17 लाख रूपये में बनी 45 मीटर सड़क ने बेनकाब किया उत्तराखण्ड में सरकारी तंत्र का भ्रष्टाचारी चेहरा
उत्तराखण्ड के सीमान्त जनपद चमोली के घाट विकासखण्ड के दूरस्थ गांव रामणी गांव में किया यह कारनामा
देश से लेकर गांव तक ईमानदार लोग भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं।
जैसे ही खबरों में दिल्ली से देश के अब तक सबसे बडे 2 जी घोटाले के सभी आरोपियों को वरी होने की खबर आयी तो वेसे ही उत्तराखण्ड में 17 लाख रूपये में मात्र 45 मीटर मोटर मार्ग बनाने वाले प्रकरण में न्याय की आश लगाने वाले लोगों की आशाओं में बज्रपात हुआ। सीमान्त प्रांत उत्तराखण्ड के जनपद चमोली के घाट विकासखण्ड के लोग ग्राम पंचायत रामणी में 45 मीटर सडक निर्माण में खर्च हुए 17 लाख रूपये के घोटाले के दोषियों को दण्डित करने के लिए विकासखण्ड व जिलास्तर के अधिकारियों से न्याय नहीं मिला तो प्रदेश सरकार के समक्ष न्याय की गुहार लगाने पंहुचे।
खबरों के अनुसार इस क्षेत्र के समाज सेवक बलवंत सिंह बिष्ट के साथ क्षेत्रीय लोगों ने दो दिन पहले अपर सचिव ग्राम्य विकास राम विलास यादव के सामने पूरा प्रकरण रखा। अपर सचिव को शिकायतकर्ता ने इस मामले की पूरी फाइल सौंपी है,
मामला यह है कि 2015 से मेरा गांव मेरी सडक योजना के तहत सीमान्त जनपद चमोली के घाट विकासखण्ड के रामणी ग्राम पंचायत में 410 मीटर सडक के लिए 35 लाख रूपये की योजना पर कार्य प्रारम्भ हुआ। परन्तु इस पर 17 लाख खर्च करके केवल 45 मीटर ही सडक का निर्माण हो पाया।
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से गांव वाले हैरान है। क्योंकि इसमें मनरेगा से 10 लाख की मजदूरी के साथ ही 6,94,850 रुपये का अन्य व्यय दिखाया जा रहा है। अन्य व्यय में जेसीबी का खर्च, सीमेंट व कंक्रीट की खरीद व ढुलान बताया गया है। विकासखण्ड स्तर पर बताया जा रहा है कि 10 लाख का कार्य ग्रामीणों ने मनरेगा के द्वारा कराया गया। परन्तु ग्रामीण इस योजना में कोई भुगतान होने से मना कर रहे है।
इस योजना में जो काम मनरेगा के तहत ग्रामीणों से कराया जाना चाहिए था, वह ठेकेदार ने अफसरों के साथ मिलीभगत करके जेसीबी मशीन से करा दिया। लोगों के आरोप व विकास खण्ड अधिकारियों के दावों में भारी अंतर है। ग्रामीणों में जानकारी के अभाव में अधिकांश गांवों में इसी प्रकार का कार्य किया जा रहा है। इस शिकायत पर जांच प्रारम्भ हो गयी है। परन्तु देश के सबसे बडे घोटाले का हस्र देख कर नहीं लगता कि इस प्रकरण में कोई न्याय मिलेगा। क्योंकि सरकारी तंत्र पूरी तरह से ऐसे मकड़ जाल में फंसा हुआ है। जिसमें एक दूसरे को बचाने का ही काम तंत्र में करता है। क्योंकि भ्रष्टाचार का धन ग्राम स्तर से मंत्री स्तर पर किसको कितनी बंदर बांट होनी है पहले से तय है। ऐसे में अधिकांश प्रकरणों में जांच के नाम पर केवल लीपापोती ही की जाती है।
176 लाख करोड़ रूपये के घोटाले के सामने भले ही 17 लाख रूपये का मामला भले ही एकांश भी न हो परन्तु केन्द्र सरकार के संचार मंत्री की सरपरस्ती में हुए इस घोटाले के समक्ष एक गांव स्तर पर हुए सड़क घोटाले से साफ हो गया कि राजधानी से लेकर गांव तक मंत्री से आम आदमी तक भ्रष्टाचार से अछूता नहीं। यहां पर शहीदों के ताबूत से लेकर चारा घोटाला, कब्रिस्तान से लेकर श्मसान घोटाले से देश व्यथित है। देश से लेकर गांव तक ईमानदार लोग भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं।
लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि जिस घोटाले पर मनमोहनी सरकार देश की जनता की नजरों में ही नहीं विश्व में भी बदनाम हो कर सत्ताच्युत हो गयी थी। जिसकी जांच देश की सर्वोच्च जांच ऐजेन्सी कर रही थी। जिसमें मंत्री व सांसद को जेल हो गयी हो, उस घोटाले में न्याय के दर पर आरोपियों के खिलाफ देश की सर्वोच्च जांच ऐजेन्सी ‘सीबीआई’ कोई सबूत तक पेश नहीं कर पायी। तो न्यायालय के सामने आरोपियों को आरोप मुक्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। न्यायलय को सीबीआई को लताडना पडा और कहना पड़ा की सीबीआई ने बिना सबूत का मामला दर्ज किया।
प्रधानमंत्री मोदी भले ही देश से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए नोटबंदी सहित कई दाव चल लें परन्तु इस देश में भ्रष्टाचार का दीमक देश की पूरी व्यवस्था के जडों में इतनी गहराई में लग चूका है कि जिसे देख कर लोगों के मुह से बरबस यही शब्द निकलता है कि अब तो भगवान ही इस देश को इस भ्रष्टाचार के गर्त से उबार सकता है। जनता किस पर विश्वास करे। गरीबी हटाने के नाम पर कांग्रेस की सरकारों का दामन जनता ने भ्रष्टाचार में दागदार देखा, भाजपा में कांग्रेसी दागदारों को बिना दण्ड दिये सम्मानित भाग्य विधाता बनते देखा। वामपंथ शासन को भी असफल होते देखा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ विश्व नाथ प्रताप सिंह, केजरीवाल सहित अनैक सरकारों को पूरी तरह असफल होते देख कर जनता हैरान है। देश ने विश्वनाथ प्रताप सिंह, मोदी, केजरीवाल की भ्रष्टाचार के खिलाफ दहाड़ सुनी। परन्तु सत्तासीन होने पर अपने दल के आरोपी नेताओं को संरक्षण देते व अपने भ्रष्टाचारियों को दण्डित करने के वादे पर मौन साधते देख कर देश स्तब्ध है। नेता, नौकरशाह, समाचार जगत व ठेकेदारों की मिली भगत से न्याय की देहरी में भ्रष्टाचारियों को दोषमुक्त होते देखने के बाद देश की जनता निराश है। उन्हें अब केवल भगवान पर विश्वास रह गया कि वह ही इन गुनाहगारों को दण्डित करेगा।