंगापुर में दूसरे दौर की वार्तायें किस करवट बेठती है। परन्तु इतना तय है कि युद्ध की हुंकार भर रहे दो महाशक्तियों द्वारा शांति के लिए मुलाकात कर वार्ता करना पूरे विश्व के लिए शांति की सौगात से कम नहीं है।