प्यारा उत्तराखण्ड डाट काम
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य नाथ व उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत की उपस्थिति में उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश की सरकारों के बीच परिवहन समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। हालांकि उप्र से उत्तराखण्ड राज्य गठन के 17 साल बीत जाने के बाबजूद अभी तक राज्यों के बीच परिसम्पतियों का बंटवारा नहीं हो पाया। यही नहीं कई अन्य मामले भी लंबित पडे है। पहली बार उत्तराखण्ड व उप्र सहित केन्द्र में एक ही दल की सरकार है। इसका लाभ इन लंबित विवादों के समाधान के लिए सबसे उपयुक्त नजर आ रहा है। इसी मामले में परिसम्पतियों का बंटवारे का मामला कब तक सुलझ पाता है यह अभी नहीं कहा जा सकता है। लोगों को आशा है कि जल्द ही यह मामला सुलझ जायेगा। इन बडे मामलों के बीच उलझा एक महत्वपूर्ण मामला दोनों राज्यों में हर रोज संचालित हो रही हजारों बस आदि परिवहन सेवाओं पर एक सर्वमान्य समझोता। यह समझोता न होने से समय समय पर विवाद खडा हो जाता था जिसके कारण आम जनता को काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। अब दोनेों सरकारों ने समझदारी दिखाते हुए परिवहन समझौता कर दिया।
यह अन्तर्राज्यीय बस सेवाओं को सुगम एवं सुदृढ़ बनाने के लिए उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड की पारस्परिक परिवहन समझोते पर हस्ताक्षर किये गये। लम्बे समय से दोनों राज्यों के परिवहन सेवाओं के बीच समय समय पर विवाद चलता रहता था। इस समझोते के बाद दोनों परिवहन सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित करने में मदद मिलेगी। राज्य गठन के बाद परिवहन सेवाओं के बीच एक मजंबूत समझोते की जरूरत थी। जो इस समझोते से यह समस्या काफी हद तक सुलझ जायेगी। इस समझौते से दोनों राज्यों के बीच यात्रा करने वाले लोगों को फायदा होगा। उत्तराखंड के बद्रीनाथ से यूपी के काशी विश्वनाथ को जोड़ने में यह समझौता कारगर साबित होगा। समझौते के तहत उ. प्र. परिवहन निगम, उत्तराखण्ड में 216 मार्गों पर लगभग 1.4 लाख किलोमीटर तथा उत्तराखण्ड परिवहन निगम द्वारा यूपी में 335 मार्गों पर 2.5 लाख किमी. से अधिक बसों का संचालन किया जाएगा। यह समझौता पीएम मोदी जी के #एक_भारत_श्रेष्ठ_भारत की संकल्पना को साकार करने में सहायक होगा।