उत्तराखंड देश

आजादी के महानायक वीर चंद्रसिंह गढवाली की 126 जयंती की पूर्व संघ्या में दिल्ली में भव्य सांस्कृतिक समारोह

हिमाचलियों की तरह अपनी जड़डों से जुडे उत्तराखण्डी

 
पने गांव, अपने खानपान व संस्कृति से जुड कर ही होगा उत्तराखण्ड का विकास: हरीश रावत

नई दिल्ली(प्याउ)। भारत की आजादी के महानायक वीरचंद्र सिंह गढवाली के 126वीं जयंती पर उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए जहां देश के शासकों ने उनको विस्मृत किया। वहीं उनकी जयंती की पूर्व संध्या पर 24 दिसम्बर को दिल्ली में सांस्कृतिक कार्यक्रम कर उनके महान योगदान को याद किया गया। उल्लेखनीय है कि 1930 में पेशावर में शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों पर गोली चलाने के आदेश को फिरंगी सेना के हवलदार मेजर चंद्रसिंह गढवाली के नेतृत्व में उनके साथी सैनिकों ने मानने से मना कर दिया था। वीरचंद्र सिंह गढवाली व उनके साथियों के इस विद्रोह से फिरंगी हुकुमत ही चूलें हिल गयी इन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। इनको 14 साल की केद हुई।
इसी महान नायक की जयंती पर एक संदेश देने की सामान्य शिष्टाचार को देश के हुक्मरानों ने भुला दिया हो पर 24 दिसम्बर को महा नायक वीरचंद्र सिंह गढवाली की 126वीं जयंती की पूर्व संध्या पर दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड फिल्म व नाट्य संस्थान ने आईटीओ स्थित हिंदी भवन में चंद्र सिंह गढवाली जी की स्मृति में एक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वीरचंद्र सिंह गढवाली की स्मृति को नमन् करते हुए उपस्थित जनसमुदाय से वीरचंद्र सिंह गढवाली से प्रेरणा लेकर मानवता व देशहित में खुद को समर्पित करने का आवाहन किया।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि हिमाचलियों की तरह अपनी जड़डों से जुडे उत्तराखण्डी । उत्तराखण्ड की प्रतिभाओं ने देश विदेश में अपनी प्रतिभा के दम पर अपना परचम लहरा रहे है। परन्तु उत्तराखण्ड के लोग अपनी जड़डों को भूल गये है। हमारे लोग अपने घर, गांव व खेत खलिहानों को भूल गये है। इसके कारण देश का प्रहरी यह हिमालयी राज्य आज पलायन के दंश से पीड़ित है। श्री रावत ने इस अवसर पर हिमालय के लोगों की इस बात की सराहना की कि वे चाहे कितनी भी उन्नति कर ले वे अपने गांवो से दूर नहीं हुए। भले ही हिमाचलियों ने दिल्ली, चण्डीगढ़, पंचकुला सहित देश विदेश में भारी सम्पतियां अर्जित की है परन्तु उन्होने अपना पैतृक गावं से नाता नहीं छोड़ा है। परन्तु उत्तराखण्ड में अधिकांश लोगों ने अपने पैतृक गांव छोड़ दिये है। जिससे गांव उजड रहे है। हम या तो उत्तराखण्ड के कस्बों या देश विदेश के शहरों में ंबस गये।
श्री रावत ने कहा कि तब तक हमारे तमाम विकास कोइ्र अर्थ नहीं रखते जब तक हम अपने गांव, घर व खेत खलिहानों की सुध न लें। श्री रावत ने अपने घर गांव छोड़ चूके उत्तराखण्डियों  से अनुरोध किया कि हम चाहे दुनिया के किसी भी हिस्से में रहे हमें अपने गांव का घर व खेत खलिहानों को आबाद करना चाहिए। साल में एक दो बार अवश्य अपने गांव जाना चाहिए।
इसके साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने देश विदेश में रह रहे उत्तराखण्डियों से उत्तराखण्डी खाद्यान्नों को सप्ताह में एक दिन अवश्य खाने की आदत डालने का भी आवाहन किया। श्री रावत ने कहा कि हमारी सरकार की एक छोटी सी पहल से आज कोदे(मंडुवा) की कीमत 5 रूपये से बढ़ कर 50 रूपये किलो हो गयी है। इससे हमारे किसान मजबूत होंगे और खेती आबाद होगी। श्री रावत ने अपने परंपरागत आभूषण व पहनावे के प्रति सकारात्मक रवैया रखने की भी जनसमुदाय से अनुराध किया।
इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के अलावा उनके पूर्व सलाहकार हरिपाल रावत, दिल्ली पुलिस के सेवानिवृत सहायक उपायुक्त सतीश नौडियाल, दिल्ली भाजपा के पर्वतीय प्रकोष्ठ के संयोजक अर्जुन सिंह राणा, गढवाल हितैषिणी सभा के अध्यक्ष श्री रावत सहित अनैक समाजसेवी उपस्थित थे। इस अवसर पर टीबी 100 के मुख्य सम्पादक कुलीन गुप्ता को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उत्तराखण्डी गीत संगीत व नृत्य का मनभावन सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। संस्थान की प्रमुखा संयोगिता ध्यानी व सदस्य कुलदीप भण्डारी सहित पदाधिकारियों ने गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। इस कार्यक्रम का संचालन अजय बिष्ट ने किया।

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