लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने जारी किया होली का गीत व राजधानी दिल्ली में गैरसैंण आंदोलन के साथ साथ होली मिलन समारोहों की बाढ़
नई दिल्ली(प्याउ)। पूरे विश्व में रहने वाले भारतीय जहां 2 मार्च को रंगों के पावन पर्व होली के रंगों में रंगने की तैयारियां कर चूका है। वहीं भारतीय संस्कृति ध्वजवाहक उत्तराखण्डी भी इन दिनों होली के रंगों में रंगे हुए है। उत्तराखण्डी संस्कृति के प्रमुख ध्वजवाहक व शीर्ष उत्तराखण्डी गायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने होली को यादगार बनाने के लिए होली पर अपना एक यादगार गीत जारी किया।
उत्तराखण्ड में जहां बैठी होली खेली जा रही है। वहीं उत्तराखण्ड के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में उत्तराखण्ड के बाद सबसे अधिक संख्या (30 लाख ) में रहने वाले उत्तराखण्डी इन दिनों होली मिलन के आयोजनों में व्यस्त है। हालांकि उत्तराखण्ड सहित दिल्ली में इन दिनों समर्पित उत्तराखण्डी गैरसैंण राजधानी आंदोलन में समर्पित है। परन्तु इसके बाबजूद समाज का एक बडा तबका होली मिलन कार्यक्रमों में व्यस्त है।
24फरवरी को जहां उत्तराखण्ड क्लब ने गढवाल भवन में जहां कवियों ने होली के रंग विखेरे। वहीं 25 फरवरी को सोनिया बिहार में होली मंगल मिलन एव रंगा रंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रसिद्ध उत्तराखण्डी लोक गायक शिवदत्त पंत, नरेन्द्र नेगी चैंनकोटया, दीपा पंत एवं साथियों ने अपने गीतों से हजारों की संख्या में उमडे उत्तराखण्डी जनसमुदाय को मंत्रमुग्ध कर लिया। समारोह का संचालन प्रेम सिंह रावत ने किया। वहीं इस कार्यक्रम का आयोजन महेन्द्र सिंह रावत, मथुरा प्रसाद जोशी व ज्योति आदि सोनिया बिहार उत्तराखण्डी समाज ने किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मोहन सिंह बिष्ट, धीरेन्द्र प्रताप, हरिपाल रावत, देवसिंह रावत, शंकर सिंह रावत, मोहन जोशी, भाजपा नेता अर्जुन राणा, पार्षद गीता बिष्ट,अनिल पंत, मनमोहन शाह व देवेन्द्र बिष्ट आदि थे।
25 फरवरी को पडपड़गंज जिला कांग्रेस कमेटी ने पूर्वी विनोद नगर में होली मिलन समारोह का आयोजन किया। इसमें मुख्य अतिथि पटपडगंज जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष लक्ष्मण रावत, उपाध्यक्ष जगत सिंह नागर व महासचिव गोपाल सिंह रावत सहित अनैक कांग्रेसी उपस्थित थे।
वहीं बुराड़ी से लेकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के दर्जनों स्थानों पर होली मिलन का कार्यक्रम बड़ी प्रमुखता से आयोजित किया जा रहा है। दिल्ली के न्यू अशोक नगर में कुमाऊं जन मंडल ने 25 फरवरी को सैकडों की संख्या में पुरूष व महिलाओं ने होली के गीतों का गायन कर उत्तराखण्डी होली से दिल्ली को भी उत्तराखण्ड मय कर दिया। इस होली में भाग लेने वाले पदमसिंह बिष्ट ने बताया कि यह बिना नशे के इस होली भ्रमण का आयोजन से क्षेत्र की जनता में भारी उत्साह देखने में आया।
वहीं उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन से जुडे आंदोलनकारियों व समर्पित उत्तराखण्डियों को पहले की तरह उत्तराखण्डी सामाजिक संस्थाओं से इस बात की गहन नाराजगी है कि वे अपने कार्यक्रमों का सदप्रयोग समाज के ज्वलंत समस्याओं के समाधान व सही दिशा देने के लिए करने में असफल रहते है। या तो सामाजिक संगठनों के कर्णधारों को अपने दायित्वों का भान नहीं होता है या तो इनको इतनी समझ नहीं होती। सामाजिक संगठनों में नेतृत्व की दिशाहीनता के कारण सामाजिक संगठनों के आयोजनों को राजनैतिक दल अपने दलीय प्रसार के लिए करते है। जबकि सामाजिक संगठन चाहते तो वे राजनैतिक दलों से जनहित के लिए काम करने के लिए दवाब बना सकती। दिल्ली में जिस प्रकार से उत्तराखण्डी संस्थायें बडी संख्या में रामलीला, होली व रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन दशकों से करते थे। परन्तु राज्य गठन के बाद से दिल्ली में राज्य स्थापना दिवस के साथ अब उत्तरैणी का पर्व के आयोजन की बाढ़ सी आ गयी। इसके साथ दिल्ली में उत्तराखण्डी समाज ही ऐसे चंद समाजों में है जो स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस का आयोजन भी बडे उत्साह से करता है। ऐसे में अगर सामाजिक संगठन अपने आयोजन में उपस्थित अपार जनसमुदाय का सदप्रयोग समाज के ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिए करते तो समाज की दशा व दिशा हिमाचल की तरह बेहद सकारात्म्क रहती। परन्तु सामाजिक संगठन प्रायः समाज की प्रतिभाओं का सम्मान करने के बजाय थेलीशाहों व दागदार राजनैतिक दलों को ही सम्मानित करते रहते। इन आयोजनों से जहां कलाकारों व नेताओं को ही लाभ होता है। समाज को इन कार्यक्रमों से कोई महत्वपूर्ण दिशा मिलती हो ऐसे देखने में नहीं आती।