उत्तराखंड

उत्तराखण्ड को अलकनंदा होटल मिलने जगी उप्र से परिसम्पतियों के बंटवारे की आश

केन्द्र, उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड में एक ही दल की सरकार होने से जगी उत्तराखण्ड का हक  मिलने के आसार
हरिद्वार(प्याउ)। हरिद्वार का अलकनंदा होटल को उप्र सरकार ने उत्तराखण्ड को सोंपने के लिए न्यायालय में अपनी सहमति दे दी है। 15 जनवरी को जैसे ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत पत्रकारों को  ऐलान किया कर रहे थे तो उनकी आंखों में खुशी की चमक साफ दिखाई दे रही थी।
भले ही यह कोई बड़ी उपलब्धी नहीं है। परन्तु राज्य गठन के 17 सालों में उप्र से अलग होने के बाद से उप्र व उत्तराखण्ड के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा ज्यों का त्यों लटका हुआ रहा। कई सरकारें आयी व गयी। परन्तु उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड व उप्र में कई दलों की सरकारें सत्तासीन रही। परन्तु यह पहला मौका है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड के साथ केन्द्र में एक ही दल की पूर्ण बहुमत वाली सरकारें है। इससे उप्र व उत्तराखण्ड के मध्य लंबित विवादों का समाधान होने के आसार नजर आ रहे है। अलकनंदा होटल इसी का एक उदाहरण है। 17 साल बाद उप्र ने हरिद्वार स्थित अलकनंदा होटल को उत्तराखण्ड को सौंपने का समझदारी भरा निर्णय लिया। वहीं उप्र व उत्तराखण्ड के बीच चल रही परिवहन निगम का विवाद भी एक स्थाई समाधान की तरफ बढ़ गया है। त्रिवेन्द्र व योगी के नेतृत्व वाली दोनों सरकारों ने समझदारी से इस समझोते को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। अब इस समझोते को लेकर जल्द ही इसका ऐलान किया जा सकता है। उप्र सरकार ने परिवहन निगम के इस समझोते को अपना शासनादेश को सहमति दी है। इन दोनों कदमों से साफ लग रहा है कि निकट भविष्य में उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद इन 17 सालों तक लटका हुआ परिसम्पति बंटवारें में जमी वर्फ पिघल जायेगी। अन्य मामलों में भी दोनों सरकारें निर्णय करने की मंशा से कार्य कर रहे है। देखना यह है कि कितनी जल्द ये मामले निपटाये जाते है।

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