सिंध, बलुच व कश्मीर क्षेत्र को पाक से मुक्त कर 20 साल के लिए पाकिस्तान में चलाई जाय संयुक्त राष्ट्र की सरपरस्ती में सरकार
काबुल में होटल व सदारत चैक के बाद सैन्य अकादमी ‘मार्शल फाहिम सेना विश्वविद्यालय’ पर आतंकी हमला
पाक की शह पर आतंकियों का अफगानिस्तान में ताडबतोड़ हमले अमेरिका के साथ भारत को भी चुनौती
देवसिंह रावत
29 जनवरी की तडके आतंकियों ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बेहद सुरक्षित क्षेत्र में स्थित मार्शल फाहिम सेना विश्वविद्यालय पर आतंकियों ने गोलाबारी कर एक बड़ा हमला कर दिया। रोकेट लांचर से किया गया आतंकी हमला। सुरक्षा बलों ने एक आतंकी को जिंदा पकड लिया है। अन्य आतंकियों को चारों तरफ से घेर कर सुरक्षाबल गोलाबारी कर रहे है।
गौरतलब है कि 27 जनवरी को भी अफगानिस्तान काबुल के अतिव्यस्तम सदारत चैक में आतंकियों द्वारा एमबुलेंस से किये हमले से 102 से अधिक लोगों की दर्दनाक मोत हो गयी और सेकडों घायल हो गये। इससे पहले काबुल के एक होटल में आतंकी हमले में 22 लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी।
अमेरिका के लाख कोशिशों के बाबजूद अफगानिस्तान में आतंकिया को सफाया नहीं हो पाया। इस सप्ताह जिस प्रकार से इस्लामिक स्टेट, अलकायदा व तालिबान आदि आतंकियों द्वारा किये गये 3 ताडबतोड़ आतंकी हमले ने अफगानिस्तान को छलनी कर दिया वहीं अमेरिका की कोशिशों पर पानी फेर कर उसको खुली चुनौती दे डाली। इन आतंकी हमले से इस्लामी आतंक के दंश से मर्माहित भारत भी चिंतित है।
सबसे हैरानी की बात यह है ये हमले उस समय हुए जब अमेरिका ने पाकिस्तान से अपने यहां आतंकी संगठनों को संरक्षण देने के लिए लगाम लगाने के लिए कुछ ऐतिहात के तौर पर कदम उठाये। अमेरिका व अफगानिस्तान दोनों का आरोप है कि अफगानिस्तान में हुए हमलों में पाकिस्तान पोषित हक्कानी नेटवर्क के तालिबान समूह का हाथ है। जिसे पाकिस्तान भले ही सिरे से नकारे परन्तु भारत व अफगानिस्तान जिस प्रकार से अपने देश में हो रहे आतंकी हमलों के पीछे सीधे सीधे पाकिस्तान को कटघरे में खडे करते है उससे अमेरिका का कभी प्यादा रहा पाकिस्तान कटघरे में है। ऐसा नहीं कि केवल भारत व अफगानिस्तान ही पाक पर आतंकी हमलों के लिए गुनाहगार मानते है। ऐसे आरोप पाकिस्तान पर दुनिया का सबसे शक्तिशाली इस्लामिक देश ईरान व पाकिस्तान का हिस्सा रहा बाग्लादेश भी लगाता रहता है। पाकिस्तान दुनिया भर में इस्लामी आतंकियों का पोषण करने वाला सबसे बडा देश है। जिसे आतंकिस्तान के नाम से उसकेे सभी पडोसी पुकारते है। यही नहीं पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकियों के दंश से दुनिया में पाकिस्तान का नया नवेला सरपरस्त बना चीन भी पीड़ित है। पाकिस्तान संरक्षित आतंकियों से एशिया ही नहीं अपितु अफ्रीका, आस्टेलिया, यूरोप व अमेरिका भी सभी पीड़ित है। यही नहीं अमेरिका सहित विश्व समुदाय को आये दिन परमाणु बम से तबाह करने वाले उत्तर कोरिया को भी परमाणु शक्ति सम्पन्न बनाने के पीछे चीन व रूस के बाद किसी का हाथ है तो वह पाकिस्तान ही है। पूरी दुनिया में इस्लामी आतंक को प्रचार प्रसार करने के लिए जहां आर्थिक मदद के लिए अमेरिका द्वारा संरक्षित सउदी अरब का हाथ माना जाता है वहीं उनको प्रशिक्षित व सुरक्षित पनाहगाह देने के लिए अगर कोई गुनाहगार है तो वह अमेरिका का पूर्व प्यादा पाकिस्तान है।
अमेरिकी शासकों ने पाकिस्तान का सदैव प्रयोग भारत पर अंकुश लगाने के लिए किया था। अमेरिका ने कश्मीर, पंजाब सहित पूरे भारत में फैले आतंक को भडकाने व उनको घातक बनाने का काम भारत की बढ़ती हुई ताकत और सोवियत संघ(रूस) का साथी मान कर किया। परन्तु बदली हुई परिस्थिति में भले ही अमेरिका व भारत नजदीक आ गये है और अमेरिका को सीधे चुनौती देने वाले चीन के करीब अमेरिका का पूर्व प्यादा पाकिस्तान हो गया है। दुनिया में बदली इस सामरिक समीकरणों के बाद भी आतंकवाद से उपजी चुनौती ज्यों की त्यों खड़ी है। पाकिस्तान की हकीकत को जानने वाले अमेरिका ने जैसे ही पाकिस्तान से आतंकियों पर अंकुश लगाने के लिए चेतावनी के प्रतीक आर्थिक सहायता रोकने का ऐलान किया तो पाकिस्तान ने गुपचुप ढंग से अफगानिस्तान में आतंकी कार्यवाहियों को ताडबतोड़ अंजाम दे दिया।
पाकिस्तान में आतंकी कितने अड़डे है व कहां तक पाकिस्तानी हुकुमत इनसे जुडी हुई है, इसको अमेरिका का संरक्षक रहा अमेरिका से बेहतर दूसरा कोई नहीं जानता है। क्योंकि अमेरिका ने अफगानिस्तान व भारत में रूसी शिकंजे से मुक्त करने के लिए पाकिस्तान में आतंकियों को संरक्षण व हमलावर बनाया। इसका दंश खुद अमेरिका भी भुगत चुका है। अब पाकिस्तान दुनिया में इस्लामी आतंक का सबसे बड़ा कारखाना ही बन चूका है। पाकिस्तान की सरकारों की इतनी ताकत नहीं कि वे पाक सेना का महत्वपूर्ण अंग बन चूके आतंकी संगठनों पर लगाम लगाये। पाकिस्तान में न केवल आतंकी संगठन अपितु सेना व पूरे देश का आतंकीकरण हो चूका है। पाकिस्तान में आतंकी मानसिकता काबिज हो गयी है।
इसके लिए पाकिस्तान पर अंकुश लगाने के लिए सिंघ व बलुच क्षेत्र को अलग कर कश्मीर वाले क्षेत्र को भारत को सौंपना होगा। इसके साथ पाकिस्तान को कम से कम 20 साल के लिए संयुक्त राष्ट्र की सरपरस्ती में एक विकासोनुख सरकार द्वारा संचालित किया जाना चाहिए। क्योंकि पाकिस्तान में गरीब लोगों के बच्चों को जो शिक्षा मदरसों में दी जा रही है उससे पूरे विश्व की शांति को ग्रहण लगाने वाले आतंक को ही हवा मिल रही है। पाकिस्तान में हर साल लाखों आतंकी पैदा हो रहे है। इसलिए पाकिस्तान का समूल उद्दार करना होगा। तभी विश्व इस्लामिक आतंक से मुक्त हो पायेगा। इसके साथ अमेरिका को भी चाहिए कि भारत को साथ लेकर दुनिया में बर्चस्व की जंग की गर्त में धकेल रहे चीन पर भी अंकुश लगाने के लिए अपना वर्चस्व का नापाक षडयंत्रों पर खुद अंकुश लगाने का काम ईमानदारी से करे।
हैरानी की बात यह है कि एक तरफ अमेरिका भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है दूसरी तरफ उसकी सरपरस्ती में भारत की एकता व अखण्डता को खण्डित करने मे उसके द्वारा पोषित/संरक्षित संगठन भारत में हिंसा, अलगाव व भारत विरोधी कृत्यों में संलग्न है। इसलिए अमेरिका को विश्व शांति के लिए पहले खुद ईमानदारी से दोस्ती निभाते हुए पाक स्थित आतंक के सभी अड्डों को तबाह करने का काम युद्ध स्तर पर पूरा करना चाहिए। अमेरिका सहित विश्व के सभी देशों को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि आतंकीस्तान बने पाक पर अंकुश लगाये बिना न अफगानिस्तान व नहीं भारत सहित पूरे विश्व में शांति स्थापित हो सकती है।