स्व-राष्ट्र के दो वीर
-विमलेश बंसल ‘आर्या’
8130586002
हिंदी, हिन्दू, हिंदुस्थान,
श्रद्धानंद हो गए बलिदान।
गुरु गोविंद के पुत्र महान,
न्यौछावर कर गए निज प्राण।
दोनों संत सिपाही वीर,
धीर वीर दृढ़ और गम्भीर।
तरकस कमर पर धारे तीर,
हरने देश की आये पीर।
मुगलों अंग्रेजो को खदेड़ा,
शौर्य पराक्रम ले अलबेला।
सच्चा ज्ञान जीवन में उतारा,
गुरु ने तीन पीढ़ियाँ वारा।
श्रद्धानंद की श्रद्धा प्रबल थी,
गुरु दयानंद पर निष्ठा सबल थी।
गुरुकुल खोले निज बालक दे,
निज संस्कृति के खुद पालक थे।
दोनों संत सिपाही न्यारे,
शत शत कोटि नमन आभारे।
आओ याद करें निज वीर,
बनकर भारत की तस्वीर।
सांता क्लोज (क्लॉज-बन्द) कर संत सराहें,
निज पलकों में उन्हें समाएँ।
क्रिसमस न, किशमिश के पेड़ हों,
आर्यावर्त निज सुसंस्कृत मेढ़ हो।
भेड़ बनें न विदेशियों के,
गौपालक हों मवेशियों के।
आओ अपने दिवस मनाएं,
कुर्बानियों की स्मृति लाएं।
प्रेरित हो निज राष्ट्र बचाएं,
कीर्ति बढ़ाएं आनंद पाएँ।
विमल स्वस्थ समृद्ध सुखी,
स्वराष्ट्र अखंड निर्माण कराएं।
वीरों को प्रेरणा बनाएं,
पुण्य दिवस बलिदान मनाएं।
महापुरुषों को शीश झुकाएं,
पदचिन्हों पर चलते जाएं।।