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डीडीए प्रस्ताव से सीलिंग से मुक्ति नहीं, अवैध बिल्डर माफिया प्रोत्साहित होगा एवं दिल्ली और अधिक अनियोजित शहर के रूप में परिवर्तित होगी – जगदीश ममगांई


एकीकृत दिल्ली नगर निगम की निर्माण समिति के पूर्व चेयरमैन जगदीश ममगांई ने डीडीए द्वारा मास्टर प्लान 2021 में प्रस्तावित संशोधनों को अपर्याप्त व अनवाश्यक बताया। इससे व्यापारियों को सीलिंग से मुक्ति नहीं मिलेगी, अवैध बिल्डर माफिया प्रोत्साहित होगा व दिल्ली और अधिक अनियोजित शहर के रूप में परिवर्तित होगा। उन्होंने प्रस्ताव के संबंध में अपनी आपत्तियां, संशोधन व सुझाव भी डीडीए के समक्ष दर्ज कराए हैं, ज्ञात हो कि प्रस्तावित बदलावों के निमित्त 6 फरवरी तक आपत्ति व सुझाव हेतु डीडीए ने पब्लिक नोटिस जारी किया है।

 लोकल शापिंग सेंटर व सामुदयिक केंद्र का एफएआर (फ्लोर एरिया रेशिओ) आवासीय प्लॉट के समकक्ष करने का प्रस्ताव किया गया है पर ग्राउंड कवरेज, भवन की अधिकतम उंचाई व सुप्रीम कोर्ट द्वारा इकाईयों की निर्धारित संख्या में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। अतिरिक्त एफएआर का लाभ संशोधित नक्शा बिल्डिंग बाई-लॉज, ढांचागत सुरक्षा, अग्नि सुरक्षा आदि से अनापत्ति के उपरान्त ही मिल सकेगा जिससे भ्रष्टाचार में बढोतरी होगी व सीलिंग से जल्द राहत भी नहीं मिल सकेगी। दुकान एवं आवासीय (शॉप–कम–रिजीडेंस) प्लॉटों में एफएआर बढने के बावजूद केवल ग्राउंड प्लोर को ही व्यावसायिक उपयोग की अनुमति है यानि प्रथम तल व बेसमेंट में चल रहे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को इससे राहत नहीं मिल पाएगी।

ममगांई ने कहा कि प्रत्येक वर्ष अनिवार्य रूप से कन्वर्जन चार्ज जमा कराने की स्थिति जस की तस है जबकि व्यापारियों की मांग है कि इसे केवल 10 वर्ष तक ही लिया जाए, इस संबध में मास्टर प्लान 2021 के पैरा 15.9(ii) में संशोधन कर प्रत्येक वर्ष की अनिवार्यता की जगह अधिकतम 10 वर्ष किया जाना चाहिए। पेनल्टी(दंड) के रूप में 10 गुणा की जगह केवल 2 गुणा राशि ही लेने का प्रस्ताव न्यायोचित है।

वर्ष 1962 से पूर्व आवासीय क्षेत्र में विकसित दुकान एवं आवास को जारी रखने की अनुमति मास्टर प्लान में प्राप्त है लिहाजा पैरा 5.1 में कन्वर्जन चार्ज जमा कराने की वसूली पर जोर नहीं दिए जाएगा को जोडना चाहिए ।

मास्टर प्लान के पैरा 16.2 में स्पष्ट है कि दिल्ली नगर निगम केन्द्र सरकार की स्वीकृत से तीन वर्ष के अंदर “विशेष क्षेत्र भवन अधिनियम अधिसूचित करेगा व तब तक विशेष क्षेत्र के रूप में परिभाषित वॉल्ड सिटी(चारदीवारी क्षेत्र), करोलबाग, अनधिकृत नियमित कालोनी व गांव आबादी पर बिल्डिंग बॉय-लॉज के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई में छूट होगी। चूंकि दिल्ली नगर निगम विशेष क्षेत्र भवन अधिनियम अधिसूचित करने में विफल रहा है लिहाजा मास्टर प्लान के पैरा 16.2(3) में तीन वर्ष तक मिली छूट को अधिनियम अधिसूचित होने तक यथास्थिति(स्टेटस-को) बनी रहे के रूप में संशोधित किया जाना चाहिए।

ममगांई ने कहा कि 12 मीटर रोड पर बने गोदामों को नियमित करने के प्रस्ताव पर ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों की आपत्ति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लिहाजा इसमें 12 मीटर रोड की शर्त को अनिवार्य न कर वांछनीय किया जा सकता है। दिल्ली की सभी मार्किटों के कन्वर्जन शुल्क कम होने चाहिए, जो व्यवहारिक हों व व्यापारी बिना किसी बोझ के भुगतान किए जा सकें ।

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