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मुजफ्फर नगर काण्ड-94 व उन्नाव जैसे जघन्य कांडों की तरह कठुआ के जघन्य काण्ड की हो सीबीआई जांच

सीबीआई जांच से क्यों भयभीत हो रही है जम्मू कश्मीर सरकार

 मुजफ्फरनगर काण्ड-94 की तरह ही सरकार,पुलिस व राजनैतिक दलों को बेनकाब करने के साथ मानवता को शर्मसार करता है कठुआ काण्ड

देवसिंह रावत

कठुआ में 8 वर्षीया मासुम बालिका का दुराचार करके उसकी निर्मम हत्या की घटना से पूरा देश शर्मसार है। जम्मू कश्मीर की पुलिस ने इस प्रकरण में जिन आरोपियों को गिरफ्तार कर इस प्रकरण को धार्मिक रंग दिया उसको पूरा जम्मू के अधिवक्ता ही नहीं आम जनमानस सिरे से नकार कर इस काण्ड की कड़ी भत्र्सना कर इसकी निष्पक्ष जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरों से कराकर असली गुनाहगारों को कडी सजा देने की मांग कर रहे है।
वहीं जम्मू कश्मीर सरकार व पीड़िता का परिवार जहां जम्मू कश्मीर पुलिस के द्वारा की जा रही जांच से संतुष्ट से। देश की सरकार का फर्ज है न्याय की ऐसी व्यवस्था हो जिस पर लोगों का विश्वास हो। जब जम्मू कश्मीर सरकार व पुलिस की जांच पर प्रदेश की जनता के एक बडे वर्ग का विश्वास नहीं है। यह कोरा अविश्वास नहीं अपितु कई बार पुलिस व सरकार की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में रही है। इसलिए निष्पक्ष जांच के लिए तुरंत इस काण्ड के गुनाहगारों का सजा देने के लिए इस प्रकरण को सीबीआई को सोंप देना चाहिए।  उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के दौरान उप्र सरकार की पुलिस प्रशासन ने जो जघन्य काण्ड मुजफरनगर में 2 अक्टूबर 1994 में किया था। उसकी उप्र पुलिस की जांच पर उत्तराखण्ड की जनता ने अविश्वास प्रकट किया था। उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई की जांच के आदेश को जब उप्र की तत्कालीन मुलायम सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में उच्च न्यायालय के इस फरमान को चुनौती देने का दुसाहस किया जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने सिरे से नकार दिया और इस प्रकरण की सीबीआई जांच करायी जिसके कारण उप्र सरकार व उप्र पुलिस प्रशासन का भाण्डा फूट गया। भले ही गुनाहगारों को सजा देश की कमजोर न्याय व्यवस्था व अपराधियों को शर्मनाक संरक्षण दे रही देश की राजनैतिक दलों के शर्मनाक गठजोड के साथ उत्तराखण्ड की निर्लज्ज सरकारों के कारण नहीं मिल पायी। परन्तु इस प्रकरण का भांडा सीबीआई ने पूरी तरह बेनकाब कर दिया। इस प्रकरण के गुनाहगारों को बचाने में सपा, बसपा, भाजपा व कांग्रेस के साथ देश की पूरी व्यवस्था एक प्रकार से कटघरे में आजज भी खड़ी है।
इसलिए उन्नाव की तरह कठुआ जघन्य कांड के गुनाहगार हैवानों को कड़ी सजा दिलाने के लिए तुरंत सीबीआई की जांच कराये जम्मू कश्मीर सरकार। कठुआ काण्ड के गुनाहगारों को सीबीआई जांच के बाद तत्काल फांसी दी जाय।  परन्तु लगता नहीं आतंकियों पर गोली चलाने पर सुरक्षा बलों पर गोली चलाने वाले सुरक्षा बलों पर मुकदमा दर्ज कराने वाले जम्मू कश्मीर की सरकार व पुलिस, इस प्रकरण की सीबीआई जांच कराने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रही है?
सीबीआई ने उप्र की गुनाहगार पुलिस को भी मुजफ्फरनगर काण्ड-94 में गुनाहगार साबित किया था।
सीबीआई ने उन्नाव काण्ड के आरोपी विधायक को तुरंत गिरफ्तार किया।
जम्मू कश्मीर पुलिस के नाक के नीचे लाखों कश्मीरी पण्डितों का जो जघन्य हत्याकाण्ड, लूटपाट व कश्मीर से खदेड़ना का कृत्य हो उस आतंकियों को शर्मनाक संरक्षण देने वाली जम्मू कश्मीर पुलिस पर शंका होना लाजमी है।
निष्पक्ष व त्वरित कार्यवाही के लिए सीबीआई से जांच कराने से कतरा क्यों रही है जम्मू कश्मीर सरकार? बिना जम्मू कश्मीर सरकार की सहमति के यह मामला सीबीआाई को नहीं सोंपा जा सकता है।

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