उत्तर प्रदेश देश

काश देश के रहुनुमा भाई मतिदास, सतीदास व दयाला सहित माॅ भारती की रक्षा हेतु शहादत देने वाले महान शहीदों से प्रेरणा लेते

आज जब पूरा देश धर्म परिवर्तन करने वाले गिरोहों के बहकावे में फंस कर अनैक लोग धर्मपरिवर्तन कर रहे है। कभी खबर आती है कि लोग अपनी चंद मांगों को लेकर प्रशासन को धमकी देेते है कि उनकी मांगें पूरी की जाय, नहीं तो वे धर्म परिवर्तन कर देंगे। कहीं कोई लोग आपसी विवादों में धर्म परिवर्तन करने का काम करते है। ऐसे ही माहौल में देश के भाग्य विधाता समझे जाने वाले हुक्मरान, नेता व राजनैतिक दल देश में सबको शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा, न्याय व सम्मान दे कर देश का चहुमुखी विकास करने के बजाय अपने निहित स्वार्थ व अंध सत्तालोलुपता के लिए देश को भ्रष्टाचार, हिंसा व कुशासन की गर्त में धकेल कर देश के अमन चैन पर ग्रहण लगाने का कुकृत्य करते है। वहीं आज यह देखा जा रहा है कि प्रायः मोटी पगार, सम्मान पाने वाले नौकरशाह, चिकित्सक, अध्यापक, इंजीनियर आदि अपने दायित्वों से विमुख हो कर देश को पतन के गर्त में धकेल रहा है।
ऐसे माहौल में आज मुझे बरबस याद आये भाई मतिदास, सति दास व दयाला, गुुरू तेग बहादूर जी, गुरू गोविंद सिंह जी, गुरू गोविन्द सिंह जी के दोनों लाडले, बंदा बहादूर,जन्होने अपने धर्म पर बने रहने के कारण जालिमों की तमाम हैवानियत भरी यातनाओं को सहकर अपना सर्वस्व बलिदान  कर दिया परन्तु अपना धर्म नहीं बदला। ऐसे महान सपूतों को शतः शतः नमन् जिन्होने सत्, न्याय व धर्म के प्रतीक  हिंद की चादर की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया।

हमारा एक ही धर्म है सनातन धर्म, वासुदेव सर्वम्। सत्, न्याय व सबका कल्याण। अन्याय का विरोध व सत् का साथ। यही भारतीय संस्कृति की सनातन पहचान। सारी सृष्टि  को परमेश्वर स्वरूप समझ कर सबके कल्याण में समर्पित रहना, न कभी किसी पर अन्याय करो व न कभी कोई अन्याय सहो।

वहीं देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व कुर्वान करने वाले शहीद भगत सिंह, राजगुरू,सुखदेव, धींगरा,  चंदशेखर, नेताजी, लाल,बाल व पाल, सावरकर, गांधी आदि असंख्य माॅ भारती के सपूतों की पावन स्मृति को नमन् करता हॅू। देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो गया परन्तु 71 साल से देश अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से त्रस्त है। मन, देश को अंग्रेजी व इंडिया का गुलाम बनाने व दो टके के लिए देश के माथे पर गौ हत्या का कलंक कलाने वाले हुक्मरानों को धिक्कारता है। आज देश के हुक्मरानों ने अंग्रेजों के जाने के 71 साल बाद भी भारत को अंग्रेजी का गुलाम बनाया हुआ है। भारतीय भाषा आदंोलन देश को अंग्रेजी की गुलामी के कलंक से मुक्ति दिलाने के लिए 58 माह से निरंतर संघर्ष कर रहा है। परन्तु देश के हुक्मरानों, समाचार जगत व बुद्धिजीवियों के सर चढ़ा अंग्रेजी का भूत उतरने का नाम नहीं ले रहा है।
भारतीय भाषा आंदोलन देश के अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले हुतात्माओं को शतः शतः नमन करते हुए देश से अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त कराने का संकल्प ले रहा है।

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