उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं, लोकशाही, चहुंमुखी विकास व देश की सुरक्षा के प्रतीक राजधानी गैरसैंण की राह में बेलगाम नौकरशाही के इशारे पर कांग्रेसियों की तरह अवरोध खड़ा कर रहे है उत्तराखण्ड के वरिष्ठ भाजपा नेता
अपनी अÕयाशी व पंचतारा सुविधाओं के मोह में अंधे हो कर उत्तराखण्ड के नौकरशाह व नेताओं द्वारा जनांकांक्षाओं के प्रतीक राजधानी गैरसैंण का मार्ग रोकने से आक्रोशित जनता सडकों पर उतरी
राज्य गठन आंदोलन की तरह उत्तराखण्ड व दिल्ली सहित देश के विभिन्न शहरों में संडकों उतरने के लिए कमर कस चूके है लाखों उत्तराखण्डी
देवसिंह रावत
9 फरवरी को दोहपर 12 बजे उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग को लेकर प्रदेश की 17 सालों की भाजपा व कांग्रेसी की सरकार से छले गये उत्तराखण्डी प्रधानमंत्री मोदी से गुहार लगाने के लिए व्यापाक जनांदोलन का शंखनाद करते हुए प्रतीकात्मक रूप से दिल्ली में संसद कूच करेंगे। उत्तराखण्डी जनता इन 17 सालों की राज्य सरकारों के कृत्यों से खुद को छला हुआ महसूस कर रही है। जनता के दिल दिमाग में एक ही सवाल है कि जब प्रदेश गठन का आंदोलन ही राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर हुआ। जब राजधानी गैरसैंण के लिए प्रदेश की जनता ने राव-मुलायम सरकारों के अमानवीय दमन सहते हुए शहादते दी, प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए उप्र सरकार की रमाशंकर कौशिक आयोग द्वारा विस्तृत रिपोर्ट दे रखी है। यही नहीं जब प्रदेश का विधानसभा भवन सहित सभी कार्यालय गैरसैंण में बन चूके है। वहां पर शीतकालीन, ग्रीष्मकालीन सत्र हो चूके है और अब बजट सत्र भी होने वाला है तो फिर क्यों जनता की प्रबल मांग को नजरांदाज करके प्रदेश के हुक्मरान प्रदेश की राजधानी गैरसैंण घोषित करने में ना नुकुर कर प्रदेश के साथ देश के हितों के साथ खिलवाड कर रहे है? आखिर प्रदेश का गठन इन नेताओं व नौकरशाहों की अÕयाशी के लिए तो नहीं किया गया? इतने छोटे प्रदेश में इन नेताओं की मोैज मस्ती के लिए दो दो राजधानी का भार प्रदेश की जनता नहीं उठा सकती है। लोकशाही में जनभावनाओं व देश की रक्षा का काम सरकारे क्यों नहीं कर रही है।
प्रदेश की जनता ही नहीं अपितु भाजपा के समर्पित कार्यकत्र्ता भी हैरान है कि सत्तारूढ भाजपा के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत व अध्यक्ष अजय भट्ट गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए उत्तराखण्ड के शहीदों की शहादत का अपमान करने वाले ग्रीष्मकालीन राजधानी का बेसुरा राग छेड़ कर जनांक्रोश को भड़का कर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उत्तराखण्डी की जनता को दिये गये आश्वासन का भी गला घोटने का काम कर रहे है।
इसी से आहत हो कर बडी संख्या में राज्य गठन आंदोलन की तरह ही राजधानी गैरसैंण बनाओं आंदोलन में भाजपा से जडे आम कार्यकत्र्ता ही नहीं मंझोले नेता भी बड़ी संख्या में जुड रहे है। देहरादून में ेचल रहे बडे स्तर पर राजधानी गैरसेंण आंदोलन में भाजपा नेता रवीन्द्र जुगरान प्रखरता से भाग ले रहे है। दिल्ली में भाजपा नेता गोपाल उप्रेती, चंदन सिंह गुसाई, गिरीश बलूनी,मोहन जोशी, महेन्द्र रावत, उदय मंमगाई राठी ही नहीं बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकत्र्ता बेझिझक भाग ले रहे है। प्रदेश व देश की राजधानी में चल रहे राजधानी गैरसैंण निर्माण आंदोलन में उत्तराखण्ड के लिए समर्पित लोगों के साथ भारतीय जनता पार्टी से जुडे समर्पित कार्यकत्र्ता भी दलगत राजनीति से उपर उठ कर उत्तराखण्ड व देश की सुरक्षा के लिए राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए संडकों पर उतरने का संकल्प लिया है। वहीं गैरसैंण राजधानी न बनने से बर्बाद हो रहे उत्तराखण्ड से आक्रोशित जनता की भावना को भांपते हुए प्रदेश भाजपा के एक दर्जन से अधिक विधायकों ने राजधानी गैरसैंण बनाने की आवाज उठा कर प्रदेश भाजपा के मठाधीशों की कंपकपी छुडा दी है। भाजपा के विधायक भी जानते है कि अगर जनता राज्य गठन आंदोलन की तरह सडकों पर उतरी तो जनांक्रोश से उनके राजनैतिक भविष्य पर ग्रहण लगा देगा।
उत्तराखण्ड व दिल्ली सहित देश विदेश में रहने वाले सवा करोड़ उत्तराखण्डी राज्य गठन के 17 साल बाद भी प्रदेश की सरकारें जनता व पूर्व उप्र सरकार के आयोग द्वारा चयनित राजधानी गैरसैंण को राजधानी घोषित करने के बजाय अपनी अÕयाशी व पंचतारा सुविधाओ के अंध मौह में अंधे हो कर बलात देहरादून में कुण्डली मारे बैठे रह कर उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं, लोकशाही, चहंुमुखी विकास व देश की सुरक्षा से खिलवाड करने का अक्ष्मय कृत्य रहे है। इससे राज्य गठन के लिए राव, मुलायम आदि सरकारों का अमानवीय दमन सहकर व शहादतें देने वाली उत्तराखण्डी जनता बेहद आहत है। राज्य गठन के बाद जिस प्रकार से प्रदेश की हक हकूकों के साथ प्रदेश की सरकारों ने शर्मनाक खिलवाड़ किया। वही राजधानी गैरसैंण पर राज्य गठन जनांदोलन से पहले ही उप्र सरकार द्वारा गठित रमांशकर कौशिक कमेटी की राजधानी गैरसैंण बनाने की व्यापक रिपोर्ट को नजरांदाज कर देहरादून में ही राजधानी थोपे रखने के षडयंत्र के तहत ही दीक्षित आयोग का गठन का प्रदेश के संसाधनों व अमूल्य समय को बर्बाद किया गया।
इन 17 सालों में राजधानी गैरसैंण न बनाये जाने से प्रदेश के सीमान्त पर्वतीय जनपदों से, जिन्होने राज्य गठन का व्यापक जनांदोलन किया, जिन्होने दमन सहे, शहादते दी, देश का यह पूरा सीमांत प्रदेश से शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार व शासन से वंचित हो गया। लोग हैरान रह गये कि राज्य बनने से पहले उप्र में लखनवी राज में जब इन जनपदों में शिक्षा, चिकित्सा व शासन बर्तमान समय से कई गुना अधिक बेहतर ढंग से जनता को मिल रहा था। अब देहरादून में सत्ता में काबिज सत्तासीनों की अंधेरगर्दी के कारण प्रदेश के सीमान्त व पर्वतीय जनपदों से शिक्षको, चिकित्सकों, प्रशासन का जमवाडा देहरादून, हरिद्वार व ऊधम सिंह जैसे मैदानी जनपदों में हो गया। पर्वतीय जनपदों से शिक्षा, चिकित्सा, शासन व रोजगार की स्थिति दयनीय होने से गांव के गांव खाली हो गये। जनता ने इसी आशंका को भांपते हुए राज्य गठन आंदोलन से पहले ही गैरसैंण राजधानी बनाने का निर्णय लिया था। इससे प्रदेश के इस सीमान्त व पर्वतीय जनपदों में चोतरफा विकास होगा, शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार व शासन से युक्त होगा। इससे देश की सुरक्षा मजबूत होगी।
प्रदेश की जनता ने कांग्रेस इसी इसी मनोवृति से मुक्ति पाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के जनांकांक्षाओं को साकार करके भले दिन लाने के आश्वासन पर भरोसा करके विधानसभा चुनाव में भाजपा को अभूतपूर्व बहुमत देकर उत्तराखण्ड की सत्ता की बागडोर सौंपी थी। खुद भाजपा के नेता विधानसभा चुनाव में गैरसैंण पर जनांकांक्षाओं का सम्मान करने का बचन जनता को देते रहें। परन्तु सत्तासीन होते ही प्रदेश की भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस व भाजपा की सरकारों की तरह ही गैरसैंण को राजधानी घाोषित करने के बजाय जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए वहां पर विधानसभा सत्र चलाने की नौटंकी कर उसे ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की जनविरोधी बातें कह कर जनता के जख्मों को कुरेद कर विश्वासघात कर रहे है। प्रदेश की जनता के भारी दवाब के कारण ही पूर्व कांग्रेस सरकार ने गैरसैंण में प्रदेश की एकमात्र विधानसभा, विधायक व कर्मचारी आदि निवास व कार्यालय का निर्माण किया। वर्तमान में प्रदेश में केवल गैरसैंण में ही प्रदेश की एक मात्र विधानसभा भवन है। जहां पर न केवल ग्रीष्मकालीन सत्र संचालित हो चूके है अपितु शीतकालीन सत्र भी आयोजित हो चूके है। अब वर्तमान सरकार ने मार्च माह में बजट सत्र का भी आयोजन करने का ऐलान किया है। जनता इस बात से हैरान है कि जब प्रदेश का विधानसभा भवन सहित सभी कार्यालय गैरसैंण में बन चूके है तो फिर क्यों जनता की प्रबल मांग को नजरांदाज करके प्रदेश के हुक्मरान प्रदेश की राजधानी गैरसैंण घोषित करने में ना नुकुर कर प्रदेश के साथ देश के हितों के साथ खिलवाड कर रहे है? आखिर प्रदेश का गठन इन नेताओं व नौकरशाहों की अÕयाशी के लिए तो नहीं किया गया।
इस बात से बेहद आहत व आक्रोशित है कि देश का सबसे संवेदनशील व शांत समझे जाना वाला देश का सीमान्त हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड के नेता व नौकरशाह जनता की एकमात्र पंसद राजधानी गैरसैंण बनाने के बजाय अपनी अÕयाशी व पंचतारा सुविधाओ के अंध मौह में अंधे हो कर बलात देहरादून में कुण्डली मारे बैठे रह कर उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं, लोकशाही, चहुमुखी विकास व देश की सुरक्षा से खिलवाड कर रहे है।
सबसे हैरानी की बात है चीन सीमा से लगे इन पर्वतीय जनपदों से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा खडा करने वाली गंभीर समस्या को जानबुझ कर यहां की सरकारों ने खडा किया है। इसलिए देशभक्त उत्तराखण्डी जनता एक बार फिर राज्य गठन जनांदोलन की तर्ज पर राजधानी गैरसेंण बनाने के लिए सडकों पर उतरने के लिए विवश है। जनता को विश्वास है कि अगर प्रदेश के भाजपा नेता, प्रधानमंत्री व राष्ट्रीय नेतृत्व मोदी को राजधानी गैरसैंण की मांग के बारे में बता कर वहां पर राजधानी बनाने के लिए केन्द्र सहयोग देते।
अगर प्रदेश की सरकार व विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से स्मार्ट सिटी बनाने के बजाय उसका बजट गैरसैंण राजधानी बनाने में देने की मांग करते और प्रधानमंत्री को विश्वास दिलाते कि यह हिमालयी राज्यो ं का सबसे सुन्दर शहर बनायेंगे तो प्रधानमंत्री अवश्य जनभावनाओं का सम्मान करते। परन्तु प्रेदश के नक्कारे नेताओं के कारण राज्य गठन के बाद व वर्तमान में भाजपा की स्थिति हमेशा कमजोर रही। क्योंकि इन नक्कारे नेताओं झारखण्ड के भाजपा के नेताओं की तरह अपने प्रदेश के हक हकूकों व सम्मान की रक्षा करने की कुब्बत तक नहीं रही। अभी भी प्रदेश भाजपा के नेता जनभावनाओं का सम्मान करने के बजाय केवल अपनी कुर्सी के लिए व देहरादून में कुण्डली मार कर बेठे रहने में रत है। अगर राज्य गठन के बाद मोदी सरकार प्रदेश के भाजपा व कांग्रेस सहित नेताओं व नौकरशाहो की सम्पति की जांच कराये तो इनके मुखौटे बेनकाब हो जायेंगे। इन नक्कारे नेताओं के कारण प्रदेश की यह दुर्दशा हो रही है। जनता, सडकों पर उतर रही है। प्रधानमंत्री की मेहनत पर पानी फेरने वाले प्रदेश के सत्तालोलुपु नेताओं को भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तरह ही गैरसेंण राजधानी न बनाने की भूल का प्रायश्चित करना पडेगा। परन्तु इस सीमान्त प्रदेश की इस प्रकार की बर्बादी व अशांत स्थिति न प्रदेश के हित में है व नहीं देश के। इसलिए उत्तराखण्ड की जनता चाहती है कि प्रधानमंत्री उत्तराखण्ड की जन भावनाओं को सम्मान करते हुए प्रदेश सरकार को गैरसेंण राजधानी घोषित करने का निर्देश दें। जनता का विश्वास अब प्रधानमंत्री मोदी पर रहा है क्योंकि उन पर ही विश्वास कर जनता ने जनादेश दे कर प्रदेश की बागडोर भाजपा को सौंपी है।