आज थराली विधानसभा उप चुनाव में नामांकन भरेगे भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी
थराली विधानसभा उपचुनाव में नामांकन के अंतिम दिन थराली में भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। इस अवसर पर थराली में भाजपा व कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का जमघट लगेगा। परन्तु राजघानी गैरसैंण से लगे इस विधानसभा सीट पर प्रदेश के सबसे ज्वलंत मांग राजधानी गैरसैंण को बनाने का ऐलान करने का साहस शायद ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत कर पाये। वहीं कांग्रेस से भी आशा नहीं कि वे आज इस मौके पर भाजपा सरकार को राजधानी गैरसैंण मुद्दे पर घेर पाये। दोनों दल इस चुनाव को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोके हुए है।
हालांकि थराली विधानसभा उप चुनाव के लिए भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों सहित केवल छह लोगों ने ही नामांकन पत्र खरीदे। ं पर अभी तक केवल दो प्रत्याशियों ने अपना नामांकन दाखिल किया। इसमें एक माकपा के प्रत्याशी कुंवर राम ने नामांकन पत्र दाखिल किया। 9 मई को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ कुंवर राम ने नामांकन किया। नामांकन में उनके साथ माकपा के राज्य कमेटी के सचिव राजेंद्र सिंह नेगी, जिला सचिव भूपाल सिंह रावत और जिला कमेटी के सचिव मदन मिश्रा आदि मौजूद थे। भाजपा में मुन्नी देवी को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद हुए विद्रोह हुआ। उसमें भाजपा विद्रोही नेता बलबीर घुनियाल तथा गुड्डू लाल ने भी नामांकन पत्र तो खरीद लिये। इन दोनों को मनाने के लिए पार्टी ने काफी मेहनत की। घुनियाल तो नामांकन पत्र खरीदने के बाद अस्पताल में भर्ती हो गये। वहीं गुड्डू लाल को मनाने के लिए पसीने बहाये जा रहे है।
इस सीट का चुनाव भले ही भाजपा की प्रत्याशी मुन्नी देवी शाह व कांग्रेस के प्रो जीतराम के बीच में होगा। परन्तु यह चुनाव असली परीक्षा है मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत की। अपने डेढ साल के कार्यकाल को थराली विधानसभा उप चुनाव में जनता कसोटी पर कसेगी। यह उप चुनाव थराली के विधायक मगन लाल के निधन के कारण रिक्त हुई। 28 मई को इसमें मतदान होगा।
इस विधानसभा क्षेत्र में 99186 मतदाता है। इनमें 50949 पुरूष व 48237 महिला है। गत विधानसभा चुनाव में विजयी रहे भाजपा प्रत्याशी मगन लाल को 25931, कांग्रेस के जीतराम को 21073 व निर्दलीय गुड्डू लाल को 7089 मत मिले। यहां पर कुल 178 मतदान केन्द्र है। वहीं सबसंे अधिक 1000 से अधिक मतदाता वाला मतदान केन्द्र मेल्टा है तो सबसे ऊंचाई 8556फीट की ऊंचाई पर कनोल मतदान केन्द्र है। वहीं इस क्षेत्र में कोठुली, रैस, चोपता, कोब, डुगरी, तलवाड़ी, थराली, नारायणबगड, घाट,देवाल, ग्वालदम जैसे चर्चित मतदान केन्द्र भी है।
10 मई को जहां भाजपा प्रत्याशी मुन्नी देवी शाह के नामांकन के बाद थराली के रामलीला मैदान में जनसभा करेगी। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी प्रोफेसर जीतराम थराली के केदारबगड में जनसभा करेंगे।
इस सभा में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष प्रीेतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश, किशोर उपाध्याय, केदारनाथ के विधायक मनोज रावत, सहित अनैक नेता उपस्थित रहेंगे।
वहीं भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत, प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, सतपाल महाराज, सहित अनैक मंत्री व पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता सम्मलित होंगे। गढवाल के सांसद भुवनचंद खंडूडी अस्वस्थ होने के कारण, भगतसिंह कोश्यारी व्यस्तता के कारण व केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा विदेश में होने के कारण नामांकन में सम्मलित नहीं होंगे।ये तीनों बाद में चुनाव प्रचार में सम्मलित होंगे।
भाजपा इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। यहां उसे कांग्रेस से भारी चुनौती मिल रही है। इसीलिए इस उपचुनाव में भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व मोदी के बाद भाजपा के सबसे शीर्ष प्रचारक उप्र के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी सहित प्रचारकों की एक बडी फौज की सूचि चुनाव आयोग को दी है। इस सूचि में अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, रामलाल, शिव प्रकाश, श्याम जाजू, तीरथ सिंह रावत, थावर चंद गहलोत, स्मृति ईरानी, अजय टम्टा, त्रिवेंद्र सिंह रावत, अजय भट्ट, भुवन चंद्र खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी, रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा, माला राजलक्ष्मी शाह, अनिल बलूनी, सतपाल महाराज, प्रकाश पंत, हरक सिंह रावत, मदन कौशिक, यशपाल आर्य, अरविंद पांडेय, धन सिंह रावत, रेखा आर्य, बिशन सिंह चुफाल, संजय कुमार, नरेश बंसल, खजान दास, गजराज सिंह बिष्ट, महेंद्र भट्ट, मोहन प्रसाद थपलियाल, शक्ति लाल शाह, बलवंत सिंह भौंर्याल, चंदन राम दास, सुरेंद्र सिंह नेगी, भरत सिंह चैधरी, मुकेश कोली, रितु खंडूड़ी शामिल हैं।
राज्य गठन से पहले यह क्षेत्र बदरी केदार विधानसभा सीट के नाम से उप्र में जानी जाती थी। राज्य गठन के बाद सन् 2002 में सीमांत जनपद चमोली के नारायणबगड़, थराली तथा देवाल विकासखण्डों को पिंडर विधानसभा के नाम से गठित किया गया। परन्तु प्रदेश के हितों की रक्षा न कर पाने वाले कांग्रेसी मुख्यमंत्री तिवारी व भाजपाई मुख्यमंत्री भुवनचंद खण्डूरी की लापरवाही से प्रदेश में जनसंख्या पर आधारित विधानसभा परिसीमन के शिकंजे में जकडा गया। जबकि पूर्वोतर व झारखण्ड की तत्कालीन सरकारों ने अपने अपने राज्यों को इस परिसीमन से बचा दिया। उत्तराखण्ड की कांग्रेस व भाजपा की तत्कालीन सरकार इस मामले में मूक रही। इसके परिणाम पर्वतीय जनपदों में छह विधानसभा सीटें कम हो गयी। परिसीमन के बाद सन् 2009 में इस सीट का नाम पिंडर से बदल कर थराली कर दिया गया। इसके नारायणबगड, थराली व देवाल विकासखण्ड के साथ पूरा घाट विकासखण्ड के अलावा नगर पंचायत नंदप्रयाग व दशोली की कुछ हिस्सों को भी सम्मलित किया गया। यह दशकों से गढवाल व कुंमायू का महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा। थराली विधानसभा से लगी कुंमाऊं मण्डल के बागेश्वर व कफकोट विधानसभा क्षेत्रों से लगा है। वहीं दूसरी तरफ बदरीनाथ व कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्रों से जुडा है।