दुनिया

उ कोरिया पर हमला करने का हिम्मत न जुटा पाने वाले अमेरिका ने किया तबाह हो चूके सीरिया पर हमला

रसायनिक हथियारों का झूठा आरोप लगाकर इराक को तबाह कर चूके अमेरिका ने सीरिया पर भी रसायनिक हथियारों का आरोप लगा कर किया हमला

विश्व को आतंक से तबाह करने को तुले आतंक की फेक्टरी पाकिस्तान पर क्यों नहीं कर रहा है अमेरिका
उ कोरिया द्वारा अपनी चौधराहट  को तारतार किये जाने का नजला तबाह हो चूके सीरिया पर उतार रहा है अमेरिका

 

देवसिंह रावत

सरेआम युद्ध के लिए कई बार ललकारने वाले उत्तरी कोरिया पर हमला करने की हिम्मत न जुटाने वाले अमेरिका ने अपनी चौधराहट को बचाने के लिए अपने अपमान का नजला, आतंकियों के हमले से बर्बाद हो चूके सीरिया पर हमला कर उतारा।
उतरी कोरिया द्वारा कई बार अपनीचौधराहट को तार तार किये जाने के बाद दुनिया में अपनी हनक बनाये रखने के लिए आक्रोशित अमेरिका ने 14 अप्रैल को अमेेरिका व उसके मित्र राष्ट्र बिट्रन व फ्रांस ने अमेरिका व उसके मित्र राष्ट्रों द्वारा संरक्षित आतंक से तबाह हो चूके सीरिया पर हमला किया।
यह हमला अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड टंªप के सीरिया पर हमले के करने के आदेश के बाद अमेरिका व उसके मित्र देशों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क के अलावा कई भागों पर लड़ाकू विमानों और जलपोतों से कई प्रकार के बमों का प्रहार सीरिया पर किया।  अमेरिका के हमले के निशाने पर है सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के केमिकल हथियारों के तथाकथित ठिकाने। वहीं अमेरिका व उसके मित्र राष्ट्रों के हमले का सीरिया व रूस ने कडा विरोध कर जबाबी हमले की चेतावनी दी है। .वहीं रूस ने अमेरिका के मिसाइलों को मार गिराने की चेतावनी दी है.। दूसरी तरफ अमेरिका व उसके मित्र राष्ट्रों ने सीरिया का साथ दे रहे रूस व ईरान को भी सीरिया का सहयोग न करने की चेतावनी दी।
अमेरिका ने सीरिया पर यह हमला सीरिया द्वारा अपने विरोधी नागरिकों पर तथाकथित रसायनिक हथियारों के हमले का बहाना बना कर किया। गौरतलब है कि इसी पखवाडे सीरिया के पूर्वी गोता के डौमा में  सीरिया द्वारा रसायनिक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर अमेरिका ने पहले ही असद सरकार को चेतावनी दी थी. इस हमले में बच्चों सहित 75 लोग मारे गए और लगभग 500 लोग इसकी चपेट में आ गये। उसके बाद संयुक्त राष्ट्र सहित अमेरिका के मित्र राष्ट्रों ने सीरिया को नतीजे भुगतने की कडी चेतावनी दी थी। सीरिया पर हवाई हमले से रूस और अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के बीच टकराव होने की आशंका बढ़ गई है. अगर दोनों देशों के बीच जंग शुरू हुई, तो इसके विनाशकारी परिणाम सामने आ सकते हैं.
यह हमला भी अमेरिका व उसके मित्र राष्ट्रों ने सीरिया पर अपने विरोधी नागरिकों पर रसायनिक हथियारों का हमला करने का बहाने मानवता को बचाने के नाम पर किया। अमेरिका ने रसायनिक हथियारों से दुनिया को बचाने के नाम पर किया। गौरतलब है कि अमेरिका ने इसी प्रकार रसायनिक हथियारों का आरोप लगा कर इराक पर हमला कर इराकी राष्ट्रपति सद्दाम का खात्मा करने के साथ लाखों इराकियों को मौत के नींद सुला दिया। सबसे हैरानी की बात यह है कि इराक के पास कोई रसायनिक हथियार नहीं मिले। इसके बाद ब्रिटेन ने माफी मांगी परन्तु दुनिया का स्वयंभू प्रमुख बना संयुक्त राष्ट्र संघ के पास इतनी नैतिकता भी नहीं रही कि वह इस कत्लेआम कें लिए अमेरिका से प्रश्न तक कर पाये। विश्व के सवयंभू चौधरी बने रूस व चीन ने भी संयुक्त राष्ट्र से वही दण्डात्मक कार्यवाही अमेरिका पर भी करने को कहने की हिम्मत नहीं रही जिस प्रकार की कार्यवाही संयुक्त राष्ट्र ने एक दिन के लिए कुवेत पर हमला करने वाले इराक पर की। भारत जैसे देश जो अपने ही हितों की लडाई नहीं लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता उससे यह लडाई लडने की आश करना भी बेईमानी होगी।
हकीकत यह है कि यह हमला न तो मानवता को बचाने के खिलाफ है व नहीं आतंकबाद के खिलाफ। यह हमला केवल व केवल सिर्फ अमेरिका द्वारा चीन व रूस की शह पर उतरी कोरिया द्वारा अपनी चौधराहट को बार बार तार तार किये जाने के बाद विश्व में अपनी हनक बचाने के लिए है। यह हमला न तो रसायन हथियारों के खिलाफ है व नहीं आतंकबाद के। क्योंकि आतंकबाद के खिलाफ होता तो अमेरिका सबसे पहला हमला अफगानिस्तान, भारत, अफ्रीका, यूरोप व अमेरिका सहित पूरे विश्व को आतंक से तबाह कर आतंकियों का कारखाना बन चूके पाकिस्तान पर हमला करता। उसके आतंकी अड्डो को तबाह करता। परन्तु पाकिस्तान को तो अमेरिका संरक्षण देगा।
असल में यह लडाई अमेरिका व रूस के बीच बर्चस्व की जंग है। सीरिया व ईरान रूस के मित्र राष्ट्र हैं। यही बात अमेरिका को नहीं पचती।इसी कारण अमेरिका ने सीरिया की जनता में मुस्लिम कटरपंथी आतंकियों को संरक्षण दे कर सीरिया में गृहयुद्ध की भट्टी में झौंक कर तबाह कर दिया। सीरिया के आतंकियों को अमेरिका व उसके मित्र राष्ट्र खुलेआाम साथ दे रहे है। इसको अमेरिका का मोहरा बना संयुक्त राष्ट्र संघ बेशर्मी से नजरांदाज कर रहा है।
अमेरिका का अरब देशों में एक छ़त्र बर्चस्व बना है। यहां के संसाधनों के दोहन का उसका एकछत्र राज रहे इसके लिए अमेरिका ने अपनी इस मुहिम की राह में रोड़ा बन रहे सद्दाम हुसैन, कर्नल गद्दाफी व हुसनी मुबारक आदि के शासन का खात्मा करके जनविद्रोह भडका कर इराक, लीबिया व मिश्र को अपना प्यादा बना दिया। अरब देेशों का सिरमौर सउदी अरब अमेरिका का पहले से प्यादा है। पाक को आतंकी बना कर अमेरिका ने अफगानिस्तान से रूस को भगा कर वहां अपना अड्डा ही बना दिया। वहीं विश्व में ताकतवर देश बन कर उभर रहे भारत को कमजोर करने के लिए अमेरिका ने पाक की आतंकी दंश का प्रयोग किया। यह सब जानते हुए भी भारत के हुक्मरान बेशर्मी से अमेरिका के आशीर्वाद के लिए लालायित रहते है।
वहीं उत्तरी कोरिया एक मजबूत सैन्य ताकतवर देश है, उसके साथ चीन के अलावा रूस का भी समर्थन है। ऐसे में उत्तरी कोरिया से मिल रही लगातार धमकियों के बाबजूद उत्तरी कोरिया पर अमेरिका व उसके मित्र राष्ट्र सीरिया की तरह हमला करने का साहस नहीं जुटा पा रहे है। अपनी इसी भद्द से निकली चौधराहट की हवा बचाने के लिए अमेरिका सीरिया जैसे तबाह हो चूके देश पर उतार कर विश्व के अमन शांति पर ग्रहण लगा रहा है।

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